UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान होते ही सभी राजनीतिक दल वोटरों को साधने में जुट गई है. इसी कड़ी में बीजेपी की नजर आगामी चुनाव के लिए ओबीसी वोटों पर है. उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले जहां कई ओबीसी नेताओं ने भाजपा को छोड़ सपा का दामन थाम लिया तो बीजेपी ने इस डेमज को कंट्रोल करने के लिए पिछड़ा वर्ग से 60 फीसदी से अधिक प्रत्याशी उतार दिए. वहीं अब पार्टी ने ओबीसी वोटरों साधने के लिए विशेष रणनीति तैयार की है. बीजेपी ओबीसी मोर्चा साथ हर विधानसभा क्षेत्र में बैठकों का आयोजन करने जा रही है.
बता दें कि चुनाव आयोग की ओर से 500 लोगों की मौजूदगी में इंडोर मीटिंग की इजाजत दिए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी के ओबीसी मोर्चा ने उत्तर प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ताओं को मैदान में उतारने का फैसला किया है. बीजेपी ओबीसी मोर्चा ने घोषणा की है कि वह 300-300 लोगों के साथ हर विधानसभा क्षेत्र में बैठकों का आयोजन किया जाएगा. भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रमुख लक्ष्मण ने कहा, ”हमने यूपी में मोर्चा की टीम बनाई है.
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यूपी में इन दिनों सभी राजनीतिक दल छोटी-छोटी जातियों के वोटों को अपने पाले में लाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है. बीजेपी (BJP) ने साफ तौर पर दावा किया है कि पिछड़ी जातियों के 60 फीसदी वोट में से ज्यादातर वोट उनके पास ही आने है. यही दावा दूसरी राजनीतिक पार्टियां भी कर रही हैं कि पिछड़ी और दलित जातियों पर उनका जोर है. अनुमान के मुताबिक यूपी में सबसे बड़ा वोट बैंक पिछड़ा वर्ग का है. लगभग 52 फीसदी पिछड़ा वोट बैंक में 43 फीसदी वोट बैंक गैर-यादव बिरादरी का है, जो कभी किसी पार्टी के साथ स्थाई रूप से नहीं खड़ा रहता है. यही नहीं पिछड़ा वर्ग के वोटर कभी सामूहिक तौर पर किसी पार्टी के पक्ष में भी वोटिंग नहीं करते हैं.
प्रदेश में करीब 18 फीसदी मुसलमान, 12 फीसदी जाटव और 10 फीसदी यादव हैं. इसके अलावा बाकी जातियों में यानी 18% में सवर्ण दलित और दूसरी जातियां हैं. ऐसे में इन वोटरों में से मुस्लिम को छोड़कर बीजेपी 10 फीसद यादव पर भी अपना दावा मानकर चल रही है.