Amit Shah Political View on UP Election 2022 : विपक्ष को चुनावी पिच पर हर बॉल पर आउट करने की सफल रणनीति बनाने वालों में शुमार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश के वरिष्ठ पदाधिकारियों को जीत का कुछ फॉर्मूला सुझा गए हैं. उन्होंने हिंदुत्व के मुद्दे के साथ ही प्रदेश की योगी आदितयनाथ सरकार की उपलब्धियों को गली-गली तक पहुंचाने पर खास जोर दिया है.
बता दें कि आगामी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर प्रदेश में सभी राजनीति दलों में नंबर वन बनने की बेचैनी है. सभी रणनीतियों को बनाने और संवारने में लगे हैं. कोई भी खुद को कमतर साबित नहीं होने देना चाहता है. इसी कड़ी में हाल ही में प्रदेश में चुनावी समीक्षा करने आए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यहां जीत का मंत्र बताते हुए पार्टी पदाधिकारियों को स्पष्ट संकेत दिया है कि विपक्ष की हर गतिविधि को ध्यान में रखते हुए अहम फैसलों को त्वरित लेने की आवश्यकता है.
पार्टी के शीर्षस्थ सूत्रों ने ‘प्रभात खबर’ को बताया है कि प्रदेश के चुनाव को लेकर शाह ने कई मुद्दों का समाधान निकालते हुए सूबे की जनता के सामने पार्टी के कामधाम को घर-घर तक पहुंचाने की आवश्यकता जताई है. उन्होंने अपनी बातों में जताया कि कृषि कानून को लेकर जिस तरह देशव्यापी असर की बात कही जा रही है. वह पूरी तरह सही नहीं है. प्रदेश की अधिकतर जनता अच्छी तरह से जानती है कि किसानों की भलाई के बजाय राजनीति से प्रेरित होकर संचालित किया जाने वाला प्रदर्शन है. यही नहीं सूत्रों का कहना है कि अमित शाम ने अपने संदेश में कहा है कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने से हुए लाभ को भी घर-घर तक पहुंचाने की कोशिश करना बहुत जरूरी है. उनकी माने तो इस धारा को हटाने से देश को मजबूती देने में काफी मदद मिली है. ऐसे में इस विषय पर कोई कमी न बरती जाए.
कमजोर सीट पर रखें पैनी नज़र : पार्टी के सूत्रों ने बताया कि शाह ने प्रदेश की कमजोर सीट पर विशेष नज़र रखते हुए वहां के पन्ना प्रमुख व अन्य प्रभारियों को यह जिम्मा दिया है कि वे उन विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी और सरकार को मजबूत बनाने के लिए खास रणनीति अपनाएं. स्थानीय लोगों से ज्यादा से ज्यादा संवाद स्थापित करते हुए उन्हें अपनी सरकार की उपलब्धियों से परिचित कराएं.
विपक्षी दलों के हिंदुत्व कार्ड पर रखें ध्यान : अमित शाह ने प्रदेश आगमन के समय यह भी बताया कि भाजपा को हमेशा से हिंदुत्व की राजनीति के लिए बदनाम करने वाले विपक्षी भी मंदिरों में मत्था टेक रहे हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस की प्रियंका गांधी, आम आदमी पार्टी अध्यक्ष एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित बसपा की मायावती भी खुद को सेक्युलर साबित करने में लगे रहते थे. मगर इस बार की राजनीति में वे सबसे पहले हिंदुओं की आस्था से जुड़ी चीजों को स्वीकार करके चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. ऐसे नेताओं का चेहरा जनता के सामने उजागर करने के लिए उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों को जिम्मा सौंपा है.
विधानसभा चुनाव से निकलेगा केंद्र को जीतने का रास्ता : प्रदेश में होने वाले विधानसभा की महिमा को समझाते हुए उन्होंने बताया है कि प्रदेश की जनता का रूझान ही भविष्य में होने वाले लोकसभा चुनाव का भविष्य तय करेगी. उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव में मजबूती बरकरार रखने के लिए अहम है कि इस विधानसभा चुनाव में पार्टी को भारी मतों से जीत दिलाई जाए.
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