Yami Gautam: Article 370 में अपनी भूमिका के लिए बहुत मुश्किल ट्रेनिंग से गुजरी हैं यामी गौतम धर… खुद किया खुलासा
Yami Gautam: यामी गौतम आर्टिकल 370 को बेहद खास करार देती हैं. वह इस फिल्म को अपनी पहली सोलो थिएट्रिकल रिलीज कहती हैं.
Yami Gautam: आर्टिकल 370 इस शुक्रवार सिनेमाघरों में दस्तक देने जा रही है. अभिनेत्री यामी गौतम इस फिल्म को बेहद खास करार देती हैं.वह इस फिल्म को अपनी पहली सोलो थिएट्रिकल रिलीज कहती हैं. वह यह भी बताती हैं कि उनके निर्देशक पति आदित्य धर के प्रोडक्शन की यह पहली फिल्म है. इसके साथ ही इस फ़िल्म के दौरान ही उन्हें उनकी प्रेग्नेंसी की गुड़ न्यूज बारे में भी मालूम पड़ा. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत.
उरी ने आपके करियर को एक नयी दिशा दी थी, इस फिल्म से क्या उम्मीदें हैं ?
मैंने जब पहली बार मीडिया से बात की तो यही कहा कि इतने सालों का संघर्ष ,इतने सालों की उम्मीद वो सब का सार ये फिल्म है. ३७० हटने से पहले कश्मीर के हालात हम में से किसी से छिपे नहीं हैं. उरी के बाद मुझे बहुत ही चैलेंजिंग रोल मिले,लेकिन इस फिल्म ने मुझे मेरे करियर की सबसे मुश्किल चुनौती से रूबरू करवाया है. उन चुनौतियों पर मैं कितनी खरी उतरी हूं. मुझे दर्शकों से इसकी प्रतिक्रिया का इंतजा र रहेगा.
मानसिक और शारीरिक चुनौतियों की बात करें तो इस फिल्म से जुड़ी वो क्या रही ?
वो तो स्क्रिप्ट पढ़कर ही समझ आ गया था कि ये सफर आसान नहीं रहेगा,लेकिन ये भी पता था कि इन मुश्किलों में ही ऐसे अनुभव मिलेंगे, जो मुझे हमेशा याद रहेंगे।हमारे मिलिट्री एडवाइजर केशवेन्द्र सिंह थे , एनएसजी से भूषण सर थे. उन्होंने कहा कि वेपन चलाना तो अलग बात है, पहले आपको वेपन पकड़कर एक ही पोजीशन में होल्ड करना सीखना होगा. उस समय आपको समझ आता है कि निश्चित तौर पर ये सबके बस की बात नहीं है. सेल्यूट हमारे ऑफ़िसर्स और आर्मी को जो इस तरह का काम करते हैं ,ताकि हम सुरक्षित रहे. ट्रेनिंग में ही हमारी जान निकल गई लेकिन बहुत मजा आया. वेपन ट्रेनिंग के अलावा हमारी फिजिकल ट्रेनिंग भी होती थी. हमारे कोच हैं ,मुस्तफ़ा वो साथ में थे. मैंने पांच से छह किलो वजन भी कम किया,लेकिन बहुत ही हेल्थी तरीके से. कोई सप्लीमेंट नहीं. ऐसे ऐसे एक्सरसाइज की जो पहले कभी नहीं किए थे. ज़मीन में लेटते हुए घुटने जमीन में टच नहीं होते थे और ना ही हथियार. मेरा ट्रेनिंग सेशन सब मिलाकर एक महीने का था.
पहली बार आप एक्शन कर रही हैं ,ऐसे में क्या इस बार शॉट के बाद मॉनिटर को ज्यादा देखा?
मैं मॉनिटर देखती हूं. बहुत कुछ सीन होते हैं ,जब मैं नहीं देखती हूँ लेकिन जब एक्शन सीन हो या कुछ और सींस हो तो मैं जरूर मॉनिटर देखना पसंद करती हूं. इस बात को कहने के साथ मैं बताना चाहूँगी कि फ़िल्म में मेरे दो से तीन बहुत ही इंटेंस सीन है ,लेकिन उसको करने के बाद मैंने मॉनिटर नहीं देखा क्योंकि मुझे मालूम था कि सुर सही लगे हैं लेकिन जहां मुझे थोड़ा भी डाउट लगता है. मैं मॉनिटर देखना पसंद करती हूं. कई बार मॉनिटर देखने के बाद आपको ये बात समझ आती है कि और बेहतर हो सकता है और अलग हो सकता है. वैसे ऐसा भी नहीं है कि मॉनिटर देखना ही है.अगर निर्देशक खुश है । समय कम है और शॉट ज़्यादा तो फिर मैं मॉनिटर नहीं देखती हूं.
आपकी प्रेग्नेंसी की खबर फिल्म की शूटिंग के दौरान ही मिली थी ,क्या ऐसे में फिल्म के एक्शन दृश्यों में कुछ बदलाव भी हुआ ?
