World Day Against Child Labour 2023: बाल श्रम जैसे अभिशाप को समाप्त करने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा प्रत्येक वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है. यह दिवस बाल श्रम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और इसे पूरी तरह समाप्त करने के लिए व्यक्तियों, सरकारी और गैर सरकारी संगठनों को प्रोत्साहित करने के रूप में मनाया जाता है. इसे विश्व बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस भी कहा जाता है. आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
साल 1973 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ ने 138वें सम्मेलन में न्यूनतम आयु पर लोगों का ध्यान केंद्रित किया, जिसका मकसद सदस्य देशों को रोजगार की न्यूनतम आयु बढ़ाने और बाल मजदूरी को समाप्त करना था. इसके 29 साल बाद साल 2002 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) ने बाल श्रम रोकने का मुद्दा विश्व पटल पर रखा. साल 2002 में सभी देशों की सर्वसम्मति से एक कानून पारित हुआ, जिसके तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से मजदूरी करवाना अपराध घोषित किया गया. वर्तमान में इस श्रम संघ के लगभग 187 सदस्य देश शामिल हैं. बाल श्रम पर नियंत्रण को एक राष्ट्रीय मुद्दा मानते हुए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संघ को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और भी देश इस मुहिम से जुड़ेंगे.
इस साल विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की थीम “सभी के लिए सामाजिक न्याय, बाल श्रम का खात्मा!”(Social Justice for All, End Child Labour!) है.
भारत में बालश्रम की समस्या दशकों से प्रचलित है. भारत सरकार ने बालश्रम की समस्या को समाप्त क़दम उठाए हैं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 खतरनाक उद्योगों में बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाता है. भारत की केंद्र सरकार ने 1986 में बालश्रम निषेध और नियमन अधिनियम पारित कर दिया. इस अधिनियम के अनुसार बालश्रम तकनीकी सलाहकार समिति नियुक्त की गई. इस समिति की सिफारिश के अनुसार, खतरनाक उद्योगों में बच्चों की नियुक्ति निषिद्ध है. 1987 में, राष्ट्रीय बालश्रम नीति बनाई गई थी.