आगरा. नमामि गंगे योजना के तहत यमुना को स्वच्छ बनाने के लिए पिछले 9 सालों में 4 राज्यों में कुल 1697 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन यमुना फिर भी गंदी बनी हुई है. मयथुरा के एक युवा अधिवक्ता की ओर से आरटीआई के जरिए मांगी गई जानकारी में यमुना पर खर्च का खुलासा हुआ है. युवा अधिवक्ता देवांशु खंडेलवाल ने बताया कि 9 साल में 1600 करोड़ से अधिक का आवंटन किया गया, लेकिन जमीन पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा है. देवांशु जल्द ही यमुना शुद्धिकरण की मांग को लेकर मथुरा कोर्ट में मुकदमा दायर करने की तैयारी कर रहे हैं.
यमुना के शुद्धिकरण को लेकर देवांशु ने पिछले दिनों एक आरटीआई दाखिल की थी. जल शक्ति मंत्रालय से यमुना की सफाई को लेकर चल रहे कार्यों और खर्च की जानकारी मांगी गई थी.आरटीआई के जवाब में मंत्रालय ने जानकारी दी है कि नमामि गंगे योजना के लिए राष्ट्रीय मिशन के तहत 2014-15 से 31 मार्च 2023 तक यमुना को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए 4 राज्यों में 1697 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.
स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन ने हिमाचल प्रदेश के सिंचाई विभाग को यमुना शुद्धिकरण के लिए 3.75 करोड़ रुपये दिए गए. हरियाणा के सार्वजनिक स्वास्थ्य और इंजीनियरिंग विभाग को 89.61 करोड, दिल्ली के जल बोर्ड द्वारा 1329.29 करोड़ और उत्तर प्रदेश के मथुरा में हाइब्रिड वार्षिकी मोड़ प्रोजेक्ट पर 225.32 करोड़ रुपये खर्च किए गए. मथुरा के औद्योगिक क्षेत्र और प्रदूषण निवारण द्वारा 9.52 करोड रुपए खर्च किए गए हैं. युवा अधिवक्ता देवांशु खंडेलवाल ने कहा कि 9 साल में 1600 करोड़ से अधिक की राशि आवंटित की गई, लेकिन जमीन पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा है.