पुटकी, संजय कुमार रवानी. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2022 में गोपीनाथडीह पंचायत (धनबाद प्रखंड) से मुखिया प्रत्याशी रहीं कंचन देवी ने झारखंड हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर कर निर्वाचित मुखिया बिजेंद्र कुमार पासवान उर्फ बिजय कुमार पासवान के निर्वाचन को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है.
याचिका में कंचन देवी ने कही ये बातें
याचिका में कंचन देवी ने कहा है कि धनबाद जिला के धनबाद प्रखंड (सदर) अंतर्गत ग्राम पंचायत गोपीनाथडीह के नवनिर्वाचित मुखिया बिजेंद्र कुमार पासवान के बिहार एवं झारखंड दोनों राज्यों में जाति प्रमाण पत्र हैं. दोनों राज्यों में मतदाता सूची में भी उनके नाम अंकित हैं. यह असंवैधानिक है.
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2022 के पंचायत चुनाव में 30 वोट से हार गयीं थीं कंचन देवी
कंचन देवी ने यह भी कहा है कि मैं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2022 में गोपीनाथडीह पंचायत से मुखिया पद की प्रत्याशी थी. अंतिम चरण की मतगणना के बाद 30 मतों के अंतर से हार गयी. विजयी उम्मीदवार बिजेंद्र कुमार पासवान उर्फ बिजय कुमार पासवान ने चुनाव आयोग से इस तथ्य को छिपाया कि वह दोनों राज्यों में मतदाता हैं.
राज्य निर्वाचन आयोग में भी दर्ज करायी है शिकायत
उन्होंने कहा कि बिजय कुमार पासवान ने इस तथ्य को अपने शपथ पत्र में छुपा लिया. इस संदर्भ में मेरे एवं मेरे पति पूर्व मुखिया छोटू कुमार दास के द्वारा पूर्व में निर्वाची अधिकारी सह अंचल अधिकारी पुटकी एवं जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त धनबाद तथा राज्य निर्वाचन आयोग के यहां शिकायत दर्ज कराया जा चुका है.
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झारखंड हाइकोर्ट से कंचन देवी की अपील
चुनाव में दूसरे नंबर पर रहीं कंचन देवी ने रिट याचिका में मांग की है कि मुखिया बिजेंद्र कुमार पासवान उर्फ विजय पासवान के निर्वाचन को रद्द करते हुए उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करने का आदेश माननीय उच्च न्यायालय दें.
बिजय पासवान का निर्वाचन रद्द होना चाहिए : कंचन देवी
कंचन देवी ने कहा है कि उन्होंने झारखंड हाइकोर्ट में मुकदमा दायर किया है. मुखिया बिजय पासवान का निर्वाचन रद्द होना चाहिए. बिहार और झारखंड दोनों राज्यों में उनका जाति प्रमाण पत्र एवं वोटर लिस्ट में नाम अंकित है. यह असंवैधानिक है.
मुझ पर लगे सभी आरोप बेबुनियाद : बिजेंद्र पासवान
उधर, गोपीनाथडीह पंचायत के मुखिया बिजेंद्र पासवान उर्फ बिजय पासवान ने कहा है कि बिजेंद्र पासवान के नाम से अपने गांव में किसी प्रकार का लाभ नहीं लिया. अगर मेरे कागजात सही नहीं होते, तो मैं चुनाव कैसे लड़ पाता. मैं वर्ष 2010 में पंचायत समिति सदस्य का प्रत्याशी था. वर्ष 2015 में मेरी पत्नी मुखिया बनी और वर्ष 2022 में महिला/पुरुष सीट होने पर मैं स्वयं चुनाव लड़ा और जीता. मुझ पर लगाये गये सभी आरोप बेबुनियाद हैं.