World cup 2011: आज ही के दिन धौनी के छक्के ने रचा था इतिहास, भारत दूसरी बार बना था वर्ल्ड चैंपियन, वीडियो देखें
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी का श्रीलंका के खिलाफ 2011 विश्व कप फाइनल में लगाया विजयी छक्का भला कौन भूल सकता है. जिसने भी उस मैच को देखा वो उस रोमांच को एक बार फिर से जरूर जीना चाहता है.
दिन दो अप्रैल 2011. भारत-श्रीलंका के बीच विश्वकप का फाइनल. यह एक लाइन आज भी हृदय गति बढ़ा देने और फिर सुखद अहसास के लिए काफी है. दो अप्रैल 2011 को याद करते ही जेहन में कई सारी तस्वीरें घूमने लगती हैं. धौनी को वो छक्का हो या फिर युवराज सिंह के वो आंसू जो जीत के बाद निकले थे. आज ही के दिन भारतीय टीम ने वानखेडे में खेले गए फाइनल में श्रीलंका को छह विकेट से हराकर दूसरी बार वर्ल्ड कप जीता था.
That bat swing – That look during the final flourish 😍😍
Today in 2011, the 28-year old wait came to an end 😎😎 #ThisDayThatYear pic.twitter.com/XFEibKDrdk— BCCI (@BCCI) April 2, 2019
युवा पीढ़ी के लिए 1983 में कपिल देव के वर्ल्ड कप (World Cup) जीतने की यादें सिर्फ तस्वीरों के जरिए जिंदा थीं. लेकिन महेंद्र सिंह धौनी की कमान में भारतीय टीम ने अपने घर में 28 साल के लंबे अंतराल के बाद 2011 में खिताब जीत करोड़ों देशवासियों का सपना पूरा किया. टीम ने खिताब सचिन तेंदुलकर को समर्पित किया, जो वर्षों से दिल में विश्व चैंपियन टीम का हिस्सा बनने का सपना संजोए हुए थे. वानखेड़े स्टेडियम में मिली जीत ने पूरे देश को खुशी के रंग में सरोबार कर दिया था. ऐसा जश्न पहले कभी किसी ने नहीं देखा था. इसके साथ ही भारतीय टीम वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के बाद तीसरी ऐसी टीम बनी, जो दो या इससे अधिक बार खिताब पर कब्जा करने में सफल रही.
इस मैच में महेंद्र सिंह धौनी ने 79 गेंदों में नाबाद 91 रन बनाए. धौनी ने कुलाशेखरा की गेंद पर विजयी छक्का जड़ा. उनके इस शॉट के बाद स्टेडियम में बैठे दर्शकों के अलावा पूरा देश खुशी से झूम उठा था. उनका ये शॉट आज लैंडमार्क बना.
फाइनल का किस्साभारत के लिए इस मैच की शुरुआत अच्छी नहीं रही थी जब महेंद्र सिंह धोनी टॉस हार गए थे. इस दवाब वाले मैच में श्रीलंका ने 6 विकेट पर 274 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया. महेला जयवर्धने 13 चौकों की मदद से 103 रन बनाकर नाबाद रहे. उन्होंने कप्तान कुमार संगकारा (43) के साथ तीसरे विकेट के लिए 62 रन जोड़े थे. नुवान कुलसेकरा और थिसारा परेरा ने उपयोगी योगदान दिया था. इससे पहले कभी भी वर्ल्ड कप फाइनल में शतक बनाने वाले बल्लेबाज की टीम हारी नहीं थी और कोई भी मेजबान देश वर्ल्ड चैंपियन नहीं बना था. इससे पहले हुए फाइनल मुकाबले में अधिकांश बार बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीमों को हार का सामना करना पड़ा था.
टारगेट का पीछा करते हुए भारत के दोनों ओपनर्स (सचिन और सेहवाग) 31 रनों के अंदर पैवेलियन लौट गए थे. ऐसे में गौतम गंभीर ने मोर्चा संभाला और उन्हें युवा विराट कोहली (35) ने अच्छा साथ दिया. विराट के आउट होने पर सबको चौंकाते हुए फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह की जगह कप्तान धौनी क्रीज पर उतरे और उन्होंने इतिहास रच दिया. गंभीर दुर्भाग्यशाली रहे और मात्र तीन रनों से शतक चूके. उन्होंने 9 चौकों की मदद से 97 रन बनाए. इसके बाद धौनी (91 नाबाद) ने युवराज सिंह (21 नाबाद) के साथ भारत को जीत की मंजिल तक पहुंचाया.
ये था खास पलधौनी ने कुलसेकरा की गेंद पर छक्का लगाया और पूरा देश खुशी से झूम उठा. भारतीय क्रिकेट टीम 28 साल बाद वनडे वर्ल्ड कप विजेता बनी. देश भर में प्रशंसक जश्न में डूब गए. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का विश्व विजेता बनने का सपना पूरा हो चुका था. टीम ने इस दिग्गज को कंधे पर बिठाया और पूरे स्टेडियम का चक्कर लगाया.