ब्रेक बोलना गलत होगा. मैं फ्लो के साथ जाऊंगी. यह बहुत ही सौभाग्य की बात है. बच्चे की देखभाल करना है साथ ही साथ काम भी पूरी ज़िंदगी करना है. मैंने अपनी मम्मी को बैलेंस करते देखा है. वैसे इस साल मेरी एक फ़िल्म प्रतीक गांधी के साथ आनेवाली है. उसकी शूटिंग पूरी हो गई है. इसके अलावा एक फ़िल्म ऑफर हुई है ,लेकिन प्रेग्नेंसी के बाद उसे कब शूट करना शुरू कर पाऊंगी. इस पर फ़िलहाल कुछ भी कहना जल्दीबाज़ी होगी.
प्रेग्नेंसी ने दिनचर्या में क्या बदलाव लाया है ?
मैं पहले कभी इंटरव्यू के दौरान खाती पीती नहीं थी. अब जमकर खा पी रही हूं. एक स्टैण्डर्ड होता है कि इस दौरान आप अच्छा देखिए अच्छा सोचिए तो मैं भी यही करती हूं. बहुत ज़्यादा इंटरनेट नहीं पढ़ रही हूँ कि मुझे ऐसा क्यों हो रहा है. वैसा क्यों हो रहा है. जितना ज़्यादा आप सोचेंगे उतना परेशान होंगे. मैं बस इस फ़ेज़ के हर पल को इंजॉय करना चाहती हूं.
आदित्य इस दौरान आपका किस तरह से ख़्याल रख रहे हैं ,ट्रेलर लॉंच के दौरान उनका बेहद केयरिंग स्वभाव सामने आया था ?
मेरे लिये ये रोज़ की बात है. हम माता – पिता बनने वाले हैं इसलिए वो मेरा केयर कर रहे हैं. ऐसा नहीं है. वो हमेशा से मेरी बहुत केयर करते हैं. मैं अभी मीडिया में पढ़ रही हूं तो मुझे लग रहा है कि तीन साल हो गये वरना मुझे लग रहा था कि जैसे कल ही की तो बात है.
३७० जब रद्द किया गया था ,आपका क्या रिएक्शन था ?
मेरा वही रिएक्शन होता था ,जो उस वक़्त हर भारतीय का था. सभी को लगा था कि यह न्याय है. अगर हम पीछे मुड़कर देखें तो कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ उसकी भरपाई मुश्किल है. समय हैं आगे बढ़ने और उन्नति का लेकिन कहीं ना कहीं आर्टिकल ३७० को रद्द करके हमने उनके साथ थोड़ा ही सही इंसाफ़ किया है. वैसे यह हमारी पॉलिटिकल हिस्ट्री का सबसे अहम चैप्टर है.
मौजूदा दौर में लार्जर देन लाइफ फिल्में काफी सराही जा रही है ,यह फ़िल्म वुमन सेंट्रिक है ऐसे में क्या प्रेशर ज़्यादा है ?
मुझे लगता है कि आर्टिकल ३७० की कहानी ही इसका हीरो है. वैसे मैं अपने पति आदित्य धर की तारीफ़ करना चाहूंगी , वो फ़िल्म के निर्माता हैं. वो चाहते तो आसानी से इस फ़िल्म को मेल सेंट्रिक फ़िल्म बना सकते थे और प्रॉफिट कमा सकते थे ,लेकिन उन्होंने बहुत ही बेबाक़ तरीक़े से कास्टिंग की है, वही किया है ,जो असल है. यह असल में महिला किरदारों की ही कहानी है. वैसे दर्शक भेदभाव नहीं करता है. अच्छी कहानी और अच्छे परफॉरमेंस को वह हमेशा सराहना करता है ,फिर चाहे वह मेल सेंट्रिक हो या फ़ीमेल.
इनदिनों पॉलिटिकल फिल्में ज़्यादा बन रही हैं लेकिन अभी भी बहुत कम एक्टर्स खुलकर अपना पॉलिटिकल व्यू रखते हैं , इस पर आपकी क्या राय है ?
पॉलिटिकल व्यूज़ हर किसी के होते हैं. अगर बोलना है तो आपका हक है और रिज़र्व रखना है तो भी आपका अपना हक है. एक्टर्स के बातों को कई बार गलत तरीक़े से प्रस्तुत कर दिया जाता है ,जिससे कई बार बातें बिगड़ी हैं. ऐसे में अच्छा हो अगर हम अपने व्यूज़ रिज़र्व रखें. वैसे जब हम वोट भी करते हैं ,तो खुलेआम नहीं करते हैं. वो हम प्राइवेट में करते हैं.
आदित्य के प्रोडक्शन हाउस में आपकी क्या ज़िम्मेदारी होती है ?
मैथ्स मेरा कभी अच्छा नहीं रहा है. मेरा जो योगदान है, वह क्रिएटिव में ही रहता है. स्क्रिप्ट पर पर बहुत काम होता है ,तो उससे मैं भी ज़ुड़ती हूं. काफ़ी अलग -अलग फ़िल्में हम बनाने वाले हैं.