World Meteorological Day: आप भी बन सकते हैं मौसम वैज्ञानिक, ऐसे करें तैयारी

हर साल 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस (वर्ल्ड मीटिअरोलॉजी डे) मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को वायुमंडल की रक्षा करने के प्रति जागरूक करना और युवाओं को मीटिअरोलॉजी के क्षेत्र में बन रही संभावनाओं से अवगत कराना है.मौसम विज्ञान में युवाओं के लिए करियर के बेहतरीन मौका है.

By Prabhat Khabar News Desk | March 23, 2023 12:50 PM
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World Meteorological Day: मौसम विज्ञान, वायुमंडलीय विज्ञान की एक शाखा है, जिसमें मौसम, जलवायु और उन कारकों के बारे में अध्ययन किया जाता है, जो पर्यावरण में परिवर्तन का कारण बनती हैं. सरल शब्दों में कहें, तो यह मौसम और मौसम की भविष्यवाणी का अध्ययन है. मौसम विज्ञान के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले प्रोफेशनल्स को मीटिअरोलॉजिस्ट, क्लाइमेटोलॉजिस्ट और एटमॉस्फेरिक साइंटिस्ट कहा जाता है. एक मौसम विज्ञानी का मुख्य कार्य वायुमंडलीय स्थितियों के बारे में जानकारी एकत्र करना और उसका विश्लेषण करना होता है. आप अगर मौसम विज्ञान में रुचि रखते हैं, तो स्कूली शिक्षा के बाद मीटिअरोलॉजिस्ट बनने की तैयारी शुरू कर सकते हैं.

आपके लिए है यह क्षेत्र

मान्यताप्राप्त संस्थान से साइंस स्ट्रीम यानी फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स या बायोलॉजी के साथ 12वीं करनेवाले छात्र मीटिअरोलॉजी या एटमॉस्फेरिक साइंस में स्नातक कर सकते हैं. स्नातक के बाद पीएचडी व रिसर्च के क्षेत्र में भी जा सकते हैं. मीटिअरोलॉजी का कोर्स छात्र में इस क्षेत्र से संबंधित कई स्किल्स, जैसे डेटा कलेक्शन, डेटा एनालिसिस, फोरकास्टिंग, कंप्यूटर मॉडलिंग आदि विकसित करता है. इस विषय में छात्रों को वैश्विक वायुमंडल, मौसम मापन और विश्लेषण, वायुमंडलीय ऊष्मप्रवैगिकी, वायुमंडलीय भौतिकी, मौसम विश्लेषण और पूर्वानुमान, समुद्री मौसम विज्ञान आदि के बारे में बारीक जानकारी एकत्र करना सिखाया जाता है.

आवश्यक स्किल्स

इस करियर को चुनने वाले युवाओं के पास अच्छा डेटा एनालिसिस स्किल, कम्युनिकेशन स्किल, प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल व समय पर निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए. उन्हें मौखिक व लिखित दोनों तरीके से निष्कर्षों और भविष्यवाणियों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने में सक्षम होना चाहिए. उत्कृष्ट कंप्यूटर कौशल बहुत जरूरी है, क्योंकि मौसम विज्ञान एडवांस टेक्नोलॉजी और सॉफ्टवेयर पर निर्भर करता है.

मीटिअरोलॉजी की हैं कई ब्रांच

  • फिजिकल मीटिअरोलॉजी : इसमें सोलर रेडिएशन, पृथ्वी में विलयन एवं वायुमंडलीय व्यवस्था आदि का अध्ययन किया जाता है.

  • क्लाइमेटोलॉजी : क्लाइमेटोलॉजी में किसी क्षेत्र या स्थान विशेष की जलवायु का अध्ययन किया जाता है. कुछ महीनों के लिए किसी एक क्षेत्र में अध्ययन कर उस क्षेत्र के जलवायु प्रभाव और उससे होने वाले बदलावों के बारे में विस्तार से शोध किया जाता है.

  • सिनॉप्टिक मीटिअरोलॉजी : इसमें कम दबाव के क्षेत्र, वायु, जल, चक्रवात, दबाव स्तर एवं एकत्र किया जाने वाला मानचित्र जो पूरे विश्व के मौसम का सिनॉप्टिक व्यू बताता है आदि की जानकारी प्राप्त की जाती है.

  • डायनेमिक मीटिअरोलॉजी : इसमें गणितीय सूत्रों के जरिये वायुमंडलीय प्रक्रियाओं का अध्ययन करते हैं.

  • एग्रीकल्चर मीटिअरोलॉजी : इस शाखा में वैज्ञानिकों द्वारा फसलों की पैदावार एवं उससे होने वाले नुकसान में मौसम संबंधी सूचनाओं का आकलन किया जाता है.

  • अप्लाइड मीटिअरोलॉजी : इसमें एयरक्राफ्ट डिजाइन, वायु प्रदूषण एवं नियंत्रण आर्किटेक्चरल डिजाइन, अर्बन प्लानिंग, एअर कंडिशनिंग, टूरिज्म डेवलपमेंट आदि के प्रति थ्योरी रिसर्च करते हैं.

करियर राहें हैं यहां

आजकल जलवायु परिवर्तन के कारण आनेवाली प्राकृतिक आपदाओं ने दुनिया को हिलाकर रख दिया है. हाल में तुर्की व सीरिया में आया भूकंप इसका ताजा उदाहरण है. इस तरह की घटनाओं के पूर्वानुमान के लिए मौसम वैज्ञानिकों की भूमिका व कार्यक्षेत्र बढ़ गया है. एक मीटिअरोलॉजिस्ट के रूप में आप मौसम प्रसारण स्टेशनों, पर्यावरण एजेंसियों, सरकारी एजेंसियों जैसे मौसम विज्ञान विभागों, सैन्य विभाग, उपग्रह अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्रों, रेडियो और टेलीविजन स्टेशनों और वैश्विक मौसम केंद्रों में काम के अवसर प्राप्त कर सकते हैं. एग्रीकल्चर, एयर-पॉल्यूशन कंट्रोल, एयर एवं सी ट्रांसपोर्ट, मिलट्री ऑपरेशंस, स्पेस आदि ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां कुशल मौसम विज्ञानी की आवश्यकता होती है. आप चाहें तो शोध व अध्यापन के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना सकते हैं.

इन संस्थानों से कर सकते हैं पढ़ाई

  • आईआईटी खड़गपुर, पश्चिम बंगाल.

  • भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु.

  • देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर.

  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटिअरोलॉजी, पुणे.

  • पंजाब यूनिवर्सिटी, पटियाला.

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