Yogini Ekadashi 2023 Date: योगिनी एकादशी कब है? जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण का समय
Yogini Ekadashi 2023 Date: भगवान श्रीहरि विष्णु को एकादशी की तिथि अत्यंत प्रिय होती है. इसलिए जो भी भक्त किसी भी एकादशी का व्रत करते हैं, उसका फल उन्हें कई गुना अधिक मिलता है. एक साल में कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती है और सभी एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. जानें योगिनी एकादशी 2023 कब है?
Yogini Ekadashi 2023 Date: आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) कहते हैं. हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है. पद्म पुराण के अनुसार भगवान श्रीहरि विष्णु को एकादशी की तिथि अत्यंत प्रिय होती है. इसलिए जो भी भक्त किसी भी एकादशी का व्रत करते हैं, उसका फल उन्हें कई गुना अधिक मिलता है. एक साल में कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती है और सभी एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. योगिनी एकादशी के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है. इसलिए कहा जाता है कि सामर्थ्य के अनुसार इस दिन दान-पुण्य जरूर करना चाहिए. जानें योगिनी एकादशी 2023 कब है? पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, नियम, महत्व और पारण का समय क्या है?
योगिनी एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त, पारण का समय (Yogini Ekadashi 2023 Date Shubh Muhurat Paran Time)
योगिनी एकादशी बुधवार, जून 14, 2023 को
योगिनी एकादशी पारण : 15 जून को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 05:23 सुबह से 08:10 सुबह तक
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 08:32 ए एम बजे
एकादशी तिथि प्रारम्भ – जून 13, 2023 को 09:28 ए एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त – जून 14, 2023 को 08:48 ए एम बजे
योगिनी एकादशी पूजा विधि (Yogini Ekadashi Puja Vidhi)
-
योगिनी एकादशी के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें.
-
घर के मंदिर की सफाई अच्छी से करें.
-
इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं.
-
अब आप घी का दीपक जलाकर विष्णुसहस्त्र नाम स्त्रोत का पाठ करें.
-
इस दिन भगवान विष्णु को खीर या हलवे का भोग लगाएं.
-
ध्यान रहे भोग में तुलसी पत्र अवश्य शामिल करें.
योगिनी एकादशी महत्व (Yogini Ekadashi Significance)
पौराणिक मान्यता अनुसार जो लोग आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली योगिनी एकादशी का व्रत रखते हैं. उसे सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है और उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. इतना ही नहीं योगिनी एकादशी का व्रत रखने से 88 हजार ब्राम्हणों के भोजन कराने के बराबर फल मिलता है.