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राष्ट्रीय डाक सप्ताह हर साल 9 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक मनाया जाता है
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हम आपको बताने जा रहे हैं राष्ट्रीय डाक टिकट संग्रहालय के बारे में जो दिल्ली में स्थित है
World Post Day 2023, National Philatelic Museum Tour: विश्व डाक दिवस हर साल आज यानी 9 अक्टूबर को मनाया जाता है. इस दिवस की शुरुआत 1969 में हुई थी उसी साल पहला विश्व डाक दिवस मनाया गया था. भारत में डाक सेवा से कई लोगों को रोजगार के अवसर मिले साथ ही इस सेवा ने सामाजिक और आर्थिक विकास में भी अपना योगदान दिया. भारत में राष्ट्रीय डाक सप्ताह हर साल 9 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक मनाया जाता है. इस खास मौके पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं राष्ट्रीय डाक टिकट संग्रहालय के बारे में जो दिल्ली में स्थित है. इस खास मौके पर इस जगह का टूर आपके लिए यादगार हो सकता है.
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जानें राष्ट्रीय डाक टिकट संग्रहालय के बारे में
डाक भवन, नई दिल्ली, भारत में राष्ट्रीय डाक टिकट संग्रहालय (एनपीएम) डाक विभाग द्वारा संचालित है. सुविधा. जो एक इमारत के भूतल पर स्थित है, 2011 में पुनर्विकास किया गया. अब इसमें प्रस्तुतियों और चर्चाओं के लिए एक एम्फीथिएटर, एक पुस्तकालय और एक क्षेत्र है जहां कलाकारों को काम करते हुए देखा जा सकता है, साथ ही डाक टिकटों और संबंधित वस्तुओं का प्रदर्शन भी किया जा सकता है.
कई लोगों को आकर्षित करती हैं डाक टिकट
संग्रहालय में कई फ़्रेम प्रदर्शित किए गए हैं जिनमें स्वतंत्रता के बाद के युग के टिकटों की प्रदर्शनी किसी भी ट्रैवलर को अपने आकर्षण से प्रभावित कर सकती है. फ्रेमों को अलग-अलग वर्गों में खूबसूरती से व्यवस्थित किया गया है जैसे शीटलेट्स के लिए अनुभाग, विभिन्न विषयों के लिए अनुभाग, विभिन्न देशों के टिकटों के लिए अनुभाग.
संग्रहालय विभिन्न स्कूलों के छात्रों के साथ नियमित आधार पर डाक टिकट कार्यशालाएँ आयोजित करता है. बच्चे कई कहानियां खोजते हैं जो टिकटें बता सकती हैं और सराहना कर सकती हैं कि कैसे ये रंगीन और आकर्षक टिकटें उनके लिए शैक्षिक और मनोरंजक हैं. संग्रहालय में एक स्मारिका दुकान भी है जो विभिन्न प्रकार के डाक टिकट उत्पाद जैसे टिकटें, वर्ष पैक, स्टांप एल्बम, चित्र पोस्टकार्ड, राष्ट्रीय डाक टिकट संग्रहालय का सचित्र रद्दीकरण और उपहार आइटम प्रदान करती है.
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मिलती है फ्री में इंट्री
पर्यटकों को भारतीय डाक विभाग द्वारा दी जाने वाली सेवाओं और सुविधाओं की एक झलक मिलती है. संग्रहालय कोई प्रवेश शुल्क नहीं लेता है. जब तक आपके पास संग्रहालय प्राधिकारियों से अनुमति न हो, आपको प्रदर्शन की तस्वीरें और वीडियो लेने की अनुमति नहीं है. आप यहां बस, टैक्सी या ऑटो रिक्शा से आसानी से पहुंच सकते हैं. संग्रहालय के नजदीक हनुमान मंदिर, राष्ट्रपति भवन और गुरुद्वारा बंगला साहिब जैसे कई अन्य पर्यटक आकर्षण हैं.
नए युग में अब पेमेंट बैंक तक पहुंचा
2018 में यह सिलसिला पेमेंट बैंक तक आ पहुंचा है. यानि अब डाकिया चिट्ठी-पत्री के साथ गांव और कस्बों के घर-घर तक बैकिंग सेवाएं भी पहुंचाएगा. इनमें बचत और चालू खाते के साथ मनी ट्रांसफर, बिल पेमेंट और एटीएम जैसी सुविधाएं शामिल हैं.
विश्व डाक दिवस का इतिहास
वर्ष 1840 के समय में इंग्लैंड में एक प्रणाली की शुरुआत की गई थी. इस प्रणाली के तहत जो भी डाक पत्र होते थें उन पर भुगतान पहले यानी प्रीपेड करना होता था. इस प्रणाली की शुरुआत सर रॉलैंड हिल द्वारा की गई थी. इस प्रणाली में पत्रों के लिए प्रीपेड भुगातने के साथ घरेलु सेवा के लिए एक श्रेणी निश्चित की गई थी, जिसमें समान भार वाले सभी पत्रों के लिए एक समान दर वसूल किया जाता था. इतना ही नहीं सर रॉलैंड हिल ने ही दुनिया की पहली डाक टिकट भी पेश की थी.
विश्व डाक दिवस महत्व
विश्व डाक दिवस के माध्यम से लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं. इस दिवस को मुख्य तौर पर लोगों में डाक सेवाओं की भूमिका के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है. इसके उद्देश्य की बात करें तो इसका मुख्य उद्देश्य देशों के विकास सेवा के आर्थिक और सामाजिक महत्व को आगे बढ़ाना है.