Nagchandreshwar Temple Ujjain: सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. तिथि के मुताबिक इस बार नाग पंचमी 20 अगस्त को पड़ रही है. नाग पंचमी के दिन स्त्रियां नाग देवता की पूजा करती हैं और सांपों को दूध पिलाया जाता है. नाग पंचमी के पावन मौके पर महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य शिखर के तीसरे खंड में स्थित भगवान श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट रात 12 बजे खुल जाते हैं. ये मंदिर साल में केवल एक बार नाग पंचमी पर ही खुलता है.आइए जानें इस मंदिर के बारे में
उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का,जो की उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है. इसकी खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी) पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है. ऐसी मान्यता है कि नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं. नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है. इस प्रतिमा में शिव-पार्वती अपने पूरे परिवार के साथ आसन पर बैठे हुए हैं और उनके ऊपर सांप फल फैलाकर बैठा हुआ है. बताया जाता है कि इस प्रतिमा को नेपाल से लाया गया था. उज्जैन के अलावा कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है. यह दुनिया भर का एकमात्र मंदिर है जिसमें भगवान शिव अपने परिवार के साथ सांपों की शय्या पर विराजमान हैं.
त्रिकाल पूजा की है परंपरा
मान्याताओं के मुताबिक, भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की परंपरा है. त्रिकाल पूजा का मतलब तीन अलग-अलग समय पर पूजा. पहली पूजा मध्यरात्रि में महानिर्वाणी होती है, दूसरी पूजा नागपंचमी के दिन दोपहर में शासन द्वारा की जाती है और तीसरी पूजा नागपंचमी की शाम को भगवान महाकाल की पूजा के बाद मंदिर समिति करती है. इसके बाद रात 12 बजे वापिस से एक साल के लिए बंद हो जाएंगे.
ये है मान्यता
विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख भगवान महाकालेश्वर मंदिर तीन खंडों में विभक्त है. सबसे नीचे भगवान महाकालेश्वर, दूसरे खंड में ओमकारेश्वर तथा तीसरे खंड में भगवान नागचंद्रेश्वर का मंदिर स्थित है. मान्यता है कि मंदिर में नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन करने से भगवान शंकर व माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
कैसे पहुंचे नागचंद्रेश्वर मंदिर
नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए सबसे करीबी हवाई अड्डा इंदौर एयरपोर्ट है, जो मंदिर से करीब 60 किमी. है. वहीं, मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन उज्जैन में ही है, जो मंदिर से मात्र 2-3 किमी. दूर है. इसके अलावा उज्जैन का मार्ग देश के विभिन्न राजमार्गों से जुड़ा हुआ है, जिससे मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है.