World Blood Donor Day : शिक्षक अजीत कुमार ने रक्तदान कर कई लोगों को दी नयी जिंदगी, 28 बार कर चुके हैं रक्तदान
World Blood Donor Day : बड़कागांव : 'बने हो एक खाक से दूर क्या, करीब क्या, लहू का रंग एक है अमीर क्या, गरीब क्या' हजारीबाग जिले के शिक्षक अजीत कुमार ने अब तक 28 बार रक्तदान कर इसे चरितार्थ कर दिया है. विश्व रक्त दाता दिवस पर ये समाज के लिए प्रेरणा हैं. इनसे सीख लेकर कई लोगों की जिंदगी बचायी जा सकती है. पढ़िए संजय सागर की रिपोर्ट.
World Blood Donor Day : बड़कागांव : ‘बने हो एक खाक से दूर क्या, करीब क्या, लहू का रंग एक है अमीर क्या, गरीब क्या’ हजारीबाग जिले के शिक्षक अजीत कुमार ने अब तक 28 बार रक्तदान कर इसे चरितार्थ कर दिया है. विश्व रक्त दाता दिवस पर ये समाज के लिए प्रेरणा हैं. इनसे सीख लेकर कई लोगों की जिंदगी बचायी जा सकती है. पढ़िए संजय सागर की रिपोर्ट.
एक महिला की जिंदगी बचायी
शिक्षक अजीत कुमार वर्ष 2001 से लेकर 6 फरवरी 2020 तक में 28 बार रक्तदान कर चुके हैं. केरेडारी प्रखंड के ग्राम पहरा की एक महिला को रक्त दान कर उन्होंने जिंदगी बचा ली थी. वह महिला एनीमिया से ग्रसित थी.
ब्लड कैंसर के मरीज को भी दिया खून
शिक्षक अजीत कुमार ने 28वीं बार रक्तदान 6 फरवरी 2020 को किया. वेदांता में भर्ती अमित कुमार चौहान को इन्होंने खून दिया था. यह मरीज हजारीबाग जिले के चरही का रहने वाला है. फिलवक्त रांची के वेदांता हॉस्पिटल में इलाजरत है. इन्होंने अपने ही गांव के प्रकाश श्रीवास्तव को भी ब्लड डोनेट किया था. यह मरीज ब्लड कैंसर से जूझ रहा था.
पेशे से हैं शिक्षक
बरही, बड़कागांव ,केरेडारी के मरीजों के लिए अजीत कुमार कई बार रक्तदान कर चुके हैं. अजीत कुमार का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है. यह गरीकला निवासी सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर कुलदीप राम के प्रथम सुपुत्र हैं. अजीत कुमार पेशे से शिक्षक हैं. वे वर्तमान में सरिया स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय खेरौन में पदस्थापित हैं.
भेदभाव दूर कर समानता लाने के लिए रक्तदान : अजीत कुमार
अजीत कुमार कहते हैं कि शिक्षक बनने से पहले वे समाजसेवा का काम करते थे. हर जाति-धर्म के लोगों की मदद किया करते थे. हम सभी के लहू का रंग एक ही है. ऐसे में भेदभाव नहीं होना चाहिए. भेदभाव दूर करने एवं समानता लाने के लिए वे रक्तदान करते हैं.
Posted By : Guru Swarup Mishra