World Literacy Day: झारखंड में साक्षरता अभियान को लेकर बड़कागांव की बनी विशिष्ट पहचान, पढ़ें पूरी खबर
हजारीबाग का बड़कागांव साक्षरता के मामले में पूरे राज्य में विशिष्ट पहचान बनाए हैं. इस प्रखंड में अब 5305 लोग ही निरक्षर रह गये हैं. इस प्रखंड की कुल जनसंख्या 1,10 958 है. वर्ष 2021 तक साक्षरता दर बढ़कर 79.02 प्रतिशत हो गया है.
World Literacy Day: साक्षरता के मामले में हजारीबाग जिला का बड़कागांव प्रखंड पूरे राज्य में विशिष्ट पहचान बनाए हैं. यहां के बीपीएम विशेश्वर राम एवं उत्प्रेरक तथा वॉलिंटियर शिक्षकों की बलबूते साक्षरता दर के मामले में बड़कागांव प्रखंड पूरे झारखंड राज्य में 2012 से लेकर 2018 तक अव्वल दर्जा प्राप्त किया. यहां साक्षरता अभियान की शुरुआत वर्ष 1996 में हुआ था. बड़कागांव प्रखंड के कुल जनसंख्या 1,10 958 है जिसमें 2018 तक मात्र 7787 लोग ही निरक्षर रह गए थे, जो अब 2021 तक घट कर 5305 हो गए. यहां कुल 77.13% साक्षरता दर था. इसमे से पुरुष साक्षरता 55% एवं महिला साक्षरता प्रतिशत दर 48% है. बीपीएम विशेश्वर राम ने बताया कि 2018 से लेकर 2021 तक साक्षरता दर बढ़कर 79.02% हो गया है.
बीपीएम विशेश्वर राम को मतदाता दर बढ़ाने में मिला उत्कृष्ट पुरस्कार
बड़कागांव प्रखंड के बीपीएम विशेश्वर राम ने बताया कि साक्षरता के मामले में बेहतर काम करने को लेकर 15 नवंबर, 2008 को राज्य सरकार द्वारा राजकीय पुरस्कार दिया गया था. साथ ही साक्षरता कर्मियों द्वारा मतदाता दर बढ़ाने में भी हजारीबाग जिले में उत्कृष्ट पुरस्कार 25 जनवरी, 2013 को उपायुक्त द्वारा दिया गया था.
5305 लोग रह गए निरक्षर
बड़कागांव प्रखंड में ‘साक्षर भारत’ कार्यक्रम की अवधि समाप्त होने के बावजूद 15 या इससे अधिक आयु वर्ग के लगभग 7,787 लोग निरक्षर थे, जो अब 2018 से 2021 तक 5305 लोग निरक्षर रह गए हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां इस आयु वर्ग के लगभग 37,396 लोग निरक्षर थे. इनमें से 29,609 लोगों को इस कार्यक्रम के तहत साक्षर करते हुए उन्हें राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान से आकलन परीक्षा लेकर साक्षर होने को प्रमाणपत्र दिया गया है.
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साक्षर भारत कार्यक्रम का केंद्र स्थापित
राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण द्वारा संचालित ‘साक्षर भारत’ कार्यक्रम के दौरान अबतक बड़कागांव प्रखंड की प्राइस पंचायतों में साक्षर भारत कार्यक्रम का केंद्र स्थापित किया गया है. प्रखंड के संचालक प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक विशेश्वर राम हैं. साक्षरता केंद्रों का देखभाल करने के लिए 46 उत्प्रेरक हैं. इन्हें देखभाल करने के लिए साइकिल मिला हुआ है. पैसा खाता केंद्रों में कुर्सी, टेबल, अलमीरा, हारमोनियम, ढोल सहित 22 सिलाई मशीन, टीवी आदि सामग्री मिला हुआ है.
2020 में नव साक्षर भारत अभियान की हुई शुरुआत
मालूम है कि 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत शुरू हुए इस कार्यक्रम की अवधि इस साल 31 मार्च, 2018 को ही खत्म हो गई थी. इसे 30 सितंबर तक के लिए अवधि विस्तार मिला हुआ था. अगली अवधि विस्तार की कोई सूचना केंद्र से नहीं मिली है. 2020 में नव साक्षर भारत अभियान शुरुआत हुआ, लेकिन यह तीन महीने तक चला. विशेश्वर राम ने बताया कि 2022 के लिए उपायुक्त के पास चिट्ठी आयी है, लेकिन अब तक नव साक्षर भारत अभियान शुरू नहीं की गई है. साक्षरता दोबारा शुरू करने के लिए शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से मिल चुके हैं. उन्होंने दोबारा नव साक्षर भारत अभियान चलाने के लिए आश्वासन दिया है.
2017 से मानदेय नहीं मिला
बड़कागांव प्रखंड के बीपीएम विशेश्वर राम ने बताया कि साक्षरता कर्मियों को जुलाई 2017 से मार्च 2018 तक मानदेय नहीं मिला है. नव साक्षर भारत अभियान का तीन महीने का भी मानदेय नहीं मिला है. बीपीएम को 6000 एवं उत्प्रेरक को 2000 प्रतिमाह मानदेय मिलने का प्रावधान है, जबकि वालंटियर शिक्षकों को मानदेय नहीं मिलता है. जब मानदेय की मांग पूरे भारत में होने लगी, तो मामले की जांच पड़ताल को लेकर 2018 में ही स्थगित कर दिया गया. तब से साक्षरता अभियान का कार्य नहीं हो रहा है.
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रिपोर्ट : संजय सागर, बड़कागांव, हजारीबाग.