जमीन और मकान तक निगल गया यश चक्रवात, एक लाख से अधिक लोगों ने मांगा मुआवजा

अम्फान से भी घातक चक्रवात यश लोगों की जमीन, मकान तक निगल गया. एक लाख से अधिक लोगों ने मुआवजा मांगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 8, 2021 5:40 PM
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कोलकाताः अम्फान से भी ज्यादा घातक चक्रवात यश लोगों की जमीन और उनके मकान तक निगल गया. हजारों लोगों को भुखमरी के कगार पर पहुंचा दिया. हजारों लोग पलायन कर गये हैं और काफी संख्या में लोग दूसरी जगह जा रहे हैं. इस तूफान से प्रभावित एक लाख से अधिक लोगों ने पश्चिम बंगाल सरकार से मुआवजे की मांग की है. इन्होंने ममता बनर्जी की सरकार के ‘दुआरे त्राण’ योजना के तहत सहायता के लिए आवेदन दिये हैं.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि चक्रवात ‘यश’ की चपेट में आये 7 जिलों में सोमवार तक कम से कम 322 शिविर या संपर्क कार्यक्रम आयोजित किये गये, ताकि पात्र नागरिक प्रदेश सरकार के विभिन्न कल्याण कार्यक्रमों के तहत मुआवजा पाने के लिए सादे कागज पर लिखकर आवेदन दे सकें.

उन्होंने बताया कि प्रदेश के दक्षिण 24 परगना जिले में सबसे अधिक लगभग 50 हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं. 7 जून तक 174 शिविर आयोजित किये गये हैं. इसी प्रकार, पूर्वी मेदिनीपुर जिले में 15,500 आवेदन, उत्तर 24 परगना जिले में 12,650 और पश्चिमी मेदिनीपुर जिले में लगभग 9,000 आवेदन प्राप्त हुए हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा हावड़ा, हुगली और बीरभूम जिले से भी लगभग 10,000 लोगों ने आवेदन देकर मुआवजा मांगा है.

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ममता बनर्जी ने कहा, ‘सभी आवेदनों की जांच की जायेगी. हमें उम्मीद है कि शिविरों में और लोग आयेंगे.’ राज्य सरकार ने प्रदेश के चक्रवात प्रभावित जिलों के लोगों को मुआवजा व राहत देने के लिए इस योजना की घोषणा की है. प्रदेश में तीन जून से प्रभावित लोग आवेदन जमा करा रहे हैं, जबकि 18 जून तक लोग इस योजना के तहत आवेदन जमा करा सकेंगे. आवेदन की जांच और मुआवजे के वितरण समेत सभी प्रक्रिया आठ जुलाई तक पूरी कर ली जायेगी.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि करीब 2.21 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि व 71,560 हेक्टेयर की बागवानी की फसल यश चक्रवात के कारण नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि प्रदेश को इस तूफान के कारण 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

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बंगाल की खाड़ी के आखिरी गांव हो रहे खाली

मौसुनी और घोरामारा पश्चिम बंगाल में बंगाल की खाड़ी के आखिरी आउटपोस्ट हैं. ये पूरी तरह से खाली हो गये हैं. बंगाल ने दो साल में चार चक्रवात झेले हैं. मई 2019 में फैनी, नवंबर 2019 में बुलबुल, मई 2020 में अम्फान और मई 2021 में यश ने यहां सब कुछ तहस-नहस कर दिया. तबाह और बर्बाद कर दिया. सुंदरवन द्वीपसमूह में रह रहे 23,000 लोगों की स्थिति खराब हो गयी है.

सैकड़ों लोग पलायन कर चुके हैं. कुछ लोग अब भी अपना घर ठीक-ठाक करने में जुटे हैं. लेकिन, अधिकतर लोग ऐसे हैं, जिनकी हिम्मत अब जवाब दे चुकी है. उनका कहना है कि उन्होंने बहुत कुछ देखा और सहा है. हर साल, कुछ लोगों के घर समुद्र में समा जाते हैं. तूफान में टूट जाते हैं. समुद्र द्वीप पर लगातार कटाव होता है. चक्रवात यश ने तो कुछ लोगों का सब कुछ छीन लिया. किसी तरह लोगों की जान बच गयी.

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मौसुनी गांव में जन्मे माजिद शाह, जो फिलहाल बागडांगा गांव में रह रहे थे, कभी दो बीघा जमीन के मालिक थे. आज उनके पास कुछ नहीं बचा. यश चक्रवात के दौरान ऊंची लहरें आयीं और उनके घरों को बहा ले गयी. खारे पानी ने खेतों को नष्ट कर दिया. पशुओं की मौत हो गयी. फलस्वरूप लोगों ने यहां से पलायन करना ही उचित समझा. लोग कह रहे हैं कि बार-बार के तूफान ने उन्हें तोड़ दिया है. उनकी लड़ने और जीवित रहने की इच्छा खत्म हो गयी है.

वर्षों तक किसी दूसरी जगह पर बसने का विरोध करने वाले लोग ही अब अपने परिवारों के साथ पलायन करने के लिए मजबूर हैं. लोग काकद्वीप, कुलपी और लॉट नं 8 में शरण ले रहे हैं. वहीं अपना आशियाना बना रहे हैं. अध्ययन बताता है कि पारंपरिक ग्रामीण आजीविका प्रभावित होने के बाद अधिकांश घरों से कम से कम एक पुरुष केरल और तमिलनाडु जैसे दूर-दराज के राज्यों में जाने को मजबूर हो गया है.

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द्वीपों को जल्द ही रहने योग्य बनायेगी सरकार – बंकिम हाजरा

ममता बनर्जी की कैबिनेट में सुंदरबन विकास मंत्री बंकिम हाजरा कहते हैं कि लोगों के पलायन की जानकारी उन्हें है. लोगों की सहूलियत के लिए सरकार द्वीपों को जल्द रहने योग्य बनायेगी. श्री हाजरा ने कहा कि अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे परिवार हैं, जो रुके हुए हैं. हम उन्हें जल्द से जल्द रहने योग्य माहौल उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.


समुद्र किनारे से पलायन कर रहे लोग

जादवपुर यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ ओशनोग्राफी के प्रो सुगाता हाजरा ने समुद्र में द्वीपों के खो जाने के बारे में पहले ही चेतावनी दी थी. प्रो हाजरा ने कहा कि घोरमारा द्वीप का आकार 8 वर्ग किमी से कम रह गया है. कहा कि जो लोग द्वीप के बीचों-बीच रहते थे और जिनका 1990 के दशक में सागर द्वीप में पुनर्वास नहीं किया गया था, वे अब खुद समुद्र किनारे से पलायन कर रहे हैं.

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Posted By: Mithilesh Jha

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