Gorakhpur News: गोरखपुर बनेगा महानगर, लाइट मेट्रो का रास्ता साफ, कितना अलग होगा आपका सफर?
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, मेरठ और प्रयागराज में लाइट मेट्रो चलाने की तैयारी की जा रही है. इस साल के शुरुआत में तीनों जिलों में लाइट मेट्रो चलाने के लिए डीपीआर तैयार करके केंद्र सरकार को भेजने की खबरें आई थी.
Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर में लाइट मेट्रो चलाने का रास्ता साफ हो गया है. दरअसल, योगी कैबिनेट ने गोरखपुर को मेट्रोपोलिटन बनाने का प्रस्ताव पास कर दिया है. इसके तहत गोरखपुर नगर निगम के आसपास के कई इलाकों को महानगर घोषित किया जाएगा.
इस फैसले के बाद गोरखपुर में लाइट मेट्रो चलाने का रास्ता भी साफ हो गया है. बड़ी बात यह है कि उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, मेरठ और प्रयागराज में लाइट मेट्रो चलाने की तैयारी की जा रही है. इस साल की शुरुआत में तीनों जिलों में लाइट मेट्रो चलाने के लिए डीपीआर तैयार करके केंद्र सरकार को भेजने की खबरें आई थी.
केंद्र सरकार की पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड (पीआईबी) की बैठक 22 नवंबर को होनी है. इसमें गोरखपुर लाइट मेट्रो का प्रस्ताव रखा जाएगा. इसको देखते हुए सरकार सारी औपचारिकताएं पूरी करने में जुटी है.
पीआईबी मीटिंग में रखा जाएगा प्रस्ताव
लाइट रेल ट्रांजिट परियोजना को देखें तो इसे चलाने के कई गाइडलाइंस होती है. इसे चलाने के लिए शहर का महानगर होना पहली प्राथमिकता है. दस लाख की आबादी वाले शहरों को ही महानगर का दर्जा मिलता है. इसे फॉलो नहीं किया जाए तो केंद्र सरकार की तरफ से आर्थिक मदद नहीं मिलती है. योगी कैबिनेट ने गोरखपुर नगर निगम, पिपराइच नगर पंचायत और उससे सटे चार विकास खंडों को मिलाकर महानगर का प्रस्ताव पास किया है. नगर विकास विभाग के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दी है.
लाइट मेट्रो प्रोजेक्ट क्या है और कितना है अलग?
लाइट मेट्रो सड़क के पैरेलल जमीन पर होती है. इसका स्टेशन बस स्टैंड की तरह तैयार होता है. लाइट मेट्रो में तीन या चार कोच होते हैं. एक कोच में सौ यात्री सफर करते हैं. यह सड़क पर ही चलती है. जहां पर जगह ना हो तो उस जगह एलिवेटड रूट तैयार किया जाता है. इसके स्टेशन भी छोटे होते हैं. कम आबादी या छोटे शहरों में कम्युटर की सहूलियत के लिए केंद्र सरकार ने लाइट मेट्रो प्रोजेक्ट तैयार की है.
लाइट मेट्रो प्रोजेक्ट में काफी समानताएं मेट्रो की तरह हैं. लेकिन, इसमें सारी सुविधाएं मेट्रो की तरह नहीं होती हैं. लाइट मेट्रो लाइन के ट्रैक के किनारे फेंसिंग लगाए जाते हैं. भीड़भाड़ वाले इलाकों में ओवरहेट रूट तैयार किया जाएगा. ट्रेन की लंबाई के एक तिहाई हिस्से में प्लेटफॉर्म पर शेड लगेगा. इसमें एक्सरे स्कैनर, ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन गेट, कनकोर्स जैसी सुविधाएं नहीं होंगी. एलिवेटेड रूट पर ओवरहेट स्टेशन बनते हैं. इसमें एक ही एंट्री और एग्जिट गेट होता है. लाइट मेट्रो में सफर के दौरान नियम तोड़ने पर आम मेट्रो से ज्यादा जुर्माना लगाने की बातें भी सामने आई है.