झारसुगुड़ा के जिला अस्पताल में अव्यवस्था का आलम, बेड की संख्या बढ़ाने की मांग
बिस्तरों की संख्या कम होने की बात पहले भी सामने आ चुकी है इसके बावजूद बेड की संख्या यहां नहीं बढ़ायी जा रही. अस्पताल में मेडिसीन, महिला व प्रसूति विभाग में सर्वाधिक भीड़ रहती है. जिले के सीएचसी में मरीजों को भर्ती करने की पर्याप्त सुविधा नहीं होने के कारण ज्यादातर मरीज यहां आते हैं.
ओडिशा के औद्योगिक जिला झारसुगुड़ा में स्वास्थ्य सुविधाएं अपने लचर स्थिति में है. आलम यह है कि जिले का सबसे बड़ा अस्पताल मुख्य हास्पिटल में बिस्तरों की जबरदस्त किल्लत है. नतीजतन मरीजों को फर्श पर लेटकर इलाज कराने को मजबूर होना पड़ रहा है. इस अस्पताल पर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए पूरा जिला निर्भर है. सरकारी योजनाओं का लाभ भी इसी अस्पताल से मिलता है. सैकड़ों लोग रोजाना इलाज कराने आते हैं. बिस्तरों की संख्या कम होने की बात पहले भी सामने आ चुकी है इसके बावजूद बेड की संख्या यहां नहीं बढ़ायी जा रही. अस्पताल में मेडिसीन, महिला व प्रसूति विभाग में सर्वाधिक भीड़ रहती है. जिले के सीएचसी में मरीजों को भर्ती करने की पर्याप्त सुविधा नहीं होने के कारण ज्यादातर मरीज यहां आते हैं. प्रसुति के लिऐ आने वाली र्गभवती महिलाओं को सीएचसी में भर्ती कर उनका इलाज नहीं हो पाने से सभी जिला हास्पिटल भेज दिया जाता है. जिले के लखनपुर, कोलाबीरा, किरमिरा व लखनपुर ब्लाक में स्थित स्वास्थ केन्द्र को भी यही हाल है.
जिला हास्पिटल में महिला व पुरुष मेडिसिन वार्ड में रोगियों जगह नहीं मिल पाने से मजबूरन हास्पिटल के फर्श पर ही सोकर इलाज कराना पड़ता है. ओडिशा के इस जिला अस्पताल की स्थिति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अगर मरीज को बुर्ला रेफर किया जाता है तो उन्हें ले जाने के लिए एंबुलेंस तक की व्यवस्था नहीं हो पाती.
इसमें निजी और सरकार द्वारा संचालित 108 एंबुलेंस दोनों शामिल हैं. क्योंकि मरीजों का इतना ज्यादा दबाव है कि एंबुलेंस मरीजों को लाने ले जाने में ही व्यस्त रहती है. मौजूदा क्षमता अस्पताल में 300 बेड की है. जबकि मरीजों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है. लिहाजा इस अस्पताल को 500 बेड का बनाने की मांग हो रही है. साथ ही एंबुलेंस की पर्याप्त व्यवस्था भी यहां की एक प्रमुख मांग है.
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