महाराष्ट्र में मिथक तोड़ साड़ी पहनकर महिलाएं खेल रही हैं कबड्डी

महाराष्ट्र के बीड जिले में महिलाएं साड़ी पहनकर कबड्डी टूर्नामेंट में बढ़ चढ़कर भाग ले रही हैं. साड़ी में कबड्डी खेल अपने बचपन को यहां की महिलाएं फिर से जी रही है.

By Saurav kumar | July 8, 2023 7:42 PM
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भारत में कबड्डी का क्रेज सिर चढ़कर बोलता है. कबड्डी भारत के हर शहर और हर गांव में खेला जाता है. कबड्डी का इसी क्रेज की अनोखी तस्वीर महाराष्ट्र के बीड जिले से सामने आई है. जहां की महिलाएं साड़ी पहनकर कबड्डी खेल रही है. साड़ी में कबड्डी खेल अपने बचपन को यहां की महिलाएं फिर से जी रही है. इस कबड्डी में भाग लेने वाली महिलाएं काफी खुश हैं. उन्होंने इसे खेलने को लेकर कई बड़ी बाते कहीं है.

फिर से अपने बचपन को जी रही हैं महिलाएं

द हिंदू में छपी खबर के अनुसार महाराष्ट्र के बीड के धनोरा गांव की महिला महानंदा विशाल पाटिल ने बताया कि युवावस्था में आने के बाद कभी भी खेल का हिस्सा होने का मौका नहीं मिला. ‘जब मैंने सुना कि गांव में कबड्डी टूर्नामेंट है तो मैं उसे देखने गई. इस टूर्नामेंट में एक खिलाड़ी नहीं आई थी और आयोजक पूछ रहे थे कि क्या कोई खेलना चाहेगा. मुझे पता था यह मेरे लिए बचपन की यादें ताजा करने का एक मौका था. फिर मैंने अपने साड़ी को ऊपर किया और मैदान में उतर गई हमारी टीम ने इस टूर्नामेंट में दूसरा स्थान हासिल किया’.

खेल ने महिलाओं में भरा नया जीवन

बीड शहर की 32 वर्षीय महिला रमेश नागपुरे ने बताया कि उनकी शादी 14 वर्ष के उम्र में हो गई थी. उनके पति का निधन 32 वर्ष के उम्र में हुआ. हमारे क्षेत्र की महिलाओं खासतौर पर विधवाओं का खेलना वर्जित है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं फिर से कभी आउटडोर गेम खेलूंगी. जमीन पर लेटकर खुशी और उत्साह के साथ हंसना और चिल्लाना काफी अच्छा लग रहा था.

अब तक यह टूर्नामेंट महाराष्ट्र के चार जिलों उम्मानाबाद, बीड, नांदेड़ और लातूर के 11 गांवों में 28 अप्रैल से 15 जून तक 11 टूर्नामेंट खेले जा चुके हैं. इसमें 18 वर्ष से लेकर 70 वर्ष की 854 महिलाएं अब तक भाग ले चुकी हैं. वहीं 2 हजार से अधिक महिलाएं उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए पहुंची हैं.

क्या कहते हैं आयोजक

वहीं यह टूर्नामेंट का आयोजन समिति की एक सदस्य महानंदा चव्हाण ने कहा कि एकल महिला संगठन बताती है ‘पिछले चार वर्षों के दौरान हमने पितृसत्तात्मक मानदंडों पर चर्चा करने के लिए बैठकें कर रहे हैं. हमने अपनी सभाओं में महिलाओं को आपस में बातचीत कराया उन्हें म्यूजिकल चेयर जैसे गेम खेलने को कहा. महिलाएं धीरे-धीरे अपनी भावनाओं के बारे में खुलकर बोलने और अपने बचपन की कहानियों को साझा करने में काफी सहज महसूस करने लगी.

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