प्रो धर्मेंद्र प्रताप सिंह
जनसंख्या के तमाम आकलनों से ऐसा पता चलता है कि भारत आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ पहले नंबर पर पहुंच गया है. संयुक्त राष्ट्र ने इस वर्ष अप्रैल में बताया था कि भारत की आबादी अप्रैल के अंत तक 1,425,775,850 यानी एक अरब 42 करोड़ से ज्यादा हो जायेगी और वह चीन से आगे निकल जायेगा. रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि चीन की आबादी वर्ष 2022 में 1.426 अरब के शिखर पर जाकर घटनी शुरू हो गयी है. यह भी अनुमान व्यक्त किया गया कि चीन की आबादी इस सदी के अंत तक एक अरब से नीचे पहुंच जायेगी. वहीं, भारत में अभी कई दशकों तक जनसंख्या बढ़ती रहेगी.
भारत में आबादी का एक बड़ा हिस्सा युवाओं का है. भारत के सामने लोगों को एक बेहतर और टिकाऊ सामाजिक और आर्थिक जीवन उपलब्ध कराने की चुनौती है. भारत में 15 वर्ष से कम उम्र के युवाओं की संख्या 30 प्रतिशत है, जो चीन के 17 प्रतिशत से कहीं ज्यादा है. साथ ही, भारत में काम करने योग्य आबादी की संख्या भी चीन से अधिक है. पिछले वर्षों में, दोनों ही देशों के लिए विशाल आबादी लाभप्रद साबित हुआ करती थी, मगर चीन में जहां आबादी घटती जा रही है, वहीं भारत में इस विशाल कामगार आबादी को रोजगार देना और उसकी गुणवत्ता कायम रखना एक चुनौती बनी हुई है. महिलाओं को रोजगार के मामले में भी भारत की चुनौती बड़ी है. चीन में 65 प्रतिशत महिलाएं काम करती हैं. इसके मुकाबले भारत में एक तिहाई से भी कम महिलाएं काम करती हैं.
आज के समय में किसी देश और उसकी आबादी का विकास सूचना प्रौद्योगिक के इस्तेमाल पर निर्भर हो गया है. भारत में लोगों की कंप्यूटर से जुड़ी तकनीकी कुशलता को समझने के लिए जनवरी 2020 से दिसंबर 2020 के बीच एक सर्वेक्षण किया गया, जिसे कोविड महामारी की वजह से 2021 के अगस्त तक बढ़ा दिया गया. सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के वर्ष 2030 तक के लिए तय सतत विकास के लक्ष्य के लिए जानकारियां जुटा कर उनका विश्लेषण करना था. इसी के तहत पहली बार, नेशनल सैंपल सर्वे के 78वें चक्र में भारत में कंप्यूटर साक्षरता के बारे में जानकारी जुटायी गयी.
इस सर्वे में कुछ चुने हुए समूहों में कंप्यूटर के इस्तेमाल से जुड़े कुछ सामान्य सवाल किये गये. पहला, क्या वह एक फाइल या फोल्डर को कॉपी और पेस्ट कर सकते हैं. दूसरा, क्या वह किसी एक ही दस्तावेज के भीतर कॉपी-पेस्ट के टूल का इस्तेमाल कर सूचनाओं को कॉपी या उन्हें इधर-उधर कर सकते हैं. तीसरा, क्या वह कोई दस्तावेज, तस्वीर या वीडियो को अटैच कर ई-मेल से भेज सकते हैं. चौथा, क्या वह एक साधारण स्प्रेडशीट में गणित के साधारण फॉर्मूलों का इस्तेमाल कर सकते हैं. पांचवां, क्या वह प्रिंटर, मॉडेम और कैमरा जैसे डिवाइसों को कंप्यूटर से जोड़ना जानते हैं. छठा, क्या वह प्रेजेंटेशन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर किसी टेक्स्ट, तस्वीर, ध्वनि, वीडियो या डेटा को प्रस्तुत कर सकते हैं. सातवां, क्या वह कंप्यूटर से किसी अन्य डिवाइस में फाइल ट्रांसफर कर सकते हैं. आठवां, क्या वह किसी सॉफ्टवेयर को खोज, डाउनलोड और इंस्टॉल कर सकते हैं. और अंतिम सवाल, कि क्या वह किसी खास प्रोग्रामिंग का इस्तेमाल कर एक कंप्यूटर प्रोग्राम लिख सकते हैं.
