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बिना कोयला ट्रांसपोर्टिंग किये आउटसोर्सिंग कंपनी BCCL से ले रही भुगतान, सीधे खदान में घुस रहा हाइवा

BCCL कतरास एरिया की खदान से गैरकानूनी ढंग से कोयले का उठाव हो रहा है. AMPL की कोयला ट्रांसपोर्टिंग में लगा हाइवा सीधे खदानों में प्रवेश कर रहा है. डंप की बजाए फेस से ट्रांसपोर्टिंग हो रही है. बिना ट्रांसपोर्टिंग किये आउटसोर्सिंग कंपनी BCCL से भुगतान प्राप्त कर रही है.

Prabhat Khabar Special Story: BCCL कतरास एरिया की AKWM कांटापहाड़ी परियोजना से बिना कोयला ट्रांसपोर्टिंग किये आउटसाेर्सिंग कंपनी एएमपीएल (AMPL) बीसीसीएल से भुगतान ले रही है. बीसीसीएल ने उत्खनन स्थल से डंपिंग स्थल तक कोयला पहुंचाने और वहां से फिर सीएचपी (कोल री-हैंडलिंग प्लांट) और साइडिंग तक इसे पहुंचाने के लिए दो अलग-अगल टेंडर अवार्ड कर रखा है.

BCCL को हर माह करोड़ों का हो रहा आर्थिक नुकसान

इसके मुताबिक आउटसोर्सिंग कंपनी को उत्खनन स्थान से डंपिंग स्थल तक कोयला डंप करना है, जबकि ट्रांसपोर्टिंग कंपनी को डंप कोयले की लोडिंग कर साइडिंग या एमपीएल ले जाना है, लेकिन कोयला ट्रांसपोर्ट में लगे हाइवा गैरकानूनी ढंग से धड़ल्ले से बेरोकटोक खदान में घुसकर सीधे माइंस से कोयला लोड कर रहे हैं. वहीं, आउटसोर्सिंग कंपनी खनन स्थल से डंपिंग स्थल तक कोयला की ट्रांसपोर्टिंग किये बगैर भुगतान ले रही है. इससे बीसीसीएल काे हर माह कराेड़ाें रुपये का आर्थिक नुकसान हो रहा है.

क्या है मामला

AKWM कांटापहाड़ी पैच से ओवरबर्डेन (ओबी), कोयला खनन तथा ट्रांसपोर्टिंग के लिए करीब 600 करोड़ का कार्य आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स अंबे माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड (AMPL)- ज्वाइंट वेंचर (जेबी) को मिला हुआ है. टेंडर की शर्ताें के मुताबिक, आउटसोर्सिंग कंपनी को परियोजना से कोयला खनन कर तय डंपिंग स्थल पर डंप करना है. वहीं, करीब 260 करोड़ के एक दूसरे कांट्रैक्ट के मुताबिक ट्रांसपोर्ट कंपनी एनकास-एएमपीएल (जेवी) को AKWM परियोजना के डंपिंग स्थल से कोयला उठाकर अंगारपथरा स्थित CHP मशीन में क्रश कराने, फिर रेलवे साइडिंग में डंप कर रेल वैगन में कोयला लोडिंग का काम करना है, पर उक्त आउटसोर्सिंग कंपनी उत्खनन स्थल से कोयला उठाकर डंपिंग स्थल पर डंप नहीं कर रही है, बल्कि ट्रांसपोर्ट कंपनी से मिलकर डंप के बजाय सीधे फेस से कोयले की लोडिंग कराकर रेलवे साइडिंग और MPL भेजा जा रहा है.

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12.77 करोड़ रुपये बचा लेती है AMPL

आउटसोर्सिंग कंपनी उत्खनन स्थल से सीधे साइडिंग में कोयला डंप कर ट्रांसपोर्टिग खर्च तो बचा ही रही है. साथ ही डंपिंग स्थल पर खर्च होनेवाले पे-लोडर लोडिंग चार्ज भी बचा ले रही है. कायदे से अगर काम करे, तो यहां पे-लोडर लोडिंग एवं कोयला ट्रांसपोर्टिंग पर करीब 60-70 रुपये प्रति टन आउटसोर्सिंग कंपनी को खर्च करना पड़ेगा. सूत्रों के मुताबिक, AMPL हर दिन करीब पांच हजार टन और सालाना करीब 18.25 लाख टन कोयला ट्रांसपोर्ट करती है यानी 70 रुपया प्रति टन के मुताबिक ही लोडिंग और ट्रांसपोर्टिंग का खर्च मानें तो करीब 12.77 करोड़ रुपया आउटसोर्सिंग कंपनी बचा लेती है.

गैरकानूनी ढंग से फेस से कोयला लोडिंग

AKWM कोल डंप से रोड सेल कोयले का भी उठाव होता है. AMPL पावर प्लांट को कोयला ले जानेवाला हाइवा डंप के बजाय सीधे खनन स्थल यानी फेस से कोयला लोड करता है, जो गैरकानूनी है. ट्रांसपोर्टिंग कंपनी को डंप से कोयला उठाव करना है, न कि फेस है. लेकिन, आउटसोर्सिंग कंपनी ट्रांसपोर्ट कंपनी से सांठ-गांठ कर कोयला फेस से ही लोड कराकर अपना ट्रांसपोर्टिंग खर्च बचा ले रही है और बीसीसीएल से पूरा भुगतान उठा ले रही है. यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है. चर्चा है कि आखिर ट्रांसपोर्टिंग का हाइवा माइंस में कैसे घूस रही है.

नियम विरुद्ध काम हुआ तो कार्रवाई

AKWM के पीओ संजय चौधरी ने कहा कि NIT देखने के बाद ही कुछ कह सकते हैं. मामले की जानकारी नहीं है. कुछ दिन पूर्व ही चार्ज लिए हैं. अगर नियम विरुद्ध कार्य हो रहा है, तो संबंधित कंपनी पर कार्रवाई की जायेगी.

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रिपोर्ट : मनोहर कुमार, धनबाद.

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