कोलकाता : वर्ष 2011 में तृणमूल कांग्रेस से अपना पॅालिटिकल कैरियर शुरू करने वाले जितेंद्र तिवारी ने आखिरकार तृणमूल से नाता तोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया. दिसंबर में ही वह भाजपा में शामिल होने वाले थे, लेकिन हाइ-वोल्टेज ड्रामा के बाद उन्होंने टीएमसी में ही रहने का फैसला लिया. अब बीजेपी का झंडा थामने के बाद एक बार फिर जितेंद्र चर्चा में हैं. जितेंद्र तिवारीविवादित बयानों और अपने काम की वजह से लगातार चर्चा में रहे हैं. आइए, जानते हैं कि वे अब तक किन-किन वजहों से चर्चा में रहे हैं…
1. वर्ष 2019 के मार्च महीने में चुनाव आयोग ने उन्हें शोकॅाज नोटिस भेजा था जब जितेंद्र तिवारी ने पार्षदों से कहा था कि जो पार्टी के लिए ज्यादा वोट लायेगा उन पार्षदों को धनराशि ईनाम के तौर पर दी जायेगी.
2.वर्ष 2019 के मई महीने में दुर्गापुर में एक न्यूज चैनल टाइम्स नाउ के एक फुटेज में जितेंद्र तिवारी पुलिस को धमकी देते हुए आये थे नजर.
3. वर्ष 2019 के जून महीने में जितेंद्र तिवारी ने आसनसोल के बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो पर लगाया था धमकी भरा फोन करने का आरोप.
4. वर्ष 2020 के 13 दिसंबर को जितेंद्र तिवारी ने अर्बन डेवल्पमेंट व म्युनिसिपल अफेयर मंत्री फिरहाद हकीम को चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया था कि ममता बनर्जी की सरकार आसनसोल शहर के साथ अन्याय कर रही है और आसनसोल शहर को राज्य और केंद्रीय स्कीम से वंचित रख रही है.
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5. 17 दिसंबर 2020 में जितेंद्र तिवारी ने तृणमूल कांग्रेस को छोड़ा और साथ ही आसनसोल नगर निगम के चेयरमैन के पद से इस्तीफा दिया था.
6. बीजेपी से समझौता नहीं होने पर फिर कुछ दिन बाद ही फिर तृणमूल में जितेंद्र ने वापसी कर ली.
7. तृणमूल पर विश्वास जताने का दावा करने के करीब तीन महीने बाद ही फिर तृणमूल छोड़ा और 2 मार्च 2021 को बीजेपी का दामन थाम लिया.
Posted by : Babita Mali