एपीजे अब्दुल कलाम को याद कर भावुक हुए रेसलर संग्राम सिंह, राष्ट्रपति भवन में बढ़ाया था टीम का हौसला

कॉमनवेल्थ गेम्स पदक विजेता रेसलर संग्राम सिंह पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को याद कर भावुक हो गये. उन्हें दो बाद डॉ कलाम से मिलने का अवसर मिला है. उन्होंने याद किया कि किस प्रकार डॉ कलाम ने राष्ट्रपति भवन में उनकी टीम का हौसला बढ़ाया था.

By AmleshNandan Sinha | December 15, 2022 8:28 PM

कॉमनवेल्थ गेम्स पदक विजेता रेसलर संग्राम सिंह अपने खेल जगत की प्रसिद्धियों को लेकर युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. युवा खिलाड़ियों की मदद के लिए वह हमेशा प्रयासरत रहते हैं, इसके लिए उनकी हमेशा चर्चा होती है. समाज के आर्थिक विकास और पर्यावरण के बचाव में आये दिन हो रहे अभियान में संग्राम सिंह हमेशा अपना अमूल्य योगदान देते रहते हैं. खेल के माध्यम से देशवासियों से जुड़कर उनसे रू-ब-रू होने को संग्राम सिंह अपना सौभाग्य मानते हैं और सफलता का सारा श्रेय वो अपने मां, पिता और गुरु को देते हैं.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि संग्राम सिंह को जीवन मे आगे बढ़ने की प्रेरणा देश के पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत एपीजे अब्दुल कलाम से मिली है. एक समय जब राष्ट्रपति भवन में संग्राम सिंह और उनके साथी खिलाड़ी कुछ बात को लेकर असहज महसूस कर रहे थे, तब अब्दुल कलाम ने उनकी और पूरी टीम की हिम्मत बढ़ायी थी. संग्राम सिंह को अब्दुल कलाम जी से दो बार मिलने का मौका मिला था और इसे वो अपनी जिंदगी का सबसे बेहद अनुभव बताते हैं जिसे याद कर हाल ही में वो भावुक हो गये थे.

संग्राम सिंह कहते है कि मुझे आज भी याद हैं, एक बार राष्ट्रपति भवन में एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए रेसलिंग की टीम वहां गयी हुई थी. हममे से ज्यादातर खिलाड़ी गांव से आते हैं तो हमें वहां के कायदे कानून पता नहीं थे. राष्ट्रपति भवन में कप में गरम दूध पीते वक्त होठों से जोर-जोर से आवाज आने लगी, जैसा अक्सर गरम चाय पीते वक्त आती है. वहां पर मौजूद सभी बड़े लोग हमें अजीब सी नजरों से देखने लगे. हमें बड़ा असहज लगा.

जैसे ही पूर्व राष्ट्रपति कलाम साहब ने देखा कि हम थोड़ा असहज महसूस कर रहे हैं उसी वक्त वे हमारे करीब आये और कप की प्याली लेकर जोर से आवाज करके पीने लगे फिर हमें कहा कि आप लोग जैसे हो, वैसे ही रहो. किसी के सामने अपने हुनर को कम मत समझना. आप तीन लोग, इस पार्टी का सेंटर ऑफ अट्रैक्शन हो और फिर उसके बाद हमें उन्होंने बताया कि कैसे जिंदगी में उन्होंने कभी हार नही मानी.

संग्राम सिंह ने आगे बताया कि मुझे आज भी याद हैं उनकी बात, जिसने मुझे एक सीख दी थी कि आप अपनी तुलना किसी से मत करो अगर आप ऐसे करोगे तो आप आगे बढ़ नही पाओगे. दूसरों के लिए कृतज्ञता का भाव रखो और साथ ही जिंदगी में कभी हिम्मत मत हारो. मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे साल 2006 में खेल जगत में योगदान देने के लिए, इंडियन अचीवर अवार्ड उनके हाथों से दिया गया और साल 2019 में मुझे वर्ल्ड पीस ऑफ मैसेंजर का अवार्ड मिला. मैं यही कहता हूं कि वो सबसे बड़े शांति प्रिय पुण्यात्मा थे.वे एक प्रतिभाशाली शक्सियत थे.

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