कलकत्ता हाईकोर्ट के जज बोले : 498ए का दुरुपयोग करके कानूनी आतंक फैला रहीं कुछ महिलाएं

कलकत्ता हाईकोर्ट ने सेक्शन 498ए के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए कहा है कि कुछ महिलाएं इसका दुरुपयोग कर रहीं हैं और कानूनी आतंक फैला रहीं हैं. यह सही नहीं है. इसका उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना था, कुछ महिलाएं इसका गलत इस्तेमाल कर रहीं हैं.

By Mithilesh Jha | August 23, 2023 3:53 PM

कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि कुछ महिलाओं ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए का दुरुपयोग करके कानूनी आतंक फैलाया है. हाईकोर्ट की एकल पीठ के जज जस्टिस शुभेंदु सामंत ने कहा कि धारा 498ए महिलाओं के कल्याण के लिए पेश की गयी थी, लेकिन अब झूठे मामले दर्ज करके इसका दुरुपयोग किया जा रहा है. जस्टिस सामंत ने कहा कि विधानमंडल ने समाज से दहेज की बुराई को खत्म करने के लिए धारा 498ए का प्रावधान लागू किया है. लेकिन कई मामलों में देखा गया है कि इस प्रावधान का दुरुपयोग करके नया कानूनी आतंक फैलाया जाता है.

498ए महिला को देता है आपराधिक शिकायत का अधिकार

माननीय न्यायाधीश ने एक व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ धारा 498ए के मामले को रद्द करते हुए कहा कि आपराधिक कानून एक शिकायतकर्ता को आपराधिक शिकायत दर्ज करने की अनुमति देता है, लेकिन इसे ठोस सबूत जोड़कर उचित ठहराया जाना चाहिए. अदालत उस व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्यों द्वारा अक्टूबर और दिसंबर 2017 में उनकी अलग रह रही पत्नी द्वारा उनके खिलाफ दर्ज कराए गए आपराधिक मामलों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

पति पर लगाये मानसिक व शारीरिक क्रूरता के आरोप

याचिका के अनुसार, पत्नी ने पहली बार अक्टूबर 2017 में याचिकाकर्ता पति के खिलाफ मानसिक और शारीरिक क्रूरता का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था. इसके बाद पत्नी ने दिसंबर 2017 में एक और शिकायत दर्ज करायी. इस बार पति के परिवार के सदस्यों का नाम लेते हुए उन पर क्रूरता करने और उसे मानसिक और शारीरिक यातना देने का आरोप लगाया. कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि वर्तमान याचिकाकर्ताओं के खिलाफ प्रथम दृष्टया अपराध साबित करने वाला कोई सबूत रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया है, इसलिए यह मामला रद्द किया जाता है.

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महिला की ओर से कोर्ट को नहीं मिले पर्याप्त सबूत

सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि उनके सामने दोनों पक्षों की ओर से सबूत पेश किये गये, लेकिन ये सबूत महिला के पति को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं थे. कोलकाता के बागुईहाटी के पास रहने वाली महिला ने शिकायत की कि उसका पति उस पर अत्याचार करता है और उसकी हत्या करने की कोशिश की. पुलिस ने मामले की जांच शुरू की, तो वह ससुराल से अपने मायके चली गयी. बाद में कोर्ट ने उसके पति को अग्रिम जमानत दे दी.

पति को जमानत मिलते ही दर्ज करायी दूसरी शिकायत

जैसे ही पति को जमानत मिली, महिला ने एक और केस दर्ज कराया. इसमें उसने घरेलू हिंसा के आरोप लगाये और अपने ससुराल के लोगों के नाम से प्राथमिकी दर्ज करवा दी. महिला की ओर से सेक्शन 498ए के तहत दर्ज करायी गयी शिकायत को उसके ससुराल वालों ने कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी. वर्ष 2018 में दंपती कानूनी रूप से अलग हो गये. पुलिस की जांच जारी रही और बाद में चार्जशीट भी दाखिल की गयी.

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मेडिकल रिपोर्ट में नहीं मिले चोट के निशान

पुलिस ने महिला के परिवार और पड़ोसियों के बयान दर्ज किये. पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने लड़ाई की आवाज सुनी है, लेकिन कौन किसके खिलाफ हिंसक था, इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. शिकायतकर्ता महिला का मेडिकल कराया गया. मेडिकल रिपोर्ट में किसी प्रकार के चोट नहीं पाये गये. इसके बाद हाईकोर्ट के जज ने यह टिप्पणी की और इस केस को रद्द कर दिया.

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