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UP Chunav 2022: 2019 से स्वार विधानसभा सीट पर कोई विधायक नहीं, आजम खान का रहा है दबदबा

रामपुर जिले में पांच विधानसभा सीट आती हैं और रामपुर में आजम खान का दबदबा रहा है. रामपुर की स्वार विधानसभा सीट पर सभी की नजरें हैं. यहां 14 फरवरी को वोटिंग है.

UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया जा रहा है. इसी कड़ी में रामपुर जिले की विधानसभा सीटों पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं. रामपुर जिले में पांच विधानसभा सीट आती हैं और रामपुर में आजम खान का दबदबा रहा है. रामपुर की स्वार विधानसभा सीट पर सभी की नजरें हैं. यहां 14 फरवरी को वोटिंग और 10 मार्च को काउंटिंग है. इस सीट पर मुस्लिम और दलित वोटर्स को बड़ा फैक्टर माना जाता है. सभी पार्टियां उन्हें गोलबंद कर रही हैं.

स्वार सीट से 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब्दुल्लाह आजम खान ने जीत हासिल की थी. अब्दुल्लाह आजम खान चुनाव के ऐन पहले 23 महीने बाद जेल से रिहा हुए हैं. उन्होंने चुनाव लड़ने का ऐलान भी किया है. ऐसे में स्वार विधानसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है. स्वार में आजम खान और अब्दुल्लाह आजम खान का दबदबा रहा है. यह सीट हाई-प्रोफाइल मानी जाती है. यहां से कांग्रेस ने हैदर अली खान को टिकट दिया है. दूसरे दल भी चुनावी मैदान में टिके हैं.

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2017 में स्वार में सपा को मिला था जनादेश

स्वार सीट पर 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार अब्दुल्लाह आजम खान ने जीत हासिल की थी. समाजवादी पार्टी ने आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को टिकट दिया था. अब्दुल्लाह आजम ने भाजपा के लक्ष्मी सैनी को 53 हजार वोटों के मार्जिन से हराया था. इस बार फिर सपा इतिहास दोहराने उतर रही है. 2017 के चुनाव में करीब 51 फीसदी वोटर्स ने मताधिकार का प्रयोग किया था.

कभी भाजपा का गढ़ थी रामपुर की स्वार सीट

कभी स्वार विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ रही थी. इस सीट से बीजेपी के शिव बहादुर सक्सेना ने चार बार जीत हासिल की थी. बाद में यह सीट नवाब खानदान का मजबूत किला बनकर उभरी. इसे भेद पाना बीजेपी के लिए मुश्किल भरा रहा. वक्त गुजरा और स्वार विधानसभा सीट पर आजम खान के परिवार का दबदबा दिखने लगा. आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम ने 2017 में यहां से जीत हासिल की थी.

बिना विधायक के है स्वार की विधानसभा सीट

मोहम्मद अब्दुल्लाह आजम खान समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक बनने के दो साल बाद उम्र विवाद में ऐसे फंसे कि उनकी सदस्यता चली गई. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नवाब काजिम अली खान की याचिका पर सुनवाई करते हुए अब्दुल्ला आजम का निर्वाचन रद्द कर दिया था. उस वक्त से स्वार सीट पर कोई विधायक नहीं है. कहने का मतलब है उस समय से रामपुर का स्वार विधानसभा सीट रिक्त है.

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2012 और 2017 में बीजेपी को मिली शिकस्त

2017 के विधानसभा चुनाव में अब्दुल्लाह आजम खान ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा. उस चुनाव में अब्दुल्लाह आजम खान ने एक लाख से ज्यादा वोट लाए और बीजेपी के लक्ष्मी सैनी को करारी शिकस्त दी. जबकि, 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नवाब कासिम अली खान उर्फ नावेद मियां ने बीजेपी के ही लक्ष्मी सैनी को हराने में सफलता हासिल की. तमाम कोशिशों के बावजूद 2017 और 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को स्वार विधानसभा सीट से जीत हासिल नहीं हो सकी है.

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