विश्व टीबी दिवस आज, सरायकेला खरसावां में दवा खाकर स्वस्थ हो रहे टीबी पीड़ित
सरायकेला-खरसावां जिला में टीबी के नियंत्रण के लिये सरकारी व गैर सरकारी प्रयास किये जा रहे है. जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी (डीआरसीएचओ) डॉ अजय कुमार सिन्हा के अनुसार टीबी के काफी संख्या में मरीज लगातार छह माह तक दवा खा कर स्वास्थ्य हो रहे है.
शचिंद्र कुमार दाश, सरायकेला. सरायकेला-खरसावां में सरकारी स्तर पर यक्ष्मा रोग (टीबी) के नियंत्रण के लिये चलाये जा रहे अभियान का असर जमीनी स्तर पर दिखने लगी है. सरकारी आंकडों पर गौर करें तो बीते तीन वर्षों में सरायकेला-खरसावां जिले में 5,660 लोग टीबी से ग्रसित मिले थे. समय पर जांच से टीबी की पहचान व उपचार कारण इन मरीजों से 5,125 मरीज स्वस्थ्य भी हो चुके हैं. बाकी 525 मरीजों का इलाज चल रहा है.
टीबी के नियंत्रण के लिये किये जा रहे प्रयास
सरायकेला-खरसावां जिला में टीबी के नियंत्रण के लिये सरकारी व गैर सरकारी प्रयास किये जा रहे है. जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी (डीआरसीएचओ) डॉ अजय कुमार सिन्हा के अनुसार टीबी के काफी संख्या में मरीज लगातार छह माह तक दवा खा कर स्वास्थ्य हो रहे है. ऐसे भी कई मरीज ऐसे भी पाए जाते हैं जिनको नौ माह से लेकर एक वर्ष तक दावा चलाना पड़ता है.
इस साल जांच में 2062 लोगों में टीबी की पुष्टि, 1538 लोग हुए स्वास्थ्य
जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी (डीआरसीएचओ) डॉ अजय कुमार सिन्हा बताते हैं कि पिछले एक वर्ष में 20,233 लोगों के सैंपल की बलगम की जांच हुई. इसमें से 2,063 लोगों में टीबी के बीमारी की पुष्टी हुई. लगातार दवा खाने के कारण इस वर्ष टीबी के 1538 मरीज स्वस्थ भी हो चुके है. इससे पूर्व जिले में वर्ष 2020-21 में सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा 10,635 लोगों के बलगम की जांच की गयी थी, जिसमें से 1,798 मरीज टीबी से पीड़ित पाए गए थे. इनमें से 1989 मरीज स्वस्थ भी हो गये. इसी तरह वर्ष 2021- 22 में 9,973 लोगों के सैंपल की जांच में 1,799 टीबी से संक्रमित मिले थे. इनमें से 1598 मरीज स्वस्थ हुए.
Also Read: खूंटी में डोडा की पिसाई करते एक गिरफ्तार, पुलिस ने जब्त किया गया मशीन और डोडा
सभी सीएचसी में होता है टीबी की निशुल्क जांच
टीबी की बीमारी माईकोबेकटेरियम ट्यूबरकलोसिस नामक जीवाणु से होता है, जो मुख्यतः फेफड़ो को संक्रमित करता है. टीबी बीमारी से ग्रसित व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकता है. टीबी की बीमारी से संक्रमित मरीज के खांसने और छींकने से इसके फैलती की संभावना बनी रहती है. इसलिए ज़ब भी किसी व्यक्ति को दो या दो सप्ताह से अधिक खांसी हो, बुखार, थकान, रात को पसीना आना आदि लक्षण दिखे तो तुरंत निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर बलगम की जांच करानी चाहिए.
पौष्टिक भोजन के लिये प्रतिमाह मिलते है 500 रुपये
जांच के उपरांत टीबी की पुष्टि होने पर सरकार द्वारा मरीज़ का निशुल्क इलाज किया जाता है. टीबी से ग्रसित मरीज को इलाज चलने तक सरकार द्वार 500 रुपए प्रति माह पौष्टिक आहार के लिए दिया जाता है. इसके साथ बलगम जांच कराते समय संक्रमित पाए जाने पर मरीज को फॉलोअप के रूप में 750 रुपया दिया जाता है.