Loading election data...

World Bamboo Day: क्यों बंद हो गया मानुषमुड़िया बंबू प्लांट में उत्पादन? काम बंद होने से किसान हैं मायूस

World Bamboo Day: उद्योग विभाग ने इसके संचालन की जिम्मेदारी झारक्राफ्ट (Jharcraft) को सौंप दी. झारक्राफ्ट ने असम से विशेषज्ञों की टीम बुलायी. उन्होंने क्षेत्र के लोगों को बांस के घर एवं बांस से फर्नीचर बनाने की ट्रेनिंग दी. कुछ समय तक काम चला, फिर बंद हो गया.

By Mithilesh Jha | September 18, 2022 11:49 PM

World Bamboo Day: पूरी दुनिया में 18 सितंबर को विश्व बांस दिवस मनाया जाता है. झारखंड में भी बांस से बने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए बंबू सीजनिंग प्लांट या बंबू ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना की गयी थी. इससे बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला था. बांस लगाने वाले किसानों की आय बढ़ी थी. चाकुलिया के मानुषमुड़िया में झारक्राफ्ट की ओर से लगाये गये इस उद्योग की स्थिति क्या है? किसानों की क्या राय है? पढ़ें, चाकुलिया से राकेश सिंह की रिपोर्ट.

असम के विशेषज्ञों ने कारीगरों को दी ट्रेनिंग

वर्ष 2005 में चाकुलिया वन क्षेत्र में स्थित मानुषमुड़िया में बंबू सीजनिंग प्लांट (Bamboo Seasoning Plant) की स्थापना की गयी थी. बड़े ताम-झाम के साथ तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सह वन मंत्री सुधीर महतो ने इसका उद्घाटन किया. बाद में उद्योग विभाग ने इसके संचालन की जिम्मेदारी झारक्राफ्ट (Jharcraft) को सौंप दी. झारक्राफ्ट ने असम से विशेषज्ञों की टीम बुलायी. उन्होंने क्षेत्र के लोगों को बांस के घर एवं बांस से फर्नीचर बनाने की ट्रेनिंग दी. कुछ समय तक काम चला, फिर बंद हो गया.

Also Read: World Bamboo Day 2022: जंगल बचाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए बांस के उत्पादन पर दें जोर एक करोड़ रुपये की लागत से बना था बंबू ट्रीटमेंट प्लांट

इस प्लांट को बनाने में लगभग एक करोड़ रुपये खर्च आया था. प्लांट में एक विशेष मशीन की मदद से बांस को विभिन्न रसायनों के साथ एक नियत तापमान पर उपचारित किया जाता था. दावा था कि ऐसा करने से बांस की उम्र 50 वर्ष से अधिक हो जाती है. इन उपचारित बांसों से पलंग, सोफा, कुर्सी समेत कई अन्य फर्नीचर एवं सजावट की सामग्री का निर्माण भी किया जाने लगा.

World bamboo day: क्यों बंद हो गया मानुषमुड़िया बंबू प्लांट में उत्पादन? काम बंद होने से किसान हैं मायूस 6
मानुषमुड़िया प्लांट में बने उत्पादों की रांची में होती थी बिक्री

झारक्राफ्ट के माध्यम से उद्योग विभाग मानुषमुड़िया प्लांट में निर्मित बांसों से बनी सामग्रियों को बेचता था. यहां बनी सामग्रियां रांची जाती थी और वहीं इसकी बिक्री होती थी. जमशेदपुर, घाटशिला, चाकुलिया, बहरागोड़ा व आसपास के इलाकों में इसकी बिक्री की शुरुआत नहीं की गयी. नतीजा यह हुआ कि बांस से बने इन उत्पादों की लागत बहुत बढ़ गयी. चूंकि उत्पाद को खुले बाजार में नहीं बेचा गया, धीरे-धीरे झारक्राफ्ट को नुकसान होने लगा.

झारक्राफ्ट ने प्लांट को इसाफ को सौंपा

झारक्राफ्ट ने घाटा होता देख इस प्लांट को इएसएएफ दुमका (ESAF Dumka) को सौंप दिया. 31 जुलाई 2019 से इस प्लांट का संचालन ईएसएएफ के हाथों में आ गया. कुछ दिनों बाद प्लांट लगभग बंद हो गया. क्षेत्र की बांस को विशेष पहचान दिलाने के लिए वन विभाग ने पहल कर बंबू सीजनिंग प्लांट तो स्थापित करवा दिया, लेकिन सरकारी नीतियों का दंश झेलते-झेलते अब यह प्लांट बंद हो गया है. कई शिल्पकार बेरोजगार हो गये.

World bamboo day: क्यों बंद हो गया मानुषमुड़िया बंबू प्लांट में उत्पादन? काम बंद होने से किसान हैं मायूस 7
कर्मचारियों की कर दी गयी छुट्टी

बंबू सीजनिंग प्लांट में कार्यरत मशीन ऑपरेटर दिनेश झा, तुहिन कांति राणा, परिमल बेड़ा को ई-मेल पर सूचना देकर काम से निकाल दिया गया. इनके साथ-साथ गार्ड चामू सोरेन को भी कार्यमुक्त कर दिया गया. एक करोड़ से अधिक की राशि खर्च करके बनाये गये प्लांट में अब झाड़ियां ही झारियां हैं. स्थानीय लोगों की मानें, तो कई साल से इस प्लांट का ताला भी नहीं खोला गया.

प्रतिवर्ष 5 करोड़ बांस का होता है उत्पादन

चाकुलिया वन क्षेत्र अंतर्गत चाकुलिया, धालभूमगढ़ एवं बहरागोड़ा में लगभग 25 हजार एकड़ भूमि पर बांस के पौधे लगे हैं. वन विभाग की मानें, तो प्रति एकड़ 2 हजार बांस का उत्पादन होता है. एक आकलन के मुताबिक, चाकुलिया में प्रतिवर्ष 5 करोड़ बांस का उत्पादन होता है. इस स्थिति में यदि सरकार बांस से संबंधित उद्योग स्थापित करे, तो क्षेत्र के बांस की खपत भी आसानी से होगी. किसानों को बांसों का उचित मूल्य भी मिलेगा और क्षेत्र के लोग बांस उत्पादन से लेकर बांस उद्योग में कार्य करके रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकेंगे.

World bamboo day: क्यों बंद हो गया मानुषमुड़िया बंबू प्लांट में उत्पादन? काम बंद होने से किसान हैं मायूस 8
चाकुलिया के लोगों के लिए नकदी फसल है बांस

लंबे समय से चाकुलिया में बांस का व्यवसाय फल-फूल रहा है. चाकुलिया, बहरागोड़ा एवं धालभूमगढ़ क्षेत्र के लगभग हजारों लोग बांस के व्यवसाय से जुड़े हैं. क्षेत्र में बांस को कैश क्रॉप (नगदी फसल) के नाम से जाना जाता है. जब भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को घर बनाने, बेटियों का विवाह करने तथा मरीजों का इलाज कराने के लिए पैसों की आवश्यकता होती है, वे बांस बेचकर इसकी व्यवस्था कर लेते हैं. सैकड़ों लोग बांस के व्यवसाय से भी जुड़े हैं. जमशेदपुर एवं रांची समेत देश के कोने-कोने में यहां से बांस भेजा जाता है. बृहद रूप में बांस उद्योग स्थापित होने पर क्षेत्र के किसानों के साथ-साथ व्यवसायियों को भी सहूलियत होगी.

सीमेंट उद्योग में कोयले की जगह हो सकता है बांस का उपयोग

झारक्राफ्ट के मैनेजिंग डायरेक्टर के रवि कुमार चाकुलिया में बांस उद्योग की संभावना तलाशने आये थे. किसानों एवं व्यवसायियों से मुलाकात कर क्षेत्र के लोगों को बताया कि बांस को चूना-पत्थर में मिलाकर बायोमास तैयार किया जाता है. इसका इस्तेमाल सीमेंट इंडस्ट्री में कोयले के स्थान पर किया जा सकता है. ऐसा करने पर सीमेंट इंडस्ट्री के खर्च में बचत होती है तथा बांस के किसानों को भी लाभ हो सकता है. उन्होंने सीमेंट इंडस्ट्री के साथ एमओयू करने की बात भी उस दौरान कही थी. इस आश्वासन के वर्षों बीतने के बाद भी अब तक कोई पहल नहीं हुई. इससे क्षेत्र के किसानों में रोष है. चाकुलिया पहुंचे उद्योग विभाग के मैनेजिंग डायरेक्टर के रवि कुमार बताया था कि मानुषमुड़िया में पीपीपी मोड में बांस उद्योग फिर से शुरू किया जायेगा. यहां कटलरी आइटम का निर्माण होगा. वह भी कोरा साबित हुआ.

नहीं लगा इनोवेटिव प्रोसेसिंग प्लांट

नेशनल बंबू मिशन (National Bamboo Mission) के तहत चाकुलिया वन क्षेत्र अंतर्गत चाकुलिया एवं बहरागोड़ा में 4 इनोवेटिव प्रोसेसिंग यूनिट लगायी जा रही थी. 2 वर्ष बीतने के बाद भी अब तक काम शुरू नहीं हो सका. बांस के क्षेत्र में समग्र विकास करने तथा जिन क्षेत्रों में बांस की खेती होती है, वहां बांस की खेती को बढ़ावा देना, मार्केटिंग करना, बांस के किसानों एवं मजदूरों को रोजगार दिलाना केंद्र एवं राज्य सरकार का लक्ष्य है.

World bamboo day: क्यों बंद हो गया मानुषमुड़िया बंबू प्लांट में उत्पादन? काम बंद होने से किसान हैं मायूस 9
ये थी सरकार की योजना

इस संबंध में चाकुलिया में एक तथा बहरागोड़ा में तीन यूनिट लगे. इन यूनिट्स में तमाम मशीन एवं संसाधन उपलब्ध कराया जाना था. कहा गया था कि किसानों से बांस खरीदकर बांस से बनी सामग्री, अगरबत्ती स्टिक, आइसक्रीम स्टिक से लेकर बांस की चटाई, बांस के घर और बांस के फर्नीचर तक बनाये जायेंगे. वर्ष 2020 से इस प्रोजेक्ट की शुरुआत चाकुलिया वन क्षेत्र अंतर्गत चाकुलिया, बहरागोड़ा में हुई, पर आज तक इसे पूरा नहीं किया जा सका.

जुलाई से सितंबर माह तक होता है बांसों का प्रजनन काल

बरसात के मौसम को बांस का प्रजनन काल माना जाता है. वर्तमान समय में बांसों में नये कोंपल निकलने शुरू हुए हैं. इन्हें राईजोम कहा जाता है. प्रजनन काल के दौरान क्षेत्र में बांसों की कटाई बंद रहती है. इससे बांस का व्यवसाय भी प्रभावित होता है. किसानों का मानना है कि बांसों की कटाई के दौरान निकलने वाले नये पौधे नष्ट हो सकते हैं. नये पौधों को नष्ट होने से बचाने के लिए ही बरसात के महीने में जुलाई से सितंबर तक बांस की कटाई बंद रहती है. इस दौरान एक बांस की जड़ से कम से कम 4 नये पौधे निकलते हैं.

World bamboo day: क्यों बंद हो गया मानुषमुड़िया बंबू प्लांट में उत्पादन? काम बंद होने से किसान हैं मायूस 10
मानुषमुड़िया में जल्द प्लांट शुरू हो, चल रहा प्रयास- जयवंत होरो

इसाफ (ESAF) के पदाधिकारी जयवंत होरो ने बताया कि प्लांट में कार्यरत मशीन ऑपरेटर एवं मजदूरों को प्रशिक्षण के लिए दुमका बुलाया गया था. परंतु मशीन ऑपरेटर एवं मजदूरों ने यहां प्रशिक्षण लेने से इंकार कर दिया. बाहर के मजदूर भय से वहां जाकर काम करने से कतरा रहे हैं. इस परिस्थिति में फिलहाल प्लांट में काम बंद रखा गया है. उन्होंने कहा कि बांस से बनी सामग्रियों के कई ऑर्डर हैं, जिसे पूरा नहीं कर पा रहे हैं. जल्द से जल्द मानुषमुड़िया में प्लांट शुरू हो, इसके लिए वे लगातार प्रयास कर रहे हैं.

Next Article

Exit mobile version