UP Assembly Election 1957: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी जोरों पर है. इस बीच ‘प्रभात खबर’ आपको बबता रहा यूपी में विधानसभा चुनावों की रोचक ऐतिहासिक यात्रा. जो जानकारियों से भरपूर है. पिछले क्रम में हमने जाना था कि आजाद भारत में साल 1952 में किन राजनीतिक समीकरणों के बीच सूबे में पहला विधानसभा चुनाव आयोजित किया गया था. अब हम आपको बताएंगे इसी क्रम में साल 1957 में हुए विधानसभा चुनाव की ऐतिहासिक रोचक गाथा के बारे में…
यूपी में दूसरी बार विधानसभा चुनाव आयोजित किया गया था 1957 में. महीना था फरवरी का और तारीख थी 25. उस समय के चुनाव में 430 विधानसभा सीट में से इंडियन नेशनल कांग्रेस ने 286 सीट पर अपनी जीत दर्ज की थी. इसमें 1711 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी. मजेदार बात तो यह थी कि उस समय चुनाव के परिणामों के तहत 89 विधायक ऐसे थे जो दो जगहों से जीतकर आए थे और 252 विधानसभा सदस्य एकल निर्वाचन सीट से चुने गए थे. साल 1951 के मुकाबले कम सीट जीतकर डॉ. सम्पूर्णांनंद को प्रदेश का दूसरा मुख्यमंत्री बनाया गया था. बाद में वे राजस्थान के गवर्नर भी नियुक्त किए गए थे. पेशे से संस्कृत एवं हिंदी के शिक्षक सम्पूर्णांनंद के नाम प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यकाल 1954 से लेकर 1960 तक दर्ज है. खैर, यह तो बात हो गई वाराणसी में जन्मे डॉ. सम्पूर्णांनंद के जीवन की.
बता दें कि उस समय उत्तर प्रदेश में इंडियन नेशनल कांग्रेस ने 430 विधानसभा सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से 286 ने जीत हासिल की थी. वहीं, चुनावी रेस में दूसरे पायदान पर आई थी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (पीएसपी). इस पार्टी का गठन जयप्रकाश नारायण, रामबृक्ष बेनीपुरी, आचार्य नरेंद्र देव और बसावन सिंह के नेतृत्व वाली सोशलिस्ट पार्टी का जेबी कृपलानी की अध्यक्षता वाली किसान मजदूर प्रजा पार्टी में विलय के साथ हुआ था. पीएसपी ने उस समय 262 सीट पर चुनाव लड़ा था. इनमें से 44 सीट पर उसे विजय मिली थी. भारतीय जनसंघ ने 243 सीट पर किस्मत आजमाने के बाद 17 सीट पर विजय हासिल की थी. कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने 91 सीट पर कोशिश की और 9 पर सफलता हासिल की थी. निर्दलीयों की संख्या 699 थी. इनमें से 74 ने जीत हासिल कर विधायक बनने का लक्ष्य पाया था.