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Zero Shadow Day: आज परछाई छोड़ देगी इंसान का साथ, जानिए क्या है इसकी वजह

शून्य प्रतिच्छाया दिवस यानि शून्य परछाई वाला एक ऐसा दिन होता जब सूर्य की किरणें सीधी पड़ने के कारण व्यक्ति या वस्तु की छाया कुछ पल के लिए गायब हो जाती है. मगर, गोरखपुर समेत उत्तर प्रदेश में प्रभावी नहीं होगी. लेकिन इसके बारे में जानने का अवसर मिलेगा.

Gorakhpur: पृथ्वी पर कई घटनाएं ऐसी होती हैं जो कभी-कभी ही होती हैं. इनमें कुछ पृथ्वी के अपनी धुरी और सूर्य के चारों ओर की जा रही परिक्रिमा के कारण होती हैं. इनमें सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण जैसी कई खगोलीय घटनाएं शामिल होती हैं. इन्हीं में एक घटना शून्य प्रतिच्छाया दिवस है. आज शून्य प्रतिच्छाया दिवस है. लेकिन गोरखपुर सहित उत्तर प्रदेश पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा.

गोरखपुर के नक्षत्र शाला में आज विशेष दिवस को लेकर विशेषज्ञों की कक्षाएं चलेंगी. आज एक वक्त ऐसा भी आएगा जब कुछ देर के लिए इंसान को परछाई साथ नहीं होगी. ऐसा अद्भभुत खगोलीय घटना की वजह से होगा. इसका असर उत्तर प्रदेश में तो नहीं होगा लेकिन यह अवसर होगा जब हम इस घटना के बारे में जानकारी पा सकेंगे. इसे इंग्लिश में जीरो शैडो डे भी कहा जाता हैं.

नक्षत्रशाला में विशेष दिवस को लेकर चलेगी विशेषज्ञों की कक्षा

गोरखपुर के वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला में इसकी जानकारी देने के लिए शुक्रवार को बाकायदा क्लास चलाने की व्यवस्था की गई है. इच्छुक व्यक्ति और तारामंडल में शो देखने आने वाले लोग इस क्लास का हिस्सा बन सकते हैं इसके बारे में जानकारी ले सकते हैं. सूर्य जब सर के ऊपर आ जाता है और लोगों को अपनी परछाई नहीं दिखती है तो इसे जीरो शैडो डे कहते हैं. नक्षत्रशाला के खगोल विद अमर सिंह की माने तो ऐसे दिन को खगोल विज्ञान की दुनिया में शून्य प्रतिच्छाया दिवस जीरो शैडो डे कहते हैं.

उन्होंने बताया कि पृथ्वी पर हर जगह एक जैसी स्थिति नहीं बनती है. सूर्य की किरणों का पृथ्वी पर कुछ स्थानों पर कुछ समय के लिए लंबवत पड़ना होता है. ऐसी स्थिति में किसी भी व्यक्ति या वस्तु की परछाई इधर उधर ना देख कर उसमें समाहित हो जाती है .जिसकी वजह से वह किसी को दिखाई नहीं देती है. जो कि भारत से होकर कर्क रेखा गुजरती है. इसलिए शुक्रवार को हुआ घटना दक्षिण भारत के कुछ स्थानों से ही देखी जा सकती है.

बेंगलुरु में इसका समय दोपहर 12:24 है. अगली बार इस खगोलीय घटना को इसी वर्ष एक सितंबर को कन्याकुमारी, कुंडानुकुलम, कटचल, नागरकोइल आदि स्थानों पर ही देखा जा सकेगा. खगोलविद में बताया कि यह घटना साल में दो बार घटित होती है एक बार जब सूर्य उत्तरायण में होता है तथा दूसरी बार जब सूर्य दक्षिणायन में होता है क्योंकि पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 अक्षांश पर झुकी हुई है.

इसका कारण यह केवल 23.5 अक्षांश से लेकर -23.5 अक्षांश के बीच ही बनती है. इसीलिए पृथ्वी की अलग-अलग जगह पर अलग-अलग समय यह स्थिति बनती है. वहीं, खगोलविद ने बताया की इसका दिखना अक्षांश व देशांतर पर निर्भर करता है. यह घटना केवल उन्हें स्थान पर होती है जो कर्क और मकर रेखा के बीच या आसपास होते हैं.

रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर

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