मथुरा यम द्वितीया पर्व: हाथ थामकर हजारों भाई-बहनों ने यमुना में लगाई डुबकी, अकाल मृत्यु से बचने के लिए की पूजा

मथुरा में हजारों की संख्या में बहनों ने यम यमुना से अपने भाई की लंबी उम्र व स्वस्थ आयु की कामना करते हुए आशीर्वाद मांगा. इस दौरान भाई बहनों की भारी भीड़ यमुना के तीर्थ घाट विश्राम घाट पर मौजूद रही. घाट पर मौजूद पंडो ने भाई बहनों की विधि विधान से पूजा कराई.

By Sanjay Singh | November 15, 2023 12:54 PM

Mathura News: अपने भाई को यम की फांस यानी अकाल मृत्यु से बचाने के लिए हजारों बहनों ने बुधवार को यम द्वितीया पर भाई का हाथ थाम कर यमुना नदी डुबकी लगाई. इस दौरान विश्राम घाट पर सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही. यमुना में डुबकी लगाने के बाद भाई बहनों ने यम यमुना मंदिर में पूजन अर्चन किया और बहनों ने अपने भाई की सलामती की भगवान से प्रार्थना की. विश्राम घाट पर उमड़ी हजारों की भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने कड़ी व्यवस्था की है. बुधवार को सुबह से ही मथुरा के विश्राम घाट पर हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ पहुंचना शुरू हो गई. भाई बहनों ने बेहद श्रद्धाभाव से यम द्वितीया पर्व मनाया और यमुना नदी में डुबकी लगाई. इसके बाद भाई को आसन पर बैठा कर उनका तिलक किया और स्नेह आशीर्वाद दिया. इसके बाद बहनों ने विश्राम घाट की ओर जाने वाली सीढ़ी पर बने यमुना मंदिर में जाकर वैदिक विधि विधान से दीपक जलाकर पूजा अर्चना की.

मथुरा में हजारों की संख्या में बहनों ने यम यमुना से अपने भाई की लंबी उम्र व स्वस्थ आयु की कामना करते हुए आशीर्वाद मांगा. इस दौरान भाई बहनों की भारी भीड़ यमुना के तीर्थ घाट विश्राम घाट पर मौजूद रही. घाट पर मौजूद पंडो ने भाई बहनों की विधि विधान से पूजा कराई. साथ ही नगर निगम व पुलिस प्रशासन ने भी किसी भी घटना से निपटने के लिए व्यवस्थाओं को चाक चौबंद कर रखा था.

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जानें क्या है पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य की पत्नी संज्ञा की दो संतान थीं. पुत्र का नाम यम और पुत्री यमुना थी. संज्ञा अपने पति सूर्य की तेज किरणों को सहन नहीं करने के कारण उत्तरी ध्रुव में छाया बनकर रहने लगी. इसी से ताप्ती नदी और शनि का जन्म हुआ. इसी छाया से सदा युवा रहने वाले अश्विनी कुमारों का भी जन्म हुआ, जो देवताओं के वैद्य माने जाते हैं. उत्तरी ध्रुव में बसने के बाद संज्ञा (छाया) का यम और यमुना के साथ व्यवहार बदल गया.

इससे दुखी होकर यम ने अपनी नगरी यमपुरी बसाई. यमुना अपने भाई यम को पापियों को दंड देते देख दु:खी होती, इसलिए वो गोलोक चली गई. कई सालों बाद अचानक एक दिन यम को अपनी बहन यमुना की याद आई. यम ने अपने दूतों को यमुना का पता लगाने के लिए भेजा, लेकिन कहीं नहीं मिली. फिर यम खुद गोलोक गए, जहां यमुना जी मिलीं. इतने दिनों बाद यमुना अपने भाई से मिलकर बहुत खुश हुई.

यमुना ने भाई का स्वागत किया और अच्छा भोजन करवाया. इससे यम ने प्रसन्न होकर बहन से वरदान मांगने के लिए कहा. तब यमुना ने कहा कि जो मेरे जल में स्नान करे, वह यमपुरी नहीं जाए. इससे यम चिंतित हो गए भाई को ऐसे देख, यमुना फिर बोली जो लोग आज के दिन बहन के यहां भोजन करें तथा मथुरा नगरी के विश्राम घाट पर नहाएं, वे यमपुरी नहीं जाएं. यमराज ने ये बात मानकर वरदान दे दिया. बहन-भाई के मिलन के इस पर्व को अब भाई-दूज के रूप में मनाया जाता है.

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