World Environment Day 2022: कभी मिनी शिमला कहलाया बिहार का यह इलाका, अब पांच गर्म जिलों में हो गया शामिल
बिहार के जमुई जिला को कभी मिनी शिमला कहा जाता था. लेकिन देखते ही देखते अब वो दौर भी आ गया जब ये जिला सूबे के गर्म जिलों में टॉप 5 के अंदर आता है. जानिये क्या है इस बदलाव की वजह...
गुलशन कश्यप, जमुई: हावड़ा-दिल्ली मुख्य रेलखंड पर ट्रेन की यात्रा के दौरान जैसे ही रेलगाड़ी जमुई जिले में प्रवेश करती है यहां के हसीन जंगली क्षेत्र लोगों को खूब लुभाते हैं. देवघर की तरफ से आते ही सबसे पहला रेलवे स्टेशन सिमुलतला मिलता है जो मिनी शिमला के नाम से मशहूर है.
सैलानियों को खूब आकर्षित करता रहा सिमुलतला
सिमुलतला जमुई जिले का एक ऐसा वन्य इलाका है जो अपनी सुंदर संरचना और सुहाना मौसम के कारण सैलानियों को खूब आकर्षित करता रहा है.साल दर साल यहां अलग-अलग प्रदेश से सैलानी गर्मी के मौसम का लुफ्त उठाने आया करते थे. यहां कई सारी कोठियां हैं जो आज भी इस बात का गवाह है कि किस कदर यहां का मौसम लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है, लेकिन अब स्थिति बदलने लगी है.
बिहार के पांच गर्म जिलों में शुमार जमुई
2022 में जमुई जिला बिहार के पांच गर्म जिलों में शुमार हो गया है, तापमान में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है. जिस जिले में गर्मी के मौसम में रात के वक्त चादर का सहारा लेना पड़ता था, वहां एसी-कूलर के बिना लोगों का काम नहीं चल रहा है. इतना ही नहीं यहां के जंगली क्षेत्र भी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं और यही कारण है कि मौसम में लगातार परिवर्तन आया है.
Also Read: प्रभात खबर संगोष्ठी: विश्व पर्यावरण दिवस पर लें शपथ, खुद को जिंदा रखने के लिए अब बेहद जरूरी हैं ये काम…
लॉकडाउन में सुधरी थी स्थिति
हालांकि बीते वर्ष लॉकडाउन के दौरान मौसम की स्थिति में सुधार देखने को मिला था, लेकिन सब कुछ सामान्य होने के बाद स्थिति एक बार फिर पूर्ववत हो गई है. ऐसे तो कहने के लिए जमुई का वनावरण में सकल वृद्धि के दृष्टिकोण से दूसरे स्थान पर है. किंतु इसके बावजूद यहां का मौसम अन्य जिलों के मुकाबले काफी शुष्क और आर्द्र हो गया है.
जमुई जिले में गिद्धेश्वर पर्वतमाला की भूमिका
सिमुलतला के अलावे जमुई जिले में गिद्धेश्वर पर्वतमाला भी शुमार है, जो यहां के मौसम में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती थी. पर गिद्धेश्वर का जंगली आवरण भी कम होता जा रहा है. जमुई जिले की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह तीन तरफ से जंगलों से घिरा है तथा जमुई जिले के सकल क्षेत्रफल का 20.89 फीसद वनीय इलाका है लेकिन इसके बावजूद भी जमुई जिला प्रचंड गर्मी की मार झेल रहा है.
लगातार काटे जा रहे जंगल, एक बड़ा कारण :
जिले की दो तस्वीरें वर्तमान में जंगलों की स्थिति को दर्शाती है एक तरफ गिद्धेश्वर का पर्वतीय श्रृंखला और इसका घना जंगली क्षेत्र देखा जा सकता है. तो वहीं दूसरी तरफ किस हिसाब से पेड़ों की कटाई हो रही है, यह भी देखा जा सकता है. हालांकि बीते कुछ वर्षों में वन एवं पर्यावरण विभाग के द्वारा पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई गई है. लेकिन इसके बावजूद भी पूर्णतया रोक लगाना संभव नहीं हो पाया है. इसका एक बड़ा कारण जमुई जिले का नक्सल प्रभावित होना भी माना जाता है.
धडल्ले से काटे जाते पेड़
जिन इलाकों में पेड़ काटे जाते हैं वहां आमतौर पर पुलिस और विभागीय पदाधिकारी जाने से परहेज करते हैं. इसके अलावा वन एवं पर्यावरण विभाग के द्वारा यह दावा भी किया जाता है कि बीते कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में पेड़ लगाए भी गए हैं. बताते चलें कि वर्तमान समय में जिले का कुल 153112.15 एकड़ क्षेत्र वनाच्छादित है. जिसमें 71566.17 एकड़ आरक्षित वन भूमि है जो जमुई जिले के भौगोलिक क्षेत्रफल का 20.89 फीसद है.
10 वर्षों में लगातार बढ़ा तापमान
आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते 10 वर्षों में जमुई जिले का तापमान लगातार बढ़ा है. जिस जमुई जिले में कभी 38 से 39 डिग्री सेल्सियस तक अधिकतम तापमान हुआ करता था, वहां गर्मी के दिनों में सामान्य तापमान 42 से 45 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है. इस वर्ष की अगर बात करें तो अधिकतम तापमान 48 डिग्री तक पहुंच गया है. मई में भीषण गर्मी पड़ी है और यह आलम बीते 10 वर्षों से बदस्तूर जारी है. ऐसे में जिस जमुई जिले में लोग गर्मी से बचने के लिए छुट्टियां मनाने आया करते थे वहां के लोग भी अब गर्मी से बचने के लिए एसी-कुलर का सहारा लेने लगे हैं.
बीते 10 वर्षों में जमुई जिले का तापमान
-
17 मई 2022 : 42 डिग्री सेल्सियस
-
04 मई 2021:39 डिग्री सेल्सियस
-
26 मई 2020 :43 डिग्री सेल्सियस
-
30 मई 2019 :44 डिग्री सेल्सियस
-
26 मई 2018 :48 डिग्री सेल्सियस
-
14 मई 2017: 46 डिग्री सेल्सियस
-
17 मई 2016 :46 डिग्री सेल्सियस
-
21 से 30 मई 2015:46 डिग्री सेल्सियस
-
23 मई 2014 :45 डिग्री सेल्सियस
-
27 मई 2013 : 43 डिग्री सेल्सियस
Posted By: Thakur Shaktilochan