सलाउद्दीन, हजारीबाग:
कर्पूरी ठाकुर भारत रत्न के पूरे हकदार थे. उन्हें भारत रत्न और पहले मिलना चाहिए था. मुझे यह जानकारी मिलने पर बहुत खुशी हुई है. मैं अपने जीवन में जितने नेताओं के साथ काम किया हूं. उनमें कर्पुरी ठाकुर शीर्ष दो-तीन नेताओं में शामिल हैं. उपरोक्त बातें पूर्व वित्त मंत्री और कर्पूरी ठाकुर के मुख्यमंत्री कार्यकाल में उनके प्रधान सचिव रहे यशवंत सिन्हा ने कही है. बता दें कि यशवंत सिन्हा ने मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के कार्यकाल में दो साल तक प्रधान सचिव के रूप में काम किया. इन दो सालों के में उनके साथ उनका कार्यकाल कैसा बीता इन सारी बातों को उन्होंने साझा किया है.
ईमानदारी की मिशाल :
यशवंत सिन्हा ने बताया कि कर्पूरी ठाकुर इतने ईमानदार थे कि जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है. उनके परिवार के लोग पटना में उनके साथ नहीं रहते थे. घर समस्तीपुर में था. मुझे एक बार समस्तीपुर स्थित उनके घर जाने का मौका मिला. परिवार का कोई भी व्यक्ति हमलोगों के सामने नही आया करता था. घर में मौजूद एक लकड़ी के स्टूल में मुझे बैठने के लिए दिया गया. कर्पूरी जी की पत्नी ने मुझे चाय बनाकर पिलाया था.
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विलक्षण प्रतिभा के धनी:
यशवंत सिन्हा ने बताया कि वित्त आयोग की टीम को पटना आना था. उनकी मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर जी के साथ बैठक थी. प्रधान सचिव होने के नाते हमलोग चाहते थे कि वित्त आयोग के समक्ष चर्चा को लेकर एक बातचीत अधिकारियों की ओर से हो जाय. लेकिन कर्पूरी ठाकुर को समय नहीं मिला. इस बात को लेकर हमलोग काफी चिंतित थे. लेकिन जब वित्त आयोग के साथ उनकी बातचीत हुई, तो उन्होंने बखूबी से बिहार के सभी मामलों को रखा. उस दिन से उनकी प्रतिभा का कायम हो गया. कर्पूरी ठाकुर की तीन बातें मुझे बेहद पंसद थी. पहला ईमानदारी, दूसरा रात-दिन काम करना और तीसरा वे सरकारी फाइलों को काफी बेहतर ढंग से समझते थे. हिंदी और अंग्रेजी भाषा में उनकी जबरदस्त पकड़ थी.
खाने का तरीका था बेहद अलग :
यशवंत सिन्हा ने बताया कि कर्पूरी ठाकुर जब खाना खाया करते थे तो हर चीज अलग-अलग करके खाते थे. चावल खाने के बाद सभी सब्जी को बारी-बारी से खाते थे. मछली के बेहद शौकीन थे. मछली खाने के बाद अंत में दाल जरूर पीते थे. उनके खाना खाने के तरीके से हमलोग बेहद प्रभावित थे.
रेस्ट हाउस में सरकारी काम निपटाते और सो जाते :
यशवंत सिन्हा ने बताया कि कर्पूरी ठाकुर हमेशा लोगों के बीच रहते थे. मुझे सरकारी कामों को कराने में बहुत परेशानी होती थी. शाम होने पर पर उन्हें हमलोग रेस्ट हाउस जाने के लिए निवेदन करते थे. वे देर रात तक कार्य करने के बाद रेस्ट हाउस में ही सो जाया करते थे. एक बार कर्पूरी जी का लोगों से मिलने और कुछ सरकारी कामकाज को निपटाने का कार्यक्रम निर्धारित था. लेकिन लोगों से घिरे रहने के कारण इसका पालन नहीं हो पाया. एक बार कुछ सरकारी काम निबटाने के लिए उन्होंने कमरे को बाहर से ताला लगवा दिया था. जब लोगों को पता चला कि वे कमरे के अंदर हैं, तो लोग उनसे मिलने चले आएं और बार बार उनसे मिलने की गुहार लगाते रहे. इस तरह उनकी दिनचर्या लोगों के बीच ही गुजरता था.
मंत्रियों को हमेशा सच्चाई से काम करने की देते थे नसीहत :
यशवंत सिन्हा ने बताया कि कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री के रूप में इतनी ईमानदारी से काम करते थे कि दूसरे मंत्री थी कुछ करने के बारे में सोचने के लिए मजबूर हो जाते थे. किसी मंत्री के बारे में कोई शिकायत मिलने पर उसे अपने पास बुलाते थे और सार्वजनिक रूप से सुधर जाने का सख्त निर्देश देते थे.
कर्पूरी ठाकुर का मुख्यमंत्री के रूप में दो बड़ा निर्णय :
यशवंत सिन्हा के मुताबिक कर्पुरी ठाकुर ने पिछड़ा और अति पिछडा वर्ग के आरक्षण को दो भागों में बांटकर बड़ा काम किया. बिहार में उस वक्त ऐसा कदम उठाना बेहद सहासिक निर्णय था.