CM Yogi Nomination: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर सदर सीट से सीएम योगी आदित्यनाथ के नामांकन को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है. इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है. गोरखपुर में छठे चरण में 3 मार्च को मतदान होना है. खास बात यह है कि सीएम योगी को भीम आर्मी के चीफ चंद्रखेशर आजाद ने चुनौती दी है. चंद्रशेखर आजाद भी सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरेंगे. उनके अलावा सुनील सिंह भी लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच रहे हैं.
सुनील सिंह ने सोशल मीडिया पर ऐलान किया है वो सीएम योगी को रिकॉर्ड मतों से हराएंगे. उनके बारे में कहा जाता है कि वो सीएम योगी आदित्यनाथ के बेहद खास थे. सुनील सिंह ने पहली बार 1996 में योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी. 1998 के लोकसभा चुनाव में भी सुनील सिंह ने योगी आदित्यनाथ के लिए प्रचार किया था. सुनील सिंह की मेहनत देखकर योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अपना भरोसेमंद बनाया था. बाद में मतभेद के बाद सुनील सिंह ने सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली.
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो 2000 में सुनील सिंह ने युवा वाहिनी का गठन किया था. इसकी पहली बैठक गोरखनाथ मंदिर परिसर में हुई थी. उसके बाद योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर सुनील सिंह हिंदू युवा वाहिनी के विस्तार में जुटे थे. एक तरफ हिंदू युवा वाहिनी का विस्तार हो रहा था, दूसरी तरफ सुनील सिंह और योगी आदित्यनाथ के संबंध मजबूत हो रहे थे. 2017 के बाद रिश्तों में खटास पैदा हो गई.
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2017 के विधानसभा चुनाव में सुनील सिंह युवा वाहिनी के कार्यकर्ता को टिकट दिलाने पर अड़ गए. बीजेपी आलाकमान ने टिकट देने से इंकार कर दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक योगी आदित्यनाथ ने भरोसा दिया था कि जिस प्रत्याशी को टिकट मिलेगा उसे गोरखनाथ मठ समर्थन देगा. वहीं, सुनील सिंह ने यूपी की 36 सीटों पर हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं को मैदान में उतार दिया था. 2017 के विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी ने बंपर जीत हासिल की. इसके बाद सुनील सिंह बैकसीट पर चले गए. फिर सुनील सिंह ने हिंदू युवा वाहिनी भारत बनाने की घोषणा की. सुनील सिंह की भाजपा से दूरी बढ़ती गई और आज वो सीएम योगी आदित्यनाथ को चुनौती दे रहे हैं.