Gorakhpur : उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के राजघाट स्थित राप्ती नदी पर पोलूशन रोकने के लिए नगर निगम गोरखपुर बड़ी पहल शुरू की है. नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने एक मई से शव दाह की व्यवस्था निशुल्क कराने को कहा है. नगर निगम लकड़ी और गैस की निशुल्क व्यवस्था कराएगा. यहां पर लोग अपने स्वजन का लकड़ी, गैसीफायर और गैस आधारित संयंत्र में अंतिम संस्कार कर सकेंगे. यहां लोगों को केवल शव का पंजीकरण कराना पड़ेगा, जिसके लिए 200 रुपये शुल्क देनें होंगें. नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने राजघाट स्थित अंत्येष्टि स्थल का निरीक्षण किया. नगर आयुक्त ने कार्यदाई संस्था ग्रीन रेवोल्यूसन फाउंडेशन के संजय साहनी को पहले ही दिल्ली से बुलवा लिया था. नगर आयुक्त ने संयंत्र की व्यवस्था, टूटी टाइल्स व सीढ़ियों को ठीक करने के निर्देश दिया है. वहीं पानी की व्यवस्था के लिए सबमर्सिबल पंप ठीक कराने को कहा है. राजघाट में अंत्येष्टि स्थल पर अच्छी व्यवस्था होने के बाद भी ज्यादातर लोग राप्ती नदी के किनारे पहुंचकर अंतिम संस्कार करते हैं. इससे नदी तो प्रदूषित होती है साथ ही अंतिम संस्कार में आने वाले लोगों को भी असुविधा का सामना करना पड़ता है.
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गोरखपुर के राप्ती नदी तट किनारे 12 करोड़ रुपए की लागत से अंत्येष्टि स्थल का निर्माण कराया गया है. इस जगह पर 10 शवों का अंतिम संस्कार लकड़ी से दो शवों का गैसीफायर और एक शव का गैस से करने की व्यवस्था है. गैसीफायर विधि से अंत्येष्टि में खतरनाक गैस वायुमंडल में न फैले इसके लिए संयंत्र में व्यवस्था की गई है. लेकिन अभी भी बहुत सारे ऐसे ही लोग हैं जो अपने स्वजनों का अंतिम संस्कार नदी के किनारे करते हैं. अंतिम संस्कार करने में लकड़ी विधि द्वारा तकरीबन 3 क्विंटल लकड़ी लगती है. गैसीफायर विधि से लकड़ी की मात्रा और कम हो जाती है. वहीं गैस आधारित संयंत्र में 12 से 16 किलोग्राम लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (LPG) की आवश्यकता होती है. नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि नगर निगम नागरिकों की सहूलियत के लिए कार्य करता है. नदी के तट पर अंतिम संस्कार में सबको दिक्कत होती है, इसलिए अंत्येष्टि स्थल पर अंतिम संस्कार के लिए सभी व्यवस्था की जा रही है. 1 मई से नगर निगम लकड़ी और गैस भी देगा. यह व्यवस्था अगले छह महीने तक लागू रहेगी.
रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर
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