Lakhimpur Kheri Violence: केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा की तरफ से आत्मसमर्पण करने की अटकलों के बीच यह भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार भी कर सकती है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, पुलिस की एक टीम आशीष मिश्र के गांव बनवीरपुर भेजी गई है. अजय मिश्रा की आज दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से हुई मुलाक़ात के बाद इस बात को बल मिल रहा है कि आशीष मिश्रा आत्मसमर्पण भी कर सकते हैं. एडीजी जोन एस एन साबत ने मीडिया से बातचीत के दौरान भी एक अस्पष्ट इशारा किया है.
एडीजी जोन लखनऊ एस एन साबत ने बताया है कि तिकुनियां बवाल के बाद जिले में शांति व्यवस्था कायम है. घटना की विवेचना की जा रही है. साक्ष्य का संकलन किया जा रहा है. जब तक पुख्ता सबूत नहीं मिल जाते, तब तक गिरफ्तारी करना जल्दबाजी होगी. पुलिस के द्वारा सभी पक्षों की विवेचना की जा रही है. इस मामले में कार्रवाई चल रही है. हमारे पास बहुत सारी तस्वीरें हैं. इसे हमने मीडिया में दिया हुआ है कि अगर किसी के पास वास्तविक तस्वीर है तो वो हमें उपलब्ध कराएं ताकि वो तस्वीरें हमें जांच में काम आए.
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वहीं, एडीजी लखनऊ जोन ने इस सवाल पर कुछ भी जवाब देने से इंकार कर दिया कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र ‘टेनी’ के पुत्र आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी बवाल में जांच के लिए बुलाया जाएगा या नहीं? उन्होंने कहा कि मैं मामले की जांच पर कोई भी जवाब नहीं दे सकता.
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लखीमपुर खीरी हिंसा में 9 लोगों की मौत के बाद विवादों में आए मोदी कैबिनेट में यूपी के इकलौते ब्राह्मण चेहरे केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हो सकती है. सूत्रों के अनुसार उनकी जल्द विदाई तय है. अजय मिश्रा को नई दिल्ली तलब किये जाने के बाद इस बात को बल रहा है कि टेनी को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवेलपमेंट (बीपीआरडी) ने सभी राज्यों के जेलप्रमुखों की होने वाली एक कॉन्फ्रेंस को टाल दिया है. यह कॉन्फ्रेंस गुरुवार यानी 7 अक्टूबर को होनी वाली थी, जिसमें अजय मिश्रा ‘टेनी’ को बतौर मुख्य अतिथि शामिल होना था. इसके टल जाने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि अजय मिश्रा ‘टेनी’ को जल्द ही गृह राज्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ सकता है. लखनऊ में सत्ता के गलियारों में इस बात की चर्चा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी चिंताएं बता दी हैं. राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेज दी है. लखीमपुर खीरी का पूरा प्रकरण किसानों से जुड़ा है और इसलिए टेनी की परेशानी बढ़ना तय माना जा रहा है.
अजय मिश्रा ‘टेनी’ पहली बार इस साल जुलाई में नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे. हाल ही में मोदी कैबिनेट में हुई फेरबदल में टेनी एकमात्र ब्राह्मण चेहरा थे, जिन्हें उत्तर प्रदेश से शामिल किया गया था. उस वक्त यह चर्चा थी कि क्षेत्र के एक और ब्राह्मण नेता जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने से टेनी को मंत्री पद मिलने में मदद मिली. प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के बाद इस बात की काफी चर्चा थी कि भाजपा ने टेनी को नजरअंदाज कर दिया और एक अन्य ब्राह्मण नेता को कांग्रेस से आने दिया. टेनी के केंद्रीय मंत्री बनने के कुछ महीनों बाद, जितिन प्रसाद को उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया.
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अपने समर्थकों के बीच टेनी महाराज के नाम से मशहूर अजय मिश्रा का नाम 2003 में तिकुनिया नगर पंचायत में हुई एक हत्या के मामले में सामने आया था. एक अन्य मामले की कोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत में उनके ऊपर जानलेवा हमला भी हुआ था.
अजय मिश्रा टेनी वर्ष 2004 में हत्या के एक मामले में दोषमुक्त होने के बाद राजनीति में आ गए. 2009 में वह जिला पंचायत सदस्य चुने गए, जिसके बाद भाजपा ने उन्हें 2012 में निघासन विधानसभा सीट से टिकट दिया था. सपा की लहर के बावजूद, टेनी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. मोदी लहर में पार्टी ने उन्हें 2014 में खीरी सीट से लोकसभा का टिकट दिया. इस चुनाव में टेनी ने खीरी सीट एक लाख से अधिक मतों से जीती. 2019 में टेनी की जीत का अंतर दोगुना हो गया, जब उन्होंने सपा उम्मीदवार पूर्वी वर्मा को 225,000 से अधिक मतों से हराया.
टेनी महाराज के नाम से मशहूर अजय मिश्रा 2009 में राजनीति में आये और अब तक दो बार खीरी लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं. राजनीति में आने से पहले वह एक वकील थे. उनका परिवार वाले मूल रूप से कानपुर के थे और 1990 के दशक में लखीमपुर खीरी आकर रहने लगे थे. टेनी को कुश्ती लड़ने और लड़वाने का बहुत शौक है और उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में उनकी छवि एक बाहुबलि की है. इनके परिवार के पास इलाके में एक चावल मिल, कृषि भूमि और पेट्रोल पंप हैं.
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2017 में, टेनी ने अपने छोटे बेटे आशीष मिश्रा ‘मोनू’ के लिए निघासन सीट से टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था. लखीमपुर मामले में नामजद हुए मोनू के लिये अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टेनी एक बार फिर से टिकट लेने का प्रयास कर रहे थे. इस घटना के बाद अब टेनी के परिवार से किसी को टिकट मिलना संभव नहीं दिख रहा है.
(रिपोर्ट- उत्पल पाठक)