Zwigato: कपिल शर्मा के लिए गर्व का क्षण, नंदिता दास की फिल्म ‘ज्विगाटो’ ने ऑस्कर लाइब्रेरी में बनाई अपनी जगह
कपिल शर्मा की फिल्म ‘ज्विगाटो’ को एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज की लाइब्रेरी के स्थायी मुख्य संग्रह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है. बता दें कि फिल्म 17 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी.
फेमस कॉमेडियन और एक्टर कपिल शर्मा की फिल्म ‘ज्विगाटो’ (Zwigato) 17 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. अप्लॉज एंटरटेनमेंट और नंदिता दास इनिशिएटिव्स की फिल्म ‘ज़्विगाटो’ का निर्देशन नंदिता दास ने किया है. समीर पाटिल के साथ उन्होंने जो स्क्रिप्ट लिखी, उसे एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज की लाइब्रेरी के स्थायी मुख्य संग्रह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है. कपिल शर्मा और शहाना गोस्वामी अभिनीत इस फिल्म की कहानी, फूड ऐप सर्विस और वर्किंग क्लास इसके प्रभाव पर आधारित थी.
ज्विगाटो के गौरव का पल
ज्विगाटो को मार्च 2023 में दुनिया भर में रिलीज किया गया था और क्रिटिक्स ने फिल्म को काफी ज्यादा पसंद किया था. फिल्म की कहानी को अब ऑस्कर लाइब्रेरी के लिए चुना गया है, जो छात्रों, फिल्म निर्माताओं और लेखकों के लिए एक मूल्यवान संसाधन प्रदान करेगी. बता दें कि भारत की अर्थव्यवस्था को शक्ति प्रदान करने वाले सामान्य व्यक्तियों के सूक्ष्म चित्रण के लिए प्रशंसित इस फिल्म का प्रीमियर टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और बुसान अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में किया गया था. यह मान्यता ज़्विगाटो के महत्व को और मजबूत करती है और सिनेमा की दुनिया में उसके योगदान को सेलिब्रेट करती है.
मज़दूरों के जद्दोजहद की कहानी
ज्विगाटो फ़िल्म की कहानी झारखंड के धनबाद के रहने वाले महतो परिवार की है. रोजी-रोटी की तलाश उन्हें भुवनेश्वर ले आयी है. वहां पर उनका परिवार ठीक-ठाक अपनी गुजर बसर कर रहा था, लेकिन कोरोना में फैक्ट्री बंद हो गयी और घर के एकमात्र कमाऊ सदस्य मानस (कपिल शर्मा) परिवार को पालने के फूड डिलीवरी का काम कर रहा है, लेकिन दो बच्चों की पढ़ाई, बीमार बूढ़ी मां और बेसिक ज़रूरतों इन सबके लिए पैसे कम पड़ रहे है. मानस की पत्नी प्रतिमा (शाहना) भी नौकरी करना चाहती है, लेकिन मानस का मेल ईगो कम नहीं पड़ रहा है. वह प्रतिमा को घर पर बैठने को कहता है और कहता है कि वह सबकुछ जुगाड़ कर देगा, जैसे आठ महीने बेरोजगार रहने पर किया था. क्या मानस की सोच बदल पाएगी. यही फ़िल्म की कहानी है.