Lucknow News : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुक्रवार को वापिस लिए गए विवादित तीनों कृषि कानूनों पर देशभर से प्रतिक्रिया मिल रही है. वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर इस फैसले को देखा जा रहा है. ऐसे में प्रदेश में सत्ता पाने की रेस में दौड़ रहे चार राजनीतिक दलों सपा, आप, कांग्रेस और बसपा के मुखियाओं सहित उनके प्रदेश चुनाव प्रभारियों का यह कहना है कि यह अहंकार की हार है, का जवाब सीएम योगी आदित्यनाथ ने यह कहकर दिया है कि किसानों की मर्जी उन्हें हर तरह से स्वीकार है.
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा कि उन्होंने इसके अलावा यह भी कहा कि किसान विरोधी काले कानून को वापस लेने के साथ ही मैं पीएम से यह जानना चाहता हूं कि वे केंद्रीय कैबिनेट में शामिल अजय मिश्र टेनी को बाहर करें. केंद्र सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) दिलाने की गारंटी दे. इसके बाद ही किसानों को अपना आंदोलन वापिस करना चाहिए. यह अहंकार की हार है. प्रधानमंत्री को यह कदम पहले ही उठाना चाहिए था.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा, ‘अब चुनाव में हार दिखने लगी तो आपको अचानक इस देश की सच्चाई समझ में आने लगी, कि यह देश किसानों ने बनाया है, यह देश किसानों का है, किसान ही इस देश का सच्चा रखवाला है और कोई सरकार किसानों के हित को कुचलकर इस देश को नहीं चला सकती. आपकी नियत और आपके बदलते हुए रुख़ पर विश्वास करना मुश्किल है. किसान की सदैव जय होगी. जय जवान, जय किसान, जय भारत. यह अहंकार की हार है.’
वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती ने कृषि कानून वापसी पर किसानों को बधाई देते हुए कहा, ‘फैसला लेने में देरी कर दी. यह फैसला बहुत पहले ले लेना चाहिए था. एमएसपी को लेकर भी सरकार फैसला करे. इस आंदोलन के दौरान किसान शहीद हुए हैं, उन्हें केंद्र सरकार आर्थिक मदद और नौकरी दे. यह अहंकार की कार है. बसपा किसानों के साथ थी और रहेगी.’
आम आदमी पार्टी (आप) के यूपी चुनाव 2022 के प्रभारी एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, ‘किसान आंदोलन की तीव्रता से डरकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह फैसला लिया है. केंद्र सरकार को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा को लेकर विवादों में आए केंद्रीय गृहराज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को गिरफ्तार करना चाहिए. किसानों पर इस सरकार ने लाठियां बरसाई हैं. तब प्रधानमंत्री कुछ नहीं बोले थे. आज उनकी माफी से कोई फर्क नहीं पड़ता. यह अहंकार की हार है.’
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘तीन कृषि कानूनों को वापिस लेने का जो फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिया है. मैं उसका स्वागत करता हूं. पीएम ने लोकतांत्रिक मर्यादा को कायम रखते हुए पीएम मोदी ने यह कदम उठाया है. हालांकि, मैं मानता हूं कि इन कानूनों की मदद से किसानों की माली हालत को सुधारने में काफी मदद करता. मगर इन कानूनों के आने के बाद किसान संगठन विरोध कर रहे थे. संभव है कि हम इस कानून को समझाने में कहीं चूक गए हों. फिर भी इस फैसले का स्वागत होना चाहिए. किसानों की मर्जी स्वीकार है.’