Oldest Games of India: देवताओं द्वारा खेला जाने वाला मल्लयुद्ध है भारत का सबसे पुराना खेल, जानें इतिहास
प्राचीन काल से ही भारत में तरह-तरह के खेल खेले जाते रहे हैं. कई खेलों के प्रमाण तो हमें रामायण-महाभारत जैसे धार्मिक ग्रन्थों में भी देखने को मिलता है, जैसे कि- मल्लयुद्ध. मल्लयुद्ध भारत का एक पारम्परिक युद्धकला है. इसकी शुरुआत भारत में ही हुई थी.
भारत कई खेलों का जनक माना जाता है. प्राचीन काल से ही भारत में तरह-तरह के खेल खेले जाते रहे हैं. कई खेलों के प्रमाण तो हमें रामायण-महाभारत जैसे धार्मिक ग्रन्थों में भी देखने को मिलता है. ऐसा ही एक खेल है ‘मल्लयुद्ध’, जिसे भारत का सबसे प्राचीन खेल कहा जाता है. इसका इतिहास 5 हजार साल से भी पुराना है. हिन्दू धर्म के देवताओं को ही मल्लयुद्ध का जनक माना जाता हैं. हिन्दू देवताओं से लेकर राजा-महाराजा भी इस खेल को खेला करते थे और यह खेल आज भी मौजूद है. लेकिन क्या आपको पता है इस खेल को आज के समय में किस नाम से जाना जाता है? तो चलिए आज हम आपको बताते हैं मल्लयुद्ध खेल के कुछ रोचक इतिहास के बारे में.
मल्लयुद्ध क्या है?
मल्लयुद्ध भारत का एक पारम्परिक युद्धकला है. इसकी शुरुआत भारत में ही हुई थी. मल्लयुद्ध को आज के समय में खेले जाने वाले कुश्ती (Wrestling) का पूर्वज भी कहा जाता है. यह एक प्रकार का कुश्ती का खेल है. प्राचीन काल में मल्लयुद्ध खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता था, जहां सभी अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते थे. मल्लपुराण 13वीं शताब्दी में रचित एक ग्रन्थ है जिसमें मल्लयुद्ध का विस्तृत वर्णन है. मल्लपुराण में कुश्ती के विभिन्न प्रकारों का के बारे में लिखा है, इसमें कुश्ती में प्रयुक्त तकनीकों का विस्तृत वर्णन किया गया है.
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मल्लयुद्ध का खेल
मल्लयुद्ध में एक बार में दो खिलाड़ी मैदान में उतरते थे. इसमें खिलाड़ी एक दूसरे को पकड़ने, गिराने और शरीर के जोड़ों पर चोट करने का प्रयास करते थे. इस खेल को चार चरण में खेला जाता था. शुरुआती चक्र में तो इसमें ज्यादा खतरा नही होता था लेकिन अंत होते होते यह खेल काफी हिंसात्मक हो जाता था. यहां तक की खिलाड़ी एक दूसरे को मारने तक का प्रयास करते थे. खेल के दूसरे चरण में खिलाड़ी एक दूसरे को अपने हाथों से उठाने का प्रयास करते थे. तीन सेकंड तक उठाए रखने पर दूसरे खिलाड़ी को अंक दिया जाता था. मल्लयुद्ध के दूसरे राउंड की यह कला आज भी दक्षिण भारत में खेले जाने वाले मल्लयुद्ध में प्रचलित है.
मल्लयुद्ध के प्रकार
मल्लयुद्ध को चार अलग- अलग प्रकार से खेला जाता था. जैसा की हिन्दू देवाताओं को ही इस खेल के जनक माना जाता है. इसलिए देवाताओं और उस समय के शक्तिशाली योद्धा के नाम पर ही हैं इन प्रकारों का नाम रखा गया है.
हनुमंती – यह तकनीकी श्रेष्ठता पर केन्द्रित है. इसमें योद्धा अपने कौशल और अलग-अलग दांव का प्रदर्शन किया करते थे.
जम्बुवंती – इसमें खिलाड़ी की कोशिश विरोधी को पूरी तरह जकड़ने की होती थी. ताकि प्रतिद्वन्दी आत्मसर्मपण के लिये मजबूर हो जाए और हार मान लें.
जरासंधी – यह काफी खतरनाक माना जाता था. इसमें खिलाड़ी एक दूसरे के अंगों और जोड़ो को तोड़ने पर जोड़ देते थे.
भीमसेनी – जैसा की नाम से ही पता चलता है कि यह पूरी तरह ताकत पर केन्द्रित था. भीम को बहुत ही ताकतवर के जाना जाता है. इसमें शक्तिप्रदर्शन पर जोर दिया जाता था.