सात दिन में मजदूरों ने 5200 फुट लंबे कैनाल का किया जीर्णोद्धार
लॉकडाउन के कारण दूसरे प्रदेशों में फंसे मजदूर वापस अपने घर लौट रहे हैं. ऐसे में इनके पास रोजगार की बड़ी समस्या है. लेकिन, इसी कठिनाई के बीच बेनीपट्टी प्रखंड के ढंगा पंचायत में अनूठी पहल हुई है. यहां दूसरे प्रदेशों से लौटे मजदूरों ने सात दिनों में 5200 फुट लंबे कैनाल का जीर्णोद्धार कर दिया.
मधुबनी : लॉकडाउन के कारण दूसरे प्रदेशों में फंसे मजदूर वापस अपने घर लौट रहे हैं. ऐसे में इनके पास रोजगार की बड़ी समस्या है. लेकिन, इसी कठिनाई के बीच बेनीपट्टी प्रखंड के ढंगा पंचायत में अनूठी पहल हुई है. यहां दूसरे प्रदेशों से लौटे मजदूरों ने सात दिनों में 5200 फुट लंबे कैनाल का जीर्णोद्धार कर दिया. मुखिया पुष्पा देवी की पहल पर मनरेगा के जरिये यह काम हुआ. मजदूरों को रोजगार मिल गया और सैकड़ो एकड़ खेत में सिंचाई की राह आसान हो गयी.कोरोना को लेकर उत्पन्न संकट को अवसर में बदलने की यह पहल चर्चा में है और अब इस मॉडल को दूसरी पंचायतों में भी लागू करने की तैयारी हो रही है.
डीएम डाॅ निलेश राम चंद्र देवरे ने ढंगा पंचायत में मनरेगा के तहत कराये गये काम को मॉडल मानते हुए इसके राज्य सरकार को भेजा है. उम्मीद की जा रही है कि अधिकारी जल्द इस कार्य का निरीक्षण करेंगे.दो नदियों की धारा को कैनाल से जोड़ालॉकडाउन हुआ तो ढंगा पंचायत के सैकड़ों लोग बेरोजगार हो गये. इनके सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी. लोग आये दिन मुखिया के दरवाजे पर मदद मांगने पहुंचने लगे. मुखिया पुष्पा देवी बताती हैं कि कुछ दिनों तक तो हर संभव मदद की, लेकिन यह समस्या का निदान नहीं था. इसके बाद इनके मन में पंचायत के पुराने जर्जर हो चुके कैनाल की उड़ाही की योजना आयी.
इससे न सिर्फ रोजगार के मौके मिल सकते थे, बल्कि सिंचाई की परेशानी से जूझ रहे किसानों की समस्या भी दूर हो सकती थी. योजना पारित होते ही मजदूरों को काम पर लगा दिया गया.दो नदियों की धारा को जोड़ने का काम पूरापंचायत के पश्चिम भाग से कोसी कैनाल की मुख्य शाखा गुजरती है. पूरब करीब दो किलोमीटर दूर जीवछ नदी की धारा भी बहती है. योजना इस प्रकार बनायी गयी कि दोनों नदियों की धारा को जोड़ दिया जाये. सात दिनों तक प्रतिदिन औसत 120 मजदूरों ने काम किया. दो-तीन दिनों के भीतर कैनाल से दोनों नदियों की धारा जुड़ जायेगी.दर्जनों पंचायतों के किसानों को लाभकैनाल का जीर्णोद्धार होने से मलमल, ढंगा, घुसकीपट्टी, चंपा, कलुआही, परौल सहित आसपास के अन्य गांवों की सैकड़ों एकड़ खेत में आसानी से सिंचाई हो सकेगी.
इसके ठीक समानांतर पंचायत समिति से भी गांव में कैनाल का ही निर्माण कराया जा रहा है. इस समानांतर कैनाल को मुख्य कैनाल से जोड़कर बधार की ओर लाया गया है. इसकी लंबाई भी करीब 4000 फीट है.गाद रोकने के लिए कैनाल में बनाये गड्ढेकैनाल में हर सौ फीट की दूरी पर चार फीट गहरा, तीन फीट चौड़ व 20 फीट लंबा गड्ढा बनाया गया. पुष्पा देवी बताती हैं कि नदियों से आने वाले पानी में अक्सर गाद होता है.
इन गड्ढों में गाद जमा हो जायेगा और पानी निर्बाध रूप से निकलता जायेगा. बाद में गाद को आसानी से बाहर किया जा सकता है. गड्ढे से भू-जल का स्तर भी सुरक्षित रहेगा. कैनाल के दोनों ओर वृक्षारोपण भी किया जायेगा. तीसरी योजना कैनाल से निकली मिट्टी से ही कई गांवों को जोड़ने वाली कच्ची सड़क को ठीक कर देने की है.मजदूरों में खुशीकाम करने वाले मजदूर ललन मंडल, सुनील मंडल व मिश्री मंडल बताते हैं कि जब से लॉकडाउन हुआ है, तबसे काम नहीं मिल रहा था. लेकिन इस योजना के शुरू होने से उन्हें हर दिन काम मिल रहा है. अब किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं है.