हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह (डायबिटीज) दिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को इस बीमारी से बचाव के प्रति जागरूक करना है. अच्छी सेहत के लिए डायबिटीज रोग से दूरी आवश्यक है. इस साल का थीम नो योर रिस्क, नो योर रिस्पांस है. चिकित्सकों के अनुसार इसका अर्थ है कि खुद ही इस बीमारी को लेकर जागरूक बनें. जागरूकता ही इस बीमारी का एकमात्र बचाव है. झारखंड रिसर्च सोसाइटी के अनुसार झारखंड के शहरी इलाकों में 20 प्रतिशत से ज्यादा लोग बी टाइप डायबिटीज से पीड़ित हैं. डायबिटीज को आधुनिक जीवनशैली की देन कहा जा सकता है. यह एक ऐसा रोग है, जो अपने साथ कई और बीमारियों को लेकर आता है. ऐसे में जीवन शैली में बदलाव के लाकर हम डायबिटीज रोग को काफी हद तक दूर रह सकते है.
मधुमेह के दुष्प्रभाव
डायबिटीज अनियंत्रित रहने पर रक्त शुगर अधिक बढ़ जाता है. इसका गंभीर असर रक्त धमनियों, आंखों और किडनी के अलावा शरीर के जोड़ों और हड्डियों पर पड़ता है. मधुमेह को अनियंत्रित छोड़ देने से पैरों में अल्सर और संक्रमण के अलावा डायबिटिक फुट की समस्या हो सकती है. इसमें पैरों को काटने तक की नौबत आ सकती है. इसके अलावा ओस्टियोपोरोसिस और ऑर्थराइटिस की दिक्कत भी बढ़ सकती है. यह देखा गया है कि जिन लोगों को यह बीमारी नहीं है, उनकी तुलना में मधुमेह रोगियों में यह समस्याएं बहुत अधिक होती हैं. मधुमेह के मरीजों में फ्रेक्चर देर से ठीक होता है.
मधुमेह के लक्षण
प्यास अधिक लगना, लगातार पेशाब आना, अत्यधिक भूख लगना, बिना वजह शरीर का वजन घटना, पेशाब में किटोन की उपस्थिति, लगातार थकान का होना, चिड़चिड़ापन का होना, अचानक वजन बढ़ना.
40 की उम्र वाले जरूर करायें जांच : डॉ राजीव
सदर अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ राजीव सिंह ने बताया कि 40 की उम्र वालों को डायबिटीज की जांच जरूर करानी चाहिए. खासकर उन लोगों के लिए जांच करानी जरूरी है, जिनको जल्दी थकान महसूस होती है. शुरुआत में शुगर बढ़ने की जानकारी मिल जाये, तो लोग खान-पान में सुधार कर इससे बच सकते हैं. इसके साथ जीवनशैली में बदलाव कर इस बीमारी से बचा जा सकता है.
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