World Tourism Day 2023: बुला रहीं झारखंड की वादियां

World Tourism Day 2023: झारखंड की वादियां आज भी पर्यटकों को बुलाती हैं. यहां की हरियाली व पहाड़ों में एक कशिश है, जो सबको मंत्रमुग्ध कर देती है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 27, 2023 10:55 AM

World Tourism Day 2023: पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख ने झारखंड की खूबसूरती का जिक्र अपने गीत में किया है. 1972 में उन्होंने लिखा था : झारखंड कर कोरा. ऊंचा-नीचा, पहाड़-पर्वत, नदी-नाला रैन रे बसेरा… उनके द्वारा लिखे गये गीत के बोल आज भी झारखंड की वादियों में सुनाई देते हैं. झारखंड की वादियां आज भी पर्यटकों को बुलाती हैं. यहां की हरियाली व पहाड़ों में एक कशिश है, जो सबको मंत्रमुग्ध कर देती है.

धार्मिक टूरिज्म के लिहाज से भी

सबसे बड़ी बात है कि झारखंड केवल जल, जंगल, पहाड़, नदी और नाला के लिए ही पर्यटकों की पसंद नहीं है. यह धार्मिक टूरिज्म के लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण है. जो भी व्यक्ति एक बार झारखंड आ जाता है, उसे यहां की आबोहवा इतनी पसंद आ जाती है कि वह या तो यहीं बस जाता है या बार-बार आता है. सरकारी स्तर पर पर्यटकों को रोकने या सुविधा देने के लिए काफी प्रयास नहीं हुए हैं. लेकिन, यहां की स्वत: निर्मित प्राकृतिक सुंदरता खुद में अद्भुत है. एक ओर पारसनाथ जैनियों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, तो वहीं देवघर में पूरे देश से पर्यटक आते हैं. इटखोरी (चतरा) का मंदिर और सिमडेगा का रामरेखा धाम धार्मिक दृष्टिकोण से पर्यटकों को खींचता है.

इको टूरिज्म के लिहाज से भी प्रसिद्ध हैं वादियां

झारखंड में करीब एक दर्जन अभ्यारण्य हैं. इनमें दलमा, बेतला जैसी सेंचुरी भी शािमल हैं. दलमा हाथियों के लिए, तो बेतला टाइगर रिजर्व के लिए प्रसिद्ध है. बेतला के आसपास एक इको टूरिस्ट सर्किट विकसित हो गया है. इनमें नेतरहाट, लोघ फॉल आदि शामिल हो गये हैं. इन पर्यटन स्थलों की ओर जाने वाले रास्ते भी आपको रोमांचित करते हैं. जमशेदपुर के पास दलमा और चांडिल डैम, तो सारंडा के साल का जंगल कभी भी जेहन से नहीं उतरता है. पतरातू की घाटियां और डैम तो खिंचती है‍ं. दुमका का मसानजोर डैम और मलूटी में मंदिरों की श्रेणी खुद में एक कहानी है.

विश्व प्रसिद्ध है देवघर बाबा मंदिर

देवघर का बाबा मंदिर और बासुकीनाथ का मंदिर देश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है. यहां सावन में मेला लगता है. इसमें झारखंड और आसपास के राज्यों से लाखों श्रद्धालु आते हैं. इसके अतिरिक्त पूरे साल यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगती रहती है. यहां आने वाले लोग बासुकीनाथ की पूजा करने जरूर जाते हैं. कई लोग यहीं से पश्चिम बंगाल का तारापीठ मंदिर भी जाते हैं. गिरिडीह में जिले में प्रसिद्ध पारसनाथ जैन मंदिर है. यह जैनियों का प्रमुख तीर्थस्थल है. इसके अतिरिक्त चतरा में इटखोरी मंदिर भी बौद्ध कला के लिए विख्यात है. झारखंड के देवघर और रजरप्पा जैसे धार्मिक स्थलों में देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से लेकर कई प्रसिद्ध लोग आ चुके हैं.

सबसे अधिक राजस्व मिल सकता है

झारखंड राज्य को अपार जैव-विविधता, सुंदर जलवायु, समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत, धार्मिक पूजा स्थल और जातीय पहलुओं का आशीर्वाद प्राप्त है. यह इसे एक पसंदीदा पर्यटन स्थल बनाता है. झारखंड में हाल के वर्षों में अधिक बुनियादी सुविधाओं, मौजूदा पर्यटक स्थानों में सुधार, नये पर्यटन स्थलों के विकास और राज्य में होटल और रेस्तरां सुविधाओं के विकास के कारण पर्यटन में काफी वृद्धि हुई है. झारखंड में पर्यटन से बहुत राजस्व प्राप्त हो सकता है.

