पश्चिम बंगाल के बेलूड़ में पूर्वी भारत का पहला योगा एंड नेचुरोपैथी मेडिकल कॉलेज खुलने जा रहा है. भवन निर्माण का 90 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है. यहां बैचलर ऑफ नैचरोपैथी एंड योगिक साइंस (बीएनवाइएस) कोर्स कराया जायेगा. अगले शिक्षा वर्ष 2023-24 से यहां 50 सीटों पर छात्रों को प्रवेश मिलेगा. यानी राज्य में अगले साल से पहली बार सरकारी कॉलेज में प्राकृतिक योगा व नेचुरोपैथी में स्नातक कोर्स की शुरुआत होगी. यह साढ़े पांच वर्ष का कोर्स होगा. स्वास्थ्य विभाग के आयुष विंग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. पांच एकड़ जमीन पर इस मेडिकल कॉलेज को तैयार किया जा रहा है. अगले साल 31 मार्च तक निर्माण कार्य पूरा हो सकता है. उन्होंने बताया कि करीब 67.58 करोड़ रुपये की लागत से इस मेडिकल कॉलेज को तैयार किया जायेगा. अब तक लगभग 33 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वेस्ट बंगाल मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन (डब्ल्यूबीएमसी) कॉलेज निर्माण का कार्य कर रहा है. वहीं राज्य व केंद्र सरकार इस योजना पर आने वाली खर्च को वहन कर रही है. अधिकारी ने बताया कि पिछले दो वर्षों से यह निर्माण कार्य चल रहा है.
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अधिकारी ने बताया कि फिलहाल एक वरिष्ठ डॉक्टर व दो सहायक की मदद से प्रारंभिक स्तर पर ओपीडी विभाग को चालू किया गया है. जहां प्रतिदिन 30-50 मरीजों का इलाज किया जा रहा है. इस मेडिकल कॉलेज में कुल 50 से 100 बेड की व्यवस्था रखी जायेगी. डे केयर में ही अधिकांश मरीजों की चिकित्सका होगी. इसलिए बेडों की संख्या कम रखी जायेगी.
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बेलूड़ के इस मेडिकल कॉलेज में नेचुरोपैथी और योगा इंस्ट्रक्टर की नियुक्ति के लिए जल्द ही आदेश व विज्ञापन जारी किया जायेगा. कुल 101 पदों पर शिक्षक और गैर शिक्षक चिकित्सक व योग विशेषज्ञों को नियुक्त किया जायेगा. अधिकारी ने बताया कि राज्य में नेचुरोपैथी विशेषज्ञ नहीं हैं. इसलिए दूसरे राज्य से चिकित्सकों को नियुक्त किया जायेगा.
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नेचुरोपैथी मेडिसिन एक सिस्टम है, जिसमें शरीर को अपने आप हील करने के लिए प्राकृतिक रेमेडीज का प्रयोग किया जाता है. इस प्रक्रिया में अलग-अलग थेरेपी, हर्ब्स, मसाज, एक्यूपंक्चर, एक्सरसाइज और न्यूट्रीशनल काउंसलिंग शामिल है. यह प्रक्रिया कोई नयी चिकित्सा पद्धति नहीं है, बल्कि सदियों से इसका प्रयोग किया जाता रहा है. साढ़े पांच वर्ष का कोर्स होगा. स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों का दावा है कि क्रोनिक डिजीज की चिकित्सका के क्षेत्र में नेचुरोपैथी का उपयोग किया जाता है. मानसिक बीमारी, अल्जाइमर, जॉइंट डिसऑर्डर और न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर व त्वचा के इलाज के क्षेत्र में नेचुरोपैथी द्वारा इलाज कराने वाले मरीजों जल्द स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
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रिपोर्ट : शिव कुमार राउत कोलकाता