इन नौ प्रश्नों के आधार पर सर्वे में भारत में 15 से 65 वर्ष के लोगों के कंप्यूटर कौशल को समझने का प्रयास किया गया. सर्वे में पाया गया कि भारत की लगभग तीन-चौथाई यानी 74 प्रतिशत आबादी को कंप्यूटर का जरा भी इस्तेमाल करना नहीं आता. गांवों में लगभग 20 फीसदी लोगों को थोड़ी-बहुत जानकारी है, जबकि शहरों में लगभग 40 फीसदी लोगों को कंप्यूटर इस्तेमाल की बुनियादी समझ है यानी गांवों की तुलना में शहरों में दोगुना लोगों को कंप्यूटर की जानकारी है. इस अंतर के मुख्य कारणों में एक बड़ा कारण कंप्यूटर प्रशिक्षण की सुविधा की कमी थी, वे चाहे सरकारी केंद्र हों या या निजी कोचिंग संस्थान.
यह पाया गया कि शिक्षण संस्थान ग्रामीण आबादी के कम खर्च करने की क्षमता को देखते हुए गांवों के बजाय शहरों पर ज्यादा ध्यान देते हैं. कंप्यूटर कौशल के मामले में महिलाओं की स्थिति पुरुषों के मुकाबले काफी कमजोर पायी गयी. पुरुषों में जहां ये कौशल 33 प्रतिशत पाया गया, वहीं महिलाओं में यह केवल 20 प्रतिशत है. इसके पीछे सामाजिक, सांस्कृतिक और लोगों का रवैया बड़े कारण हैं. अधिकतर परिवारों में पुरुष सदस्य को महिलाओं की तुलना में ज्यादा मौके दिये जाते हैं. शोध के अनुसार, शहरों में मर्दों में 43 प्रतिशत और औरतों में 34 प्रतिशत, तथा गांवों में मर्दों में 25 प्रतिशत और औरतों में 13 प्रतिशत आबादी कंप्यूटर का इस्तेमाल जानती है.
ऊपर वर्णित जिन सवालों के साथ सर्वेक्षण किया गया, उनमें जिस कौशल को सबसे ज्यादा लोग जानते थे, वह कॉपी और पेस्ट जैसी चीजें थीं. शहरों में हर 10 में से दो और गांवों में हर 10 में से एक व्यक्ति को ईमेल भेजना आता था. अन्य कौशलों की जानकारी के मामले में भी प्रतिशत बहुत कम था. सबसे कम ज्यादा लोगों को कंप्यूटर के प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के बारे में थी. पिछले तीन सालों में कोविड महामारी की वजह से कंप्यूटर के इस्तेमाल को लेकर जागरुकता बढ़ी है. साथ ही, मोबाइल फोन और स्मार्टफोन की वजह से भी लोगों को तकनीक की बेहतर समझ होने में मदद मिली है, लेकिन लोगों में कंप्यूटर की समझ अब भी बहुत कम है. ऐसे में खास तौर पर, ग्रामीण और शहरी देशों के अंतर को दूर करने के लिए सरकारी और निजी संस्थाओं को बहुत ध्यान से प्रयास करने होंगे. कंप्यूटर की समझ का यह मुद्दा साक्षरता से भी जुड़ा है.
नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे के 2019-21 के अनुसार भारत में 74 प्रतिशत आबादी साक्षर है. भारत की तुलना में चीन में साक्षरता का दर 97 प्रतिशत है यानी आबादी में भारत के बराबर का देश चीन शिक्षा में बहुत आगे है. भारत में लगभग 28 प्रतिशत महिलाएं और लगभग 14 प्रतिशत पुरुष निरक्षर हैं. इसकी तुलना में, चीन में 15 साल से नीचे की उम्र के बच्चों की पढ़ाई अनिवार्य है, जिसका पालन नहीं करने पर सजा का प्रावधान है. इसके अतिरिक्त, फंक्शनल लिटरेसी यानी ठीक से पढ़-लिख सकने वाले लोगों की संख्या भारत में 60 प्रतिशत है, जबकि चीन में यह 90 प्रतिशत है. भारत अभी दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है. आर्थिक प्रगति जारी रखने के लिए देश में साक्षरता बढ़ाने के साथ-साथ ज्यादा-से-ज्यादा आबादी को कंप्यूटर जैसे कौशल सिखाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
(ये लेखक के निजी विचार हैं)