डॉ निशिकांत कुमार, बीआइटी मेसरा

234 फीसदी अधिक टूरिस्ट आये 2021 में

1. झारखंड के पर्यटन

स्थल पूरे साल बने रहते हैं पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र

2. झारखंड के देवघर, रजरप्पा और पारसनाथ में पूरे साल आते हैं पर्यटक

2500 किमी के सफर में 131 पर्यटन स्थल

पर्यटन के लिहाज से राज्य की आबोहवा खास है. राज्य पर्यटन विभाग ने राज्य के पर्यटन स्थलों को चार हिस्सों में बांटा है. इनमें कुल 131 पर्यटन स्थल शामिल हैं. इसमें 31 स्थलों को अंतरराष्ट्रीय महत्व के रूप में चिह्नित किया गया है. वहीं, दूसरी श्रेणी में 26 राष्ट्रीय महत्व के, तीसरी श्रेणी में 38 राज्यस्तरीय महत्व के और चौथी श्रेणी में 36 पर्यटन स्थलों को स्थानीय महत्व के आधार पर चिह्नित किया गया है. राजधानी रांची के आसपास के इलाके में सर्वाधिक 17 पर्यटन स्थल हैं. यह संख्या राज्य के अन्य जिलों की तुलना में सर्वाधिक है. इन सभी पर्यटन स्थलों को 15 दिनों के सफर में घूमा जा सकता है. सफर 2500 किमी का होगा. जिससे एक-एक कर राज्य के 24 जिलों की विभिन्न लाेक-संस्कृति, पर्यटन स्थल और एतिहासिक धरोहर से परिचय प्राप्त किया जा सकेगा.

अंतरराष्ट्रीय महत्व के 31 पर्यटन स्थल

राज्य के 24 जिलों के 31 पर्यटन स्थलों को अंतरराष्ट्रीय महत्व की श्रेणी में शामिल किया गया है. इस सूची के टॉप में देवघर है. वहीं, राजधानी रांची में पांच पर्यटन स्थल हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय महत्व की श्रेणी में शामिल किया गया है.

  • देवघर : बैद्यनाथ धाम, त्रिकुट पहाड़ और रिखिया धाम.

  • साहिबगंज : ऊधवा पक्षी विहार.

  • दुमका : वासुकीनाथ धाम, मलुटी मंदिर और मसानजोर डैम.

  • हजारीबाग : हजारीबाग नेशनल पार्क और बरकट्ठा स्थित सूरज कुंड.

  • रामगढ़ : छिन्न मस्तिका मंदिर और पतरातू डैम.

  • गिरिडीह : मधुवन स्थित पारसनाथ.

  • चतरा : ईटखोरी और कौलेश्वरी.

  • धनबाद : मैथन डैम.

  • बोकारो : लुगु बुरू.

  • रांची : दशम फॉल, हुंडरू फॉल, जोन्हा फॉल, दिउड़ी मंदिर और बिरसा जैविक उद्यान.

  • खूंटी : पंचघाघ फॉल.

  • सिमडेगा : रामरेखा धाम.

  • गढ़वा : वंशीधर धाम.

  • लातेहार : नेतरहाट और

  • बेतला नेशनल पार्क.

  • सरायकेला खरसावां : चांडिल डैम.

  • पूर्वी सिंघभूम : जुबली पार्क और दलमा अभ्यारण्य.

  • पश्चिमी सिंहभूम : सारंडा जंगल व हिरणी फॉल.

रांची के आसपास कुल 17 पर्यटन स्थल

राजधानी रांची और इसके आसपास के क्षेत्र में सर्वाधिक 17 पर्यटन स्थल हैं. इनमें अंतरराष्ट्रीय महत्व के पांच हैं. राष्ट्रीय महत्व के चार : मैक्लुस्कीगंज, गेतलसूद डैम, जगन्नाथ मंदिर और पतरातू घाटी, राज्यस्तरीय महत्व के छह : बायो डायवर्सिटी पार्क, सीता फॉल, हटिया डैम, कांके डैम, टैगोर हिल व लतरातू स्थित साईं मंदिर और स्थानीय महत्व के दो पर्यटन स्थल: रॉक गार्डेन और ओरमांझी स्थित क्रोकोडाइल पार्क हैं.

सेलिब्रिटीज का पसंदीदा पर्यटन स्थल नेतरहाट

अभिनेता राजेश जैश ने कहा कि राज्य के पर्यटन स्थलों में सबसे सुंदर नेतरहाट है. यहां का सूर्यास्त और सूर्योदय लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ती है. यहीं कारण है कि अभी तक दो फिल्म धुमकुड़िया और एक अंक की शूटिंग पूरी कर चुका हूं.

अभिनेता रवि शाह ने कहा कि देश के कई पर्यटन स्थल घूम चुका हूं. पर, रांची के दशम फॉल जैसा जलप्रपात कहीं नहीं देखा. इसकी खासियत है कि लोग इसे करीब से देख सकते है. वहीं, इलाके के आस-पास छोटे-छोटे जलश्रोत सुकून देने का काम करती है.

अभिनेता कृष्ण भारद्वाज ने कहा कि प्रकृति को करीब से महसूस करने के लिए झारखंड के पर्यटन स्थल सबसे खास हैं. रांची का पंचघाघ इकलौता ऐसा जलप्रपात है, जहां लोग खुलकर मस्ती कर सकते हैं.

पहाड़ी मंदिर और टैगोर हिल भी खास हैं

अभिनेता इमरान जाहिद बीते दो दशक से मुंबई में रह रहे हैं, पर परिवार अभी भी बोकारो में है. उन्होंने कहा कि अपने शहर लौटने पर आसपास के दार्शनिक स्थल तक पहुंचना पहली प्राथमिकता होती है. इसमें हुंडरू फॉल, जोन्हा फॉल और दशम फॉल खास हैं.

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