Loading election data...

Yaariyan 2 Movie Review: भाई बहन के रिश्ते की कहानी यारियां 2… एंटरटेनमेंट के मामले में रह गयी है औसत

Yaariyan 2 Movie Review: दिव्या खोंसला कुमार और मीजान जाफ़री स्टारर यारियां 2 आज सिनेमाघरों में रिलीज हुई. रिश्तों की यह कहानी यहां भी बहन और भाइयों के ज़रिये कही गई है. भाई और बहन के रिश्तों पर यूं भी कम फ़िल्में बनती हैं, यह म्यूजिकल फ़िल्म अलग कोशिश करती है.

By Ashish Lata | March 7, 2024 11:37 AM

फ़िल्म – यारियां 2

निर्माता-टी सीरीज

निर्देशक- राधिका राव और विनय साप्रू

कलाकार- दिव्या खोंसला कुमार, मीजान जाफ़री, पर्ल वी पुरी, अनस्वरा राज, यश दासगुप्ता, मुरली शर्मा और अन्य

प्लेटफार्म – सिनेमाघर

रेटिंग- ढाई

2014 में रिलीज़ हुई टी सीरीज बैनर की फ़िल्म यारियां की यह फ़िल्म सीक्वल कहकर प्रचारित की जा रही है, लेकिन असल में यह फ़िल्म 2014 में ही रिलीज़ हुई मलयालम की सफ़लतम फ़िल्म बैंगलोर डायरीज का हिन्दी रिमेक है. रिश्तों की यह कहानी यहां भी बहन और भाइयों के ज़रिये कही गई है. भाई और बहन के रिश्तों पर यूं भी कम फ़िल्में बनती हैं, यह म्यूजिकल फ़िल्म अलग कोशिश करती है. विषय अलग भले हो लेकिन उसके साथ फ़िल्म का स्क्रीनप्ले और संवाद न्याय नहीं कर पाया है. इनके बजाय सेट्स, लोकेशन और किरदारों के कॉस्ट्यूम पर ज़्यादा मेहनत हो गई है, जिस वह से रिश्तों की यह यारियाँ औसत बनकर रह गई है.

कजिंस बाय ब्लड फ्रेंड बाय चॉइस का संदेश लिए है कहानी

फ़िल्म की कहानी तीन कजिंस लाड़ली (दिव्या), शिखर (मीजान) और बजरंग (पर्ल) की है, जो शिमला से हैं लेकिन तीनों की क़िस्मत उन्हें मुंबई ले आयी है. लाड़ली की शादी मुंबई में हुई है. इस शादी में सबकुछ है बस प्यार नहीं. शिखर एक बाइक रेसर है, लेकिन बाइक रेसिंग में उसे प्रतिबंधित कर दिया और पिता ने अपने प्यार से. वह भी परिवार से दूर मुंबई में सुकून तलाशने पहुंच जाता है और बजरंग की कॉर्पोरेट नौकरी मुंबई में है. वह भी दिल टूटने के दर्द से जूझ रहा है. कैसे यह तीनों एक दूसरे का सपोर्ट सिस्टम बनकर एक दूसरे की ज़िंदगी सुलझाते हैं,यही आगे की कहानी है.

फ़िल्म की खूबियां और ख़ामियां

फ़िल्म की कहानी की बात करें तो फ़िल्म मुख्य कहानी पर आने में काफ़ी समय लेती है, सेकेंड हाफ में फ़िल्म असल कहानी पर आती है, जिस वजह से फ़िल्म का फर्स्ट हाफ कमज़ोर रह गया है. तीनों कजिंस की यह कहानी है, लेकिन फ़िल्म के स्क्रीनप्ले में दिव्या के किरदार और बाद में मीजान के किरदार को ज़्यादा महत्व दिया गया है. पर्ल की कहानी को उतना स्पेस नहीं मिला है ,जितनी ज़रूरत थी. कई बार कहानी एक दूसरे में उलझती भी दिखती है, जो स्क्रीनप्ले की कमज़ोरी है. स्क्रीनप्ले में तीनों कजिंस की बाण्डिंग कैसे इतनी गहरी बनी है, इस पर फोकस नहीं किया गया है. स्क्रीनप्ले में इस बात पर फोकस करने की ज़रूरत थी. फ़िल्म सेकेंड हाफ में रफ़्तार पकड़ती है, दो क्लाइमेक्स शुरुआत में कहानी में हाई पॉइंट भी जोड़ते हैं, लेकिन आख़िर में वह प्रभावी ढंग से पर्दे पर नहीं आ पाते हैं. फ़िल्म कई जगहों पर फ़िल्मी हो गई है. फ़िल्म देखते हुए आपको इसकी लंबाई भी अखरती है. फ़िल्म के गीत संगीत अच्छा बन पड़ा है. ऊंची ऊंची दीवारें और बेवफ़ा तू इसमें याद रह जाता है. फ़िल्म का बैकग्राऊंड म्यूजिक भी अच्छा बन पड़ा है. फ़िल्म का कैमरावर्क भी अच्छा है. संवाद पर काम करने की ज़रूरत थी.

अभिनय में मीजान और यश चमके

अभिनय की बात करें तो यह फ़िल्म टी सीरीज़ बैनर की है, तो कहानी का चेहरा भी दिव्या खोंसला कुमार ही होंगी. कहानी का आधार भले ही वो हों, लेकिन उनका अभिनय फ़िल्म को वो आधार नहीं दे पाया है ,जो उसकी ज़रूरत थी. उनकी कोशिश उनकी पिछली फ़िल्मों के मुक़ाबले अच्छी है, लेकिन उन्हें अपने अभिनय पर और काम करने की ज़रूरत है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. मीजान जाफ़री का अभिनय ज़रूर प्रभावित करता है. पर्ल वी पुरी ने अपने इस डेब्यू फ़िल्म में अपने किरदार के साथ बखूबी न्याय करते हैं. यश दासगुप्ता और अनस्वरा का अभिनय भी अच्छा है. मुरली शर्मा और भाग्यश्री अपने अभिनय से फ़िल्म में अलग रंग भरते हैं. बाक़ी के किरदार भी अपनी -अपनी भूमिका में जंचे हैं.

Next Article

Exit mobile version