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Yogini Ekadashi 2022: 24 जून को है योगिनी एकादशी, जानें इस दिन क्यों नहीं खाते चावल

Yogini Ekadashi 2022:इस साल योगिनी एकादशी तिथि का प्रारंभ 23 जून गुरुवार को रात 09:41 बजे से हो रहा है. यह 24 जून शुक्रवार को रात 11:12 बजे तक रहेगी. मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य मिलता है.

Yogini Ekadashi 2022: शास्त्रों के अनुसार ‘योगिनी एकादशी ‘तो प्राणियों को उनके सभी प्रकार के अपयश और चर्म रोगों से मुक्ति दिलाकर जीवन सफल बनाने में सहायक होती है. इस साल योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) व्रत 24 जून दिन शुक्रवार को है.

योगिनी एकादशी शुभ मुहूर्त

इस साल योगिनी एकादशी तिथि का प्रारंभ 23 जून गुरुवार को रात 09:41 बजे से हो रहा है. यह 24 जून शुक्रवार को रात 11:12 बजे तक रहेगी. पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी व्रत रखते हैं.

इस समय न करें योगिनी एकादशी पूजा

राहुकाल- सुबह 10 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक

विडाल योग- सुबह 05 बजकर 51 मिनट से 08 बजकर 04 मिनट तक

यमगण्ड- शाम 03 बजकर 51 मिनट से 05 बजकर 31 मिनट तक

गुलिक काल- सुबह 07 बजकर 31 मिनट से 09 बजकर 11 मिनट तक

एकादशी के दिन क्यों नहीं खाना चाहिए चावल

वैज्ञानिक तथ्यों के मुताबिक चावल में जल यानी पानी की मात्रा ज्यादा होती है. जल पर चंद्रमा का ज्यादा प्रभाव होता है. चावल खाने से शरीर में जल की अधिकता होती है यानी उसकी मात्रा बढ़ती है. इससे मन पर उसका प्रभाव होता है और मन एकाग्र होने की बजाय चंचलता की ओर अग्रसर होता है. मन के चंचल होने की स्थिति में इसका बुरा प्रभाव पूजा पाठ, जप-तप और धार्मिक कार्यों में पड़ता है. यहीं वजह है कि एकादशी के चावल खाना वर्जित है और इस दिन चावल का सेवन शास्त्रों में बिल्कुल मना है.

योगिनी एकादशी महत्व

योगिनी एकादशी का व्रत करने से जीवन में समृद्धि और आनन्द की प्राप्ति होती है. यह व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध है. मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य मिलता है.

योगिनी एकादशी पूजा विधि

योगिनी एकादशी के दिन सुबह स्नान करने के पश्चात घर के मंदिर की सफाई अच्छी से करें. इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं. अब आप घी का दीपक जलाकर विष्णुसहस्त्र नाम स्त्रोंत का पाठ करें. इस दिन भगवान विष्णु को खीर या हलवे का भोग लगाएं. ध्यान रहे भोग में तुलसी जल को अवश्य शामिल करें.

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