Who is the person who took the sinking company Royal Enfield to a new level.
Royal Enfield: रॉयल एनफील्ड को पुनर्जीवित करने वाले शख्स का नाम है सिद्धार्थ लाल, साल 2000 में सिड लाल को रॉयल एनफील्ड के सीईओ की जिम्मेदारी सौंपी गई. 2006 में वह आयशर मोटर्स के सीईओ और एमडी बने. साल 2000 में सिड लाल को रॉयल एनफील्ड के सीईओ की जिम्मेदारी सौंपी गई. 2006 में वह आयशर मोटर्स के सीईओ और एमडी बने. उन्होंने परिवार के 15 व्यवसायों में से 13 को बंद कर दिया और अपनी सारी ऊर्जा रॉयल एनफील्ड ब्रांड को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित कर दी.
आइशर कंपनी के मालिक के बेटे हैं सिद्धार्थ
सिद्धार्थ विक्रम लाल विक्रम लाल के बेटे हैं. उन्होंने दून स्कूल में पढ़ाई की. उन्होंने अर्थशास्त्र में डिग्री के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से भी पढ़ाई की. उन्होंने क्रैनफील्ड विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया. उन्होंने ब्रिटेन की लीड्स यूनिवर्सिटी से ऑटो इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री की.
2006 के बाद रॉयल एनफील्ड की दुनिया बदल गई
2006 के बाद, सिद्धार्थ लाल ने रॉयल एनफील्ड को एक नए दौर में ले जाने के लिए कई कदम उठाए. उन्होंने ब्रांड को नई ऊर्जा और दिशा के साथ ताजगी से भर दिया और उसे एक आत्मनिर्भर और वृद्धि क्षमता से भरपूर कंपनी में बदलने का प्रयास किया. सिद्धार्थ लाल की नेतृत्व में, रॉयल एनफील्ड ने नए डिज़ाइन, तकनीक, और उत्पादों के साथ बाजार में प्रतिस्थापन करने के लिए कई पहल की. उन्होंने कंपनी को विश्वभर में एक अग्रणी मोटरसाइकिल निर्माता बनाने के लिए मुख्य उद्देश्य बनाया.
सिड 2015 तक यूके से काम करते रहे
वह 2015 से यूके से काम कर रहे हैं. 2021 में वह अपने 21.12 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज के कारण विवादों में आ गए थे. आयशर मोटर्स की नामांकन और पारिश्रमिक समिति ने बाद में उनके वेतन पैकेज को घटाकर 12 करोड़ रुपये कर दिया. उन्होंने वित्तीय वर्ष 2021 में 7.38 करोड़ रुपये कमाए. वर्ष 2014 तक, एनफील्ड के राजस्व ने आयशर मोटर्स लिमिटेड समूह के राजस्व में 80 प्रतिशत का योगदान दिया.
Also Read: Royal Enfield Himalayan खरीदने से पहले जानें ऑन-रोड प्राइस, EMI और इंट्रेस्ट रेट
सिद्धार्थ लाल ने रॉयल एनफील्ड को युवाओं के करीब पहुंचाया
सिद्धार्थ लाल ने एक नए दृष्टिकोण के साथ रॉयल एनफील्ड के उत्पादों को बाजार में प्रस्तुत किया और उन्हें एक नए स्तर पर ले जाने के लिए विभिन्न रूपों में नवाचार और विकसन का समर्थन किया. उन्होंने युवा जनरेशन को ध्यान में रखते हुए मोटरसाइकिल की भावनाओं को ध्यान में रखा और नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न सामूहिक मीडिया योजनाओं का भी प्रमोशन किया.
सिद्धार्थ को मिली थी रॉयल एनफील्ड को बंद करने की सलाह
साल 2000 में चेयरमैन विक्रम लाल ने प्रबंधन को रॉयल एनफील्ड को बंद करने की सलाह दी थी. हालाँकि, सिड लाल ने कदम बढ़ाया और व्यवसाय को पुनर्जीवित करने के लिए कुछ समय मांगा. उन्होंने महीनों तक मोटरसाइकिल चलाई और सवारों की पसंद-नापसंद के बारे में जाना. उन्होंने देश के युवाओं की प्राथमिकताओं के अनुरूप मोटरसाइकिल में सुधार किया. उन्होंने बुलेट को सुलभ बना दिया. दो वर्षों के भीतर, ब्रांड की बिक्री में भारी वृद्धि देखी गई.
साल 2022 में बिकी 8,34,895 रॉयल एनफील्ड
वर्ष 2014 तक, एनफील्ड के राजस्व ने आयशर मोटर्स लिमिटेड समूह के राजस्व में 80 प्रतिशत का योगदान दिया. पिछले साल दिसंबर 2022 में समाप्त तिमाही में समूह का मुनाफा 714 करोड़ रुपये था. पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनी ने 8,34,895 मोटरसाइकिलें बेचीं, जो इसकी अब तक की सबसे अधिक कुल बिक्री है.
सिद्धार्थ ने कभी भी अवसरवादी नीति नहीं अपनाई
मोटरसाइकिलों की उच्च मांग के बावजूद, उन्होंने कभी भी अवसरवादी मूल्य निर्धारण नहीं किया. उनका दर्शन अधिक मोटरसाइकिलें बेचकर मार्जिन बढ़ाना है. केवल बुलेट 350 और क्लासिक 350 ही नहीं, उनकी कंपनी के ट्विन सिलेंडर इंजन भारत और पश्चिम दोनों में काफी लोकप्रिय हैं.
संघर्ष और समर्पण ने रॉयल एनफील्ड को एक नई ऊंचाई
सिद्धार्थ लाल का यह संघर्ष और समर्पण ने रॉयल एनफील्ड को एक नए उच्चतम स्तर पर पहुंचाया है. उन्होंने मोटरसाइकिल उद्योग में अपनी अद्वितीय पहचान बनाई है और ग्राहकों को एक साथ होने वाली अनुभूति का आनंद लेने का मौका दिया है.
Also Read: Royal Enfield Himalayan 450 खरीदने से पहले जान लें ये 10 बातें!