धनबाद : तीन दशक पहले पति की मौत हुई. कई बार विधवा पेंशन के लिए आवेदन दिया. हर बार टाल-मटोल होता रहा. थक-हार कर एक वर्ष पहले वृद्धा पेंशन के लिए फॉर्म भरा. पर यह भी अब तक नहीं मिला. जब भी ऑफिस जाती है, तो कोई न कोई बहाना बता दिया जाता है. कभी कहा जाता है कि आवेदन भुला गया है. कभी कहा जाता है कि कुछ दिन में हो जायेगा. यह व्यथा है कतरास मोड़ झरिया की रहने वाली जमुना बसाक का.
जमुना जैसी और भी कई महिलाएं अंचल कार्यालय का चक्कर लगाने को विवश हैं. झरिया अंचल कार्यालय में भटक रहीं जमुना ने बताया कि उनके पति मदन प्रसाद की मौत वर्ष 1992 में हो गयी थी. बहुत पढ़ी-लिखी नहीं होने के कारण सरकार की योजनाओं के बारे में नहीं जानती है.
वृद्धा, विधवा पेंशन संबंधी आवेदनों को समय पर स्वीकृत किया जाता है. अधिकांश लोगों को अप्रैल माह से पेंशन मिलना शुरू हो गया है. अगर कुछ लोगों का आवेदन मंजूर नहीं हो पाया है, तो अंचल कार्यालय में आ कर संपर्क कर सकते हैं. योग्य आवेदकों के आवेदन मंजूर कर उसका लाभ दिलवाया जायेगा.
परमेश्वर कुशवाहा, सीओ, झरिया
अग्रसेन भवन झरिया के पास रहनेवाली है सारो देवी. उनके पति मंजू यादव का निधन वर्ष 2019 में हो गया. सारो देवी कहती हैं कि विधवा पेंशन के लिए दो बार आवेदन दे चुकी हैं. जब अंचल कार्यालय जाती हैं, तो कहा जाता है कि फिर से आवेदन करें. काम हो जायेगा, लेकिन समझ में नहीं आ रहा कि आखिर कब तक काम होगा. कई बार स्थानीय वार्ड पार्षद (अब पूर्व) से लेकर अन्य नेताओं से भी आग्रह कर चुकी हैं, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. अंतिम बार आवेदन सात माह पहले दी थी.
राजा तालाब के समीप रहने वाली रीता देवी ने विधवा पेंशन के लिए तीन वर्ष पहले आवेदन दिया था. उन्होंने कहा कि कई बार अंचल कार्यालय जा कर पता भी नहीं किया. एक तो अधिकारी जल्द मिलते नहीं हैं. मिलते भी हैं, तो सिर्फ कहा जाता है कि काम हो जायेगा. बार-बार दफ्तर का चक्कर लगाना संभव नहीं हो पाता. नेता लोग भी आते हैं, तो कहते हैं कि काम हो जायेगा, लेकिन, अब तक पेंशन स्वीकृति का कोई आदेश या राशि नहीं मिली है.
शीतला मंदिर झरिया के समीप रहने वाले राजेंद्र कर्मकार शारीरिक रूप से लाचार हैं. उम्र भी लगभग 70 वर्ष है. अंचल कार्यालय के पास वृद्धा पेंशन के आवेदन पर हुई कार्रवाई की जानकारी लेने को पहुंचे हुए थे. बताया गया कि अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक अभी चुनाव ड्यूटी में हैं. जून के पहले सप्ताह में ही मुलाकात होगी. कहते हैं कि अगर वृद्धा पेंशन मिल जाये, तो कुछ सहारा मिल जायेगा.
Posted By: Sameer Oraon