साहिबगंज में खादी के अस्तित्व पर संकट, छह माह से बंद चरखे के कारण महिलाएं नहीं कर पा रहीं है काम

साहिबगंज स्थित जिरवाबाड़ी में संताल परगना खादी ग्रामोद्योग केंद्र बदहाल है. केंद्र की चार एकड़ जमीन में दुकान और भवन हैं पर छह माह से चरखे बंद हैं. पहले कोरोना काल में दिक्कत हुई. इसके बाद पिछले छह माह से गुंडी (रूई का गोला ) नहीं आ रहा है. इस कारण 30 से 35 महिलाएं काम नहीं कर पा रहीं हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 2, 2022 12:40 PM

Sahibganj News: साहिबगंज स्थित जिरवाबाड़ी में संताल परगना खादी ग्रामोद्योग केंद्र बदहाल है. केंद्र की चार एकड़ जमीन में दुकान और भवन हैं पर छह माह से चरखे बंद हैं. पहले कोरोना काल में दिक्कत हुई. इसके बाद पिछले छह माह से गुंडी (रूई का गोला ) नहीं आ रहा है. इस कारण 30 से 35 महिलाएं काम नहीं कर पा रहीं हैं. संताल परगना खादी ग्रामोद्योग समिति की पहल पर महिलाएं जिरवाबाड़ी स्थित कार्यालय में अंबर चरखे से पुनी यानि रूई से धागा निकालती हैं. ये महिलाएं रोजाना सुबह 10-11 बजे तक पहुंच जाती हैं. शाम 4-5 बजे तक चरखा चलाती हैं. एक महिला महज कुछ घंटों में चरखा चलाकर 20 से 25 गुंडी धागा तैयार कर लेती हैं. एक गुंडी धागा तैयार करने के एवज में उन्हें तीन रुपये मजदूरी मिलती है. कच्चा माल यानी गुंडी व चरखा खादी ग्रामोद्योग समिति का है.

जर्जर हो गया भवन, कट गयी है बिजली

मैनेजर अजय सिंह ने बताया कि कई माह से वेतन नहीं मिला है. जो कपड़े बिकते हैं या देवघर हेड ऑफिस से पैसा आता है तो काम चलता है. दुकान व भवन में अधिक बिल आ जाने के कारण बिजली कट गयी है. दुकान रोजाना 10 से 6 बजे तक खुलती है. अंधेरा होने से पहले बंद कर दी जाती है. दो दुकान को भाड़ा में लगाये हैं. जहां मशीन चलती है, वहां की छत जर्जर है. बरामदा टूट गया है. जंगल से घिर गया है. कई मशीनें खराब हो गयी हैं. दुर्गापूजा के बाद डीसी से मिलकर जीर्णोद्धार के लिए आवेदन देंगे.

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गोड्डा- हंसडीहा भेजा जाता है धागा

यहां से तैयार धागे को हसंडीहा व गोड्डा में बेचा जाता है. एक साल में करीब 12-14 क्विंटल सूत तैयार हो जाता है. वहां इन धागों से सूती कपड़ा तैयार किया जाता है. बड़ी कंपनियां कपड़ा खरीदती हैं. 1975 से ये महिलाएं अंबर चरखे पर सूत काट रही हैं. हालांकि पहले छह चकवा चरखा हुआ करता था, अब आठ चकवा चरखे से धागा तैयार किये जा रहे हैं.

बड़ा हॉल बन जाये तो 150 महिलाओं को रोजगार मिल सकता है. भवन के अभाव में महिलाएं काम नहीं कर पाती हैं. दुर्गापूजा के बाद फिर से काम शुरू होगा. गुंडी आनेवाला है. पानी की दिक्कत है. सरकार को एक चापाकल लगाना चाहिए.

रिपोर्ट: सुनील ठाकुर

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