पाकुड़ : बत्तख पालन से स्वावलंबन की ओर बढ़ रही आदिम जनजाति की महिलाएं
जनवरी- फरवरी माह में बत्तख की बिक्री जोरों पर होती है. इसलिए सखी मंडल से ऋण लेकर बत्तख पालन शुरू किए. अभी 600 बत्तख पाल रहे हैं. जनवरी माह में प्रति बत्तख 500 रुपये दाम मिलता है.
पाकुड़ : प्रखंड अंतर्गत पीवीटीजी समुदाय से जुड़ी सखी मंडल की महिलाएं ग्रामीण विकास विभाग अंर्तगत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा संचालित सखी मंडल से जुड़कर बत्तख पालन आत्मनिर्भर बन रही हैं. प्रखंड के करणपुरा गांव में बीपीएम उज्ज्वल रविदास तथा जीआरसी को-ऑर्डिनेटर संजय पाल द्वारा करणपुरा गांव में (हार्डिंग सेंटर) बत्तख पालन का निरीक्षण किया. बीपीएम ने बत्तखों को स्वस्थ रखने के लिए कई टेक्निकल चीजों के बारे में बताया. बीपीएम ने बड़े पैमाने पर व्यवसाय करने को लेकर दीदी की हौसला बढ़ाते हुए दीदी द्वारा किए गए कार्य की सराहनीय की. सखी मंडल से जुड़ी पुतला पहाड़िन ने बताया कि ठंड का मौसम आते ही बत्तख से अच्छा मुनाफा होता है. जनवरी- फरवरी माह में बत्तख की बिक्री जोरों पर होती है. इसलिए सखी मंडल से ऋण लेकर बत्तख पालन शुरू किए. अभी 600 बत्तख पाल रहे हैं. जनवरी माह में प्रति बत्तख 500 रुपये दाम मिलता है. इसमें मात्र दो माह में लगभग दो लाख से ज्यादा कमाई होने का अनुमान है. पुतला पहाड़िन ने ये भी बताया कि पाकुड़ हिरणपुर प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में सखी मंडल से जुड़ी महिलाएं बत्तख पालन की ओर अग्रसर हो रही हैं. गांव में इसका पूरा रख रखाव, टीका, कृमि नाशक का पूरा सपोर्ट आजीविका पशु सखी दीदियां कर रही हैं.
क्या कहते हैं डीपीएम
इस बाबत जेएसएलपीएस के डीपीएम प्रवीण मिश्रा ने कहा कि पुतला पहाड़िन सखी मंडल के सहयोग से बत्तख पालन कर जीवन संवार रही है. ये दूसरे ग्रामीण व पहाड़िया महिलाओं के लिए अनुकरणीय है.
Also Read: पाकुड-लिट्टीपाड़ा विस उपचुनाव के लिए साइमन मरांडी ने भरा नामांकन