UP Chunav 2022: अगस्त 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जिले के सियासी समीकरण में बड़ा फेरबदल हुआ. जाट-मुस्लिम वोटबैंक में बीजेपी ने सेंधमारी की. इसका नतीजा हुआ कि चुनाव में बीजेपी को बड़ी जीत हासिल हुई. मुजफ्फरनगर जिले की खटौली सीट पर 10 फरवरी को मतदान और 10 मार्च को काउंटिंग है. इस बार मुजफ्फरनगर जिले की सभी 6 सीटों पर लोगों की नजरें टिकी हैं.
2017 के चुनाव में मुजफ्फरनगर दंगा बड़ा फैक्टर साबित हुआ. मुजफ्फरनगर जिले की सभी छह विधानसभा सीट (मुजफ्फरनगर सदर, पुरकाजी, चरथावल, बुढ़ाना, खटौली और मीरापुर) पर बीजेपी ने जीत हासिल की. संजीव बलियान, हुकुम सिंह, संगीत सोम, सुरेश राणा जैसे फायर ब्रांड नेताओं ने बीजेपी को अभूतपूर्व जीत दिलाने में सफलता हासिल की थी. इस साल जिन 58 सीटों पर पहले फेज का चुनाव होना है उनमें से 53 सीटों पर 2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की थी.
Also Read: UP Chunav 2022: मुजफ्फरनगर के चरथावल में गुजरे कल में रहा BSP का दबदबा, आज कितने बदले हैं सियासी समीकरण?
इस साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में कमोबेश सभी दलों ने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है. खटौली सीट से बीजेपी ने विक्रम सैनी को टिकट दिया है तो सपा-रालोद गठबंधन ने राजपाल सिंह सैनी पर भरोसा जताया है. राजपाल सिंह सैनी रालोद कैंडिडेट हैं. बसपा ने भी प्रत्याशी की घोषणा कर दी है. बसपा ने माजिद सिद्दीकी को चुनावी मैदान में जीत के इरादे से उतारा है.
मुजफ्फरनगर जिले का नाम नवाब मुजफ्फर अली के नाम पर पड़ा था. इस जिले में महाभारत काल में बसी शुक्रताल नगरी भी है. इसे सुखदेव तीर्थ नगरी के नाम से जाना जाता है. यहां पर देशभर से श्रद्धालु आते हैं. हिंदू धर्मग्रंथों में जिक्र है कि महाभारत काल में सुखदेव जी ने राजा परीक्षित को एक वट वृक्ष के नीचे गीता सुनाई थी. शुक्रताल में कई सौ साल पुराना वट वृक्ष भी मौजूद है. पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली भी मुजफ्फरनगर के प्रसिद्ध नवाब खानदान से ताल्लुक रखते थे. यहां आज भी उनकी कोठी कहकशा एक विशाल स्कूल के रूप में इलाके में देखी जा सकती है. जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम मुफ्ती मो. सईद भी मुजफ्फरनगर से पहला लोकसभा का चुनाव जीते थे.
Also Read: UP Chunav 2022: मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जाट-मुस्लिम वोट बैंक में बीजेपी की सेंध, इस बार क्या होंगे नतीजे?
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के विक्रम सिंह ने सपा के चंदन सिंह चौहान को 31 हजार वोटों के अंतर से हराया था. इसके पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में रालोद के करतार सिंह भड़ाना ने बसपा के तारा चंद शास्त्री को हराने में सफलता हासिल की. लेकिन, 2013 के दंगे के बाद स्थिति बदलती गई है.