World Health Day 2023: नये विकल्पों के साथ हेल्थकेयर सेक्टर में रखें कदम
World Health Day 2023: हेल्थकेयर सेक्टर एक व्यापक कार्यक्षेत्र हैं. आप अगर इस सेक्टर में भविष्य बनाना चाहते हैं, तो डॉक्टर व नर्स जैसे विकल्पों से इतर भी कई बेहतरीन राहें मौजूद हैं. जानें आपके लिए कौन-सी राह बेहतर कल का माध्यम बन सकती है...
World Health Day 2023: भारतीय हेल्थकेयर सेक्टर बीते दशक में कई पायदान आगे बढ़ा है. देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में विकास के लिए हाल में भारत सरकार ने विश्व बैंक के साथ 500 मिलियन डॉलर के ऋण पर हस्ताक्षर किये हैं. ऐसे ही महत्वपूर्ण कदमों के साथ भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है. हेल्थकेयर सेक्टर एक व्यापक कार्यक्षेत्र हैं. आप अगर इस सेक्टर में भविष्य बनाना चाहते हैं, तो डॉक्टर व नर्स जैसे विकल्पों से इतर भी कई बेहतरीन राहें मौजूद हैं. जानें आपके लिए कौन-सी राह बेहतर कल का माध्यम बन सकती है…
महामारी के मुश्किल दौर का सामना करने के बाद देश के हेल्थकेयर सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाये जा रहे हैं. वर्ष 2023-24 के बजट में केंद्र सरकार ने करीब 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ हेल्थ सेक्टर के लिए 89,155 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं. साथ ही 157 नये मेडिकल कॉलेज स्थापित किये जाने समेत अन्य घोषणाएं भी की हैं. हाल में विश्व बैंक और भारत ने देश के हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को समर्थन देने और बढ़ाने के लिए 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के दो सप्लीमेंट्री लोन पर हस्ताक्षर किये हैं. वहीं, श्रम सांख्यिकी ब्यूरो (बीएसएल) ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में 2019 से 2029 के बीच रोजगार में 14 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जताया है. ऐसे में आप अगर चिकित्सा से संबंधित इस क्षेत्र में भविष्य बनाना चाहते हैं, तो डॉक्टर या नर्स से इतर अन्य विकल्पों के साथ आगे बढ़ सकते हैं.
बन सकते हैं लैब टेक्नीशियन
कोरोना के बाद लोगों में स्वास्थ्य के प्रति सजगता बढ़ी है. मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नीशियन रोगियों के रोग की स्थिति का पता लगाकर उन्हें जल्द उपचार प्राप्त कराने में अहम भूमिका निभाते हैं. इन्हें रक्त व अन्य सैंपल लेने, उनका लैब टेस्ट करने एवं टेस्ट के परिणामों का विश्लेषण करने जैसी अन्य जिम्मेदारियां निभानी होती हैं. सैंपल की जांच से प्राप्त परिणामों के आधार पर मरीज की मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने के साथ लैब टेक्नीशियन को मरीज का लॉगइन मेडिकल रिकॉर्ड भी तैयार करना होता है. मौजूदा दौर में अस्पतालों, क्लीनिकों, पैथोलॉजी लैब और डायग्नोस्टिक सेंटर में इनके लिए काम के मौके कई गुना बढ़ गये हैं.
कोर्स एवं योग्यता
लैब टेक्नीशियन बनने के लिए आपको मान्यताप्राप्त बोर्ड से न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ साइंस स्ट्रीम में बारहवीं पास करना होगा. इसके बाद आप बीएससी इन मेडिकल लैब टेक्नीशियन (बीएमएलटी) या डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्नीशियन (डीएमएलटी) कोर्स कर सकते हैं.
संस्थान
पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़. वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज, नयी दिल्ली. चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश. चंडीगढ़ विश्वविद्यालय. जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली आदि संस्थानों से आप बीएससी इन मेडिकल लैब टेक्नीशियन कर सकते हैं. वहीं गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली. जिपमर, पुडुचेरी. नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, मध्य प्रदेश आदि से मेडिकल लैब टेक्नीशियन में डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं.
ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट की है डिमांड
शारीरिक व मानसिक अशक्तता यानी फंक्शन डिसेबिलिटी से पीड़ित मरीज को मेडिकल सहायता प्रदान कर उन्हें सहज जीवन जीने के लिए तैयार करने का काम ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट करते हैं. मरीज की डिसेबिलिटी शारीरिक या मानसिक दोनों प्रकार की हो सकती है. बढ़ती उम्र, लंबे समय से चली आ रही बीमारी, विकासगत समस्याएं आदि किसी भी कारण से मरीज अपनी दिनचर्या का ठीक से पालन नहीं कर पाता, ऐसे में ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट मरीज की क्षमता के अनुसार उसे ज्यादा से ज्यादा सहज करने की कोशिश करता है. यह सबसे तेजी से उभरते मेडिसिन के क्षेत्रों में से एक है. इसमें शारीरिक व्यायाम एवं उपकरणों के जरिये कई जटिल रोगों का इलाज किया जाता है. शारीरिक रूप से अशक्त होने या आर्थराइटिस व न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होने पर ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट की मदद ली जाती है. यही कारण है कि इन प्रोफेशनल्स को ह्यूमन एनाटॉमी, बोन स्ट्रक्चर, मसल्स एवं नर्वस सिस्टम आदि की जानकारी भी रखनी पड़ती है.
कोर्स एवं योग्यता :
फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी में बारहवीं पास करने के बाद ऑक्यूपेशनल थेरेपी में बैचलर, मास्टर, डिप्लोमा और डॉक्टोरल कोर्स कर सकते हैं.
संस्थान
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर द ऑर्थोपेडिकली हैंडिकैप्ड, कोलकाता. पं दीनदयाल इंस्टीट्यूट फॉर फिजिकली हैंडिकैप्ड, नयी दिल्ली. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन, मुंबई. क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर. यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास, चेन्नई.
रेडियोलॉजिस्ट के लिए हैं अच्छी संभावनाएं
मौजूदा दौर में ऐसी कई बीमारियां हैं, जिनका आकलन करने के लिए एक्स-रे किया जाता है. यह कार्य रेडियोलॉजिस्ट करते हैं. रेडियोलॉजिस्ट इस बात की निगरानी भी करते हैं कि एक्स-रे लेते वक्त मरीज और आस-पास के लोगों पर रेडियोएक्टिव किरणों का साइड इफेक्ट न हो. इसके अलावा वे रेडियोग्राफिक उपकरणों की देखभाल और रोगियों के रिकॉर्ड भी मेंटेन करते हैं.
कोर्स एवं योग्यता :
फिजिक्स, केमिस्ट्री व बायोलॉजी में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं पास करनेवाले छात्र रेडियोलॉजिस्ट के रूप में करियर बना सकते हैं. रेडियोलॉजी टेक्नीशियन बनने के लिए सर्टिफिकेट इन रेडियोग्राफी (एक वर्ष), डिप्लोमा इन एक्स-रे टेक्नीशियन (एक वर्ष), पीजी डिप्लोमा इन रेडियो थेरेपी टेक्नोलॉजी ( दो वर्ष), बीएससी इन रेडियोलॉजी (तीन वर्ष) आदि कोर्स कर सकते हैं.
संस्थान
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नयी दिल्ली. दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, नयी दिल्ली. टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई. क्रिश्चियन मेडिकल स्कूल, वेल्लोर, तमिलनाडु, बीजे मेडिकल कॉलेज, अहमदाबाद, गुजरात.
बनें डेंटल असिस्टेंट
डेंटल असिस्टेंट के रूप में करियर हेल्थकेयर इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण प्रोफेशन में से एक है. इनका काम दांत या मुंह की सर्जरी या ऑपरेशन से पहले, उसके दौरान एवं ऑपरेशन के बाद होने वाले डेंटल प्रोसीजर में डॉक्टर को सहयोग प्रदान करना होता है. दंत चिकित्सा के दौरान इस्तेमाल होनेवाले उपकरणों को स्टेरलाइज करना व सभी उपकरणों को उपयोग किये जाने की स्थिति में रखना डेंटल असिस्टेंट की जिम्मेदारी होती है. इसके अलावा मरीज को अपॉइंटमेंट देना भी इनके काम में शामिल है. डेंटल असिस्टेंट के लिए सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों, डेंटल क्लीनिकों में जॉब के अवसर होते हैं. अच्छे अनुभव के बाद ये सोलाे डेंटल प्रैक्टिशनर के तौर पर भी काम कर सकते हैं.
कोर्स एवं योग्यता :
डेंटल असिस्टेंट के रूप में करियर बनाने के लिए उम्मीदवार साइंस से बारहवीं करने के बाद डेंटल असिस्टेंट का डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स कर सकता है.
संस्थान
एम्स, दिल्ली. क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर. पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़. सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज, पुणे. डी वाई पाटिल विश्वविद्यालय, नवी मुंबई. बीजे मेडिकल कॉलेज, अहमदाबाद. सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ.
हॉस्पिटल मैनेजमेंट में बन रहे हैं नये रास्ते
हॉस्पिटल मैनेजमेंट के तहत हेल्थकेयर एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट आता है, जो अस्पताल से संबंधित सभी व्यवस्थाओं पर नजर रखता है. अस्पताल से डॉक्टरों को जोड़ना, नये-नये उपकरणों और तकनीक की व्यवस्था करना इसी डिपार्टमेंट की कार्यप्रणाली का हिस्सा है. हॉस्पिटल के प्रॉफिट व बजट के अनुसार कर्मचारियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना भी हॉस्पिटल मैनेजमेंट डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी है. हॉस्पिटल मैनेजमेंट सेक्टर युवाओं को हॉस्पिटल मैनेजर या एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में करियर बनाने का मौका देता है. हॉस्पिटल मैनेजर के तौर पर आपके लिए प्राइवेट क्लीनिक, नर्सिंग होम आदि में काम के मौके होंगे.
कोर्स एवं योग्यता
साइंस स्ट्रीम से न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं पास करने के बाद आप बैचलर ऑफ हॉस्पिटल मैनेजमेंट में प्रवेश ले सकते हैं. यह तीन साल का कोर्स है. इसके बाद आप मास्टर ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन या एमबीए इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन भी कर सकते हैं. मास्टर कोर्स में प्रवेश के लिए आपको एंट्रेंस एग्जाम पास करना होगा. आप अगर आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं, तो डॉक्टोरल डिग्री एमडी, एमफिल भी कर सकते हैं. डिग्री कोर्सेज के अलावा आप हॉस्पिटल मैनेजमेंट से संबंधित शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स और डिप्लोमा कोर्स भी कर सकते हैं.
संस्थान
एम्स, नयी दिल्ली. आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कॉलेज, पुणे. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर. फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, दिल्ली विश्वविद्यालय. बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, पिलानी.