महिला सशक्तीकरण अब नारा नहीं बल्कि वास्तविकता बन चुका है. कला, साहित्य, संगीत, नृत्य, खेल, विज्ञान व अन्य क्षेत्रों में महिलाओं ने सफलता का कीर्तिमान बनाया है. अब महिला-पुरुष में किसी प्रकार का अंतर नहीं है. रमा देवी महिला विश्वविद्यालय के दूसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यह बातें कही. उन्होंने कहा कि जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी उत्कर्षता को प्रमाणित किया है. संसद में महिलाओं की संख्या एक सौ से अधिक हो गयी है. इस शिक्षण संस्थान की छात्रा रहीं राष्ट्रपति ने अपने अतीत की स्मृतियों को साझा किया.
जब तक हम आत्मा की शुद्धि पर ध्यान नहीं देंगे, तब तक शरीर की शुद्धि नहीं होगी. हमें शरीर व आत्मा दोनों को शुद्ध रखना होगा. शरीर की शुद्धि लिए हम काफी कुछ करते हैं. आत्मा की शुद्धि के लिए बाहर के चीजों की आवश्यकता नहीं है, बल्कि योग व ध्यान की जरूरत है. भुवनेश्वर में ज्ञान प्रभा मिशन के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यह बातें कहीं. उन्होंने कहा कि केवल सामाजिक व आर्थिक उत्थान से काम नहीं चलेगा. इसके साथ ही आध्यात्मिक विकास जरूरी है.
भारत पूर्व में ‘विश्वगुरु’ था. वर्तमान में भारत को ‘विश्वगुरु’ के तौर पर स्थापित करने का मंत्र महिला सशक्तीकरण है. अपने गृह राज्य की दो दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंचीं मुर्मू ने योग के अभ्यास की आवश्यकता पर जोर दिया, जो नागरिकों को आध्यात्मिक रूप से विकसित करने में मदद कर सकता है जिससे लोगों और पूरे देश का समग्र विकास हो सके. उन्होंने कहा कि योग के माध्यम से हम सुख-शांति से रह सकते हैं. मानसिक शांति का मार्ग है योग. योग कहने पर लोग आम तौर पर शारीरिक क्रिया समझ लेते हैं. लेकिन मेरी दृष्टि में योग शरीर व आत्मा का योग है.