उत्तर प्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान दागी और आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट देना राजनीतिक दलों के लिए आसान नहीं होगा. चुनाव आयोग ने कहा है कि उम्मीदवारों को टिकट आवंटित करने के 48 घंटे अंदर राजनीतिक पार्टियों को बताना होगा कि पार्टी ने उन्हें अपना प्रत्याशी क्यों बनाया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा था कि दागी उम्मीदवारों के बारे में राजनीतिक दलों को विज्ञापन देकर बताना होगा.
रिपोर्ट के मुताबिक निर्वाचन आयोग ने एक बैठक में निर्देश दिया कि राजनीतिक दलों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के बारे में मीडिया के जरिए बताना होगा. आयोग ने आगे कहा है कि राजनीतिक दलों को साथ ही यह भी बताना होगा कि उन्होंने दागी उम्मीदवारों को टिकट क्यों दिया. साथ ही पॉलिटिकल पार्टी को यह भी बताना होगा कि कोई व्यक्ति क्यों नहीं मिला जिस पर कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज न हो और ऐसे साफ सुथरी छवि वाले व्यक्ति को उम्मीदवार क्यों नहीं बनाया.
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों पर लगाया था जुर्माना– बता दें कि बिहार चुनाव के दौरान दागी उम्मीदवारों के बारे में नहीं बताने पर बीजेपी और कांग्रेस पर 1-1 लाख रुपये का जुर्माना और एनसीपी-सीपीएम पर 5-5 लाख रुपये का फाइन लगाया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना के मामले में शीर्ष अदालत ने यह कार्रवाई की थी. कोर्ट ने साथ ही कहा था कि यदि कोई राजनीतिक पार्टी कोर्ट के आदेश को लागू करने में आनाकानी करती है, तो चुनाव आयोग कोर्ट के संज्ञान में यह बात लाये. कोर्ट को बताये कि कौन-कौन सी पार्टियां कोर्ट की अवमानना कर रही हैं.
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2018 में कोर्ट ने दिया था आदेश- 2018 में लोक प्रहरी बनाम भारत सरकार और अन्य के मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि दागी उम्मीदवारों को टिकट देने के बाद राजनीतिक दलों को अखबार और अन्य माध्यमों से जनता को बताना होगा. कोर्ट ने एक अन्य आदेश में आयोग को निर्देश दिया था कि ऐप बनाया जाए और उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी शामिल